भाजपा बोली, चाईबासा नरसंहार को आपसी रंजिश का रूप देने में जुटी हेमंत सरकार
Jharkhand. चाईबासा नरसंहार का मामला दिल्ली पहुंच गया है। प्रदेश भाजपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को रिपोर्ट सौंपने के बाद प्रेस कांफ्रेंस की।
रांची, राज्य ब्यूरो। पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) जिले के गुदड़ी प्रखंड के बरुगुलीकेरा गांव में पिछले दिनों सात पत्थलगड़ी विरोधियों की बर्बर हत्या का मामला अब दिल्ली तक पहुंच गया है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सह राज्यसभा सदस्य समीर उरांव के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को नई दिल्ली में नरसंहार की जांच कर रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपी।
रिपोर्ट से गृह मंत्री अमित शाह को भी अवगत कराया और हेमंत सोरेन सरकार पर इस मामले को लेकर पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है। प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इस मामले को भी उठाया। प्रदेश उपाध्यक्ष समीर उरांव ने पूरे प्रकरण को विस्तार से मीडिया के सामने रखा। कहा, पिछले 19 जनवरी को झारखंड के सिंहभूम जिले में एक बहुत बड़ी नरसंहार की घटना हुई है। जनअदालत व ग्राम सभा कर असामाजिक तबके द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया है।
उन्होंने पूरे मामले को लेकर प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाया। कहा, नरसंहार की घटना के दो दिन बाद प्रशासन वहां पहुंचता है। कहा, झारखंड में इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद वहां के शासन के स्तर से शोक संतत्प परिवारों को कोई आश्वासन या मुआवजा नहीं दिया गया। बल्कि सबकुछ जानते हुए भी भ्रम फैलाने के लिए एसआइटी गठन की बात कही जाती है।
चाईबासा जिले के बुरुगुलिकेरा गांव में आदिवासियों के सामूहिक नरसंहार को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda जी के द्वारा बनाई गई छह सदस्यीय समिति ने आज उन्हें एक जाँच रिपोर्ट सौंपा. pic.twitter.com/mw4MgNWt5v — BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) January 29, 2020
इस जघन्य घटना को आपसी रंजिश का रूप देने की कोशिश की जा रही है। झारखंड में इतने बड़े नरसंहार के बाद वहां की सरकार ने तुरंत घटना का संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री घटनास्थल पर जाकर कहते हैं कि 'मारने वाला भी मेरा और मरने वाला भी मेरा'। उरांव ने कहा कि झामुमो और कांग्रेस की सरकार कभी भी आदिवासियों की हितैषी नहीं रही है।
कहा कि कुछ दिन पूर्व तबरेज की पिटाई हुई थी, उस समय कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने देशभर में घूम-घूम कर इस मामले को उठाया था। लेकिन झारखंड के आदिवासियों की नृशंस हत्या हो जाती है और इनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है। यही कांग्रेस और झाुममो की नीति है।