Jharkhand IAS Pooja Singhal: सरयू राय ने रघुवर दास को गिरफ्तार कराने को खेला नया खेल... ईडी को बिन मांगे दी ये सलाह
Jharkhand News झारखंड के पूर्व मंत्री सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय को सलाह दी है कि आइएएस पूजा सिंघल को पहले की भाजपा सरकार में मनरेगा घोटाले के मामले में क्लीनचिट देने के मामले की गहन समीक्षा करें।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News झारखंड के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सलाह दी है कि आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ चल रही जांच के दायरे में मनरेगा घोटाले से उन्हें क्लीनचिट देने की प्रक्रिया को भी शामिल किया जाना चाहिए। ईडी के उपनिदेशक को शुक्रवार को एक पत्र भेजकर उन्होंने इस बाबत अपनी पुस्तक का भी हवाला दिया है। उन्होंने लिखा है कि समाचारपत्रों के माध्यम से मिली जानकारी के मुताबिक पूजा सिंघल के विरुद्ध जांच में 2016 के पूर्व खूंटी एवं चतरा जिले में मनरेगा में हुई अनियमितताओं के संदर्भ हैं।
8 नवंबर 2016 को देश में विमुद्रीकरण (नोटबंदी) लागू हुआ था जो 30 दिसंबर 2016 तक चला था। इस दौरान जांच के अधीन व्यक्तियों, व्यक्ति समूहों एवं इनसे संबंधित संस्थानों के वित्तीय लेन-देन की समीक्षा की जाए। मनरेगा की अनियमितताओं को लेकर पूजा सिंघल पर विभागीय कार्रवाई चल रही थी। झारखंड सरकार ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया। उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही समाप्त कर दी गई। जिन आरोपों से पूजा सिंघल को झारखंड सरकार ने मुक्त कर दिया, वे आरोप प्रवर्तन निदेशालय की जांच का आधार बने हैं। जांच चल रही है और कार्रवाई जारी है। इससे तत्कालीन सरकार द्वारा वर्ष 2017 में उन्हें आरोप मुक्त करने की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है।
प्रथमदृष्ट्या इसमें भ्रष्टाचार प्रतीत हो रहा है। विभागीय कार्यवाही संचालन के लिए नियुक्त संचालन पदाधिकारी का पद अर्द्ध-न्यायिक होता है। संचालन की प्रक्रिया भी अर्द्ध-न्यायिक होती है। उपस्थापन पदाधिकारी और सरकार का संबंधित विभाग आरोप सिद्ध करने में महती भूमिका निभाता है। प्रक्रियानुसार संचालन पदाधिकारी के निर्णय की समीक्षा सरकार करती है। समीक्षा में उभरे बिन्दुओं के आलोक में सरकार या उपस्थापन पदाधिकारी विषय को संचालन पदाधिकारी के पास पुनर्विचार के लिए भेज सकते हैं।
आरोपों की गंभीरता के मद्देनजर पूजा सिंघल को आरोप मुक्त करने के निर्णय पर पहुंचने के पूर्व राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों में से किसी ने भी इसपर गौर करने का कष्ट किया है या नहीं, इसकी समीक्षा आवश्यक प्रतीत होती है। इसकी जांच आवश्यक है। वर्तमान सरकार में और पूर्ववर्ती सरकार में भी मैंने लौह अयस्क खनन में अनियमितताओं से संबंधित मुद्दों की और झारखंड सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है। खान विभाग के क्रियाकलापों के संबंध में मुख्यमंत्री को भी कई पत्र लिखा है और विधानसभा में भी इन्हें उठाया है।