केंद्र सरकार से बेहतर संबंध सुधारने की कवायद में जुटे झारखंड के CM हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अपने दौरे से पूरी तरह संतुष्ट दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने आशा जताई है कि राज्य की आर्थिक बेहतरी के लिए केंद्र उम्मीद से अधिक मदद करेगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से नई दिल्ली में 18 जनवरी को मुलाकात करते झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। जागरण आर्काइव
प्रदीप शुक्ला। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार से बेहतर संबंध स्थापित करने की दिशा में अपने प्रयास तेज किए हैं। इस सिलसिले में वह चार दिनों के दिल्ली दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने झारखंड की सत्ता में अहम सहयोगी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं समेत कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री एक साथ कई मोर्चो पर काम कर रहे हैं।
कांग्रेस के शीर्षस्थ नेताओं से मुलाकात कर उन्होंने सहयोगी दल संग बेहतर संवाद कायम करने की कोशिश की है। यह इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से झारखंड में कांग्रेस के विधायकों के अलग-अलग सुरों से गलत संदेश जा रहा था। हेमंत सोरेन ने हाल ही में झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह के साथ भी बातचीत की थी। आरपीएन सिंह ने विधायकों के साथ-साथ सरकार में शामिल कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की तरफ से सरकार को हर मोर्चे पर सहयोग का भरोसा दिलाया।
इस प्रकार गठबंधन के अहम साथी के साथ मजबूत समन्वय स्थापित करने के साथ हेमंत सोरेन ने उन अटकलों पर भी विराम लगाया जिसमें प्रचारित किया जा रहा था कि भाजपा की मुहिम उनकी सरकार को अस्थिर करने की है। हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कहा कि न उनकी सरकार को लेकर साथी दल के साथ कोई तनातनी न थी, न है और न ही भविष्य में होगी।
दरअसल हेमंत सोरेन के दौरे का बड़ा मकसद केंद्र सरकार के साथ रिश्तों में गर्मजोशी भरना भी था। इसमें वह कामयाब होते भी दिख रहे हैं। यह भी महज संयोग ही है कि दिल्ली दौरे के पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान से हेमंत सोरेन की रांची में मुलाकात हुई थी। पेट्रोलियम मंत्रलय के कई अहम प्रोजेक्ट झारखंड में चल रहे हैं। इससे राज्य के विकास को गति मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया तो हेमंत सोरेन ने भी सहृदयता दिखाई। हेमंत ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर राज्य हित से जुड़े मसलों को उठाया। केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के क्रम में दोनों ओर से गर्मजोशी दिखाई दी, जो हमारे मजबूत संघीय ढांचे की पहचान है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच सकारात्मक संवाद काफी अहम है। संवादहीनता की स्थिति पैदा होने से रिश्तों में खटास पैदा हो जाती है। डीवीसी यानी दामोदर वैली कॉरपोरेशन का मसला इसकी बानगी है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रलय ने झारखंड के बकाये की राशि सीधे आरबीआइ खाते से काट ली। झारखंड ने इसका विरोध किया। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नेताओं से मुलाकात में राज्य हित की बातें दमदार तरीके से रखी हैं। उन्हें सभी केंद्रीय मंत्रियों से भरोसा भी मिला है। खनिज संपदा से जुड़े मसलों का भी हल तुरंत निकलने की संभावना दिखाई दे रही है। लंबे समय से मिली राशि का यदि कुछ हिस्सा भी मिला तो यह झारखंड के लिए हितकारी होगा। कोल ब्लॉक के मसले पर पैदा हुई किचकिच की स्थिति का भी समाधान निकलने की बात कही जा रही है। कोयला मंत्री से मुलाकात इस बाबत भी चर्चा हुई है और उन्होंने सहयोग का भरोसा दिया है। इससे पहले भी उन्होंने कोयला रायल्टी का हिस्सा खुद रांची आकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा था। कोल ब्लॉक पर झारखंड का रुख यदि लचीला होता है तो इसका फायदा राज्य को प्रत्यक्ष व परोक्ष दोनों तौर पर मिलेगा। इससे राजस्व के साथ राज्य में रोजगार भी बढ़ेगा।
झारखंड के पास देश के कोयले का करीब 40 प्रतिशत भंडार है। इसके खनन में राज्य और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है। यह भी समझना होगा कि खनन झारखंड के लिए अभिशाप है या वरदान? खनन क्षेत्रों की खराब हालत और वहां रह रहे लोगों का निम्न जीवन स्तर देखकर यही प्रतीत होता है कि जिन क्षेत्रों के बूते विकास हो रहा है वहां के लोग विनाश की ओर जा रहे हैं। जीएसटी के मसले पर पहले ही केंद्र के सुझाए फार्मूले पर झारखंड अमल कर चुका है।
[स्थानीय संपादक, झारखंड]