Jharkhand Assembly Election 2019: भाजपा भर रही फर्राटा, कांग्रेस की गाड़ी डिरेल; जानें क्या है तैयारी
देशभर में रोज-ब-रोज कांग्रेसियों में जूतम-पैजार इस्तीफा और निष्कासन का नाटक चल रहा है। झारखंड कांग्रेस की तस्वीर भी इससे जुदा नहीं है।
रांची, [जागरण स्पेशल]। लोकसभा चुनाव हारने के बाद जबसे राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, देशभर में कांग्रेस पार्टी की हालत पतली हो गई है। रोज-ब-रोज कांग्रेसियों में जूतम-पैजार, इस्तीफा और निष्कासन का नाटक चल रहा है। झारखंड कांग्रेस की तस्वीर भी इससे जुदा नहीं है। अब जबकि झारखंड विधानसभा चुनाव में गिनती के दिन बाकी बचे हैं, कांग्रेस का संगठन सशक्त होने के बजाय निशक्त ही दिख रहा है। आपसी आरोप-प्रत्यारोप के बीच प्रदेश नेतृत्व विरोधी धड़े को निपटाने में जुटा है। बीते दिन सुबोधकांत गुट के दो और नेताओं का कांग्रेस से निष्कासन इसकी बानगी है।
लोकसभा चुनाव साथ लड़ने वाले झामुमो, झाविमो और राजद के साथ विपक्षी महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने पर एक इंच की भी कांग्रेस की बात नहीं बढ़ पाई है। वहीं कांग्रेस में उथल-पुथल के बीच भाजपा बेशक अपनी तैयारियों में जुटी है। चुनाव में जोर-आजमाइश से बेफिक्र भाजपा के नेता-कार्यकर्ता सदस्यता अभियान के जरिये अपना कुनबा बढ़ाने में लगातार जुटे हैं। सच ये भी है कि अबतक चुनावी गठबंधन की तस्वीर साफ नहीं होने से इस मोर्चे पर भाजपा की बढ़त कायम है।
बूथ स्तर पर तैयारी में जुटी है भाजपा
भाजपा की विधानसभा चुनाव की तैयारियों की बात करें तो बूथ स्तर पर संगठन के कार्यकर्ता अपनी तैयारियों में जुटे हैं। बीते दिन भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आगमन के बाद से पार्टी पूरी रेस है। संगठन के पदाधिकारी लगातार दौरे कर रहे हैं। संथाल, कोल्हान से लेकर उत्तरी-दक्षिणी छोटानागपुर तक पार्टी खुद को बुलंद करने में लगी है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खुद ही कमान संभाल रखा है। सरकार के स्तर पर भी ताबड़तोड़ जनता के हित में फैसले लिए जा रहे हैं।
इस कड़ी में 10 अगस्त को जोर-शोर से किसानों के लिए लांच की गई कृषि आशीर्वाद योजना को जमीन पर उतारने की तैयारी है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से इस योजना की लांचिंग कराकर रघुवर सरकार जनता को बड़ा संदेश देने की पुरजोर कोशिश में है। भाजपा के अंदरखाने कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी ने सुदेश महतो की पार्टी आजसू के साथ चुनावी रणनीति पर गहन मंथन कर लिया है। झारखंड के चुनाव प्रभारी मंगल पांडेय की अगुआई में इस बार कई विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार बदलने के कयासों के बीच लगभग सभी सीटों पर प्रत्याशी भी फाइनल कर लिए गए हैं।
लाचार दिख रही कांग्रेस, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार पर दबाव बढ़ा
फिलहाल झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी एकता के मोर्चे पर जूझती नजर आ रही है। अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार की ओर से इस्तीफे की पेशकश के बाद विक्षुब्ध कांग्रेसी खासे मुखर हैं। इस बीच पार्टी से बीते दिन छह वर्षों के लिए निष्कासित किए गए नेता सुरेंद्र सिंह और राकेश सिन्हा ने अध्यक्ष पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ मिलकर झारखंड में कांग्रेस पार्टी को खत्म करने की डील की बात कही गई है। जिस तरह से रघुवर दास के इशारे पर चुन-चुन कर कांग्रेस से समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं को निकालने पर सवाल उठाए गए हैं, उससे आने वाले दिनों में कांग्रेस में बड़ी लड़ाई छिड़ती दिख रही है।
सुबोधकांत सहाय गुट फिलहाल डॉ. अजय कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। प्रदेश इकाई जिस तरह कार्रवाई के मूड में है, उससे लग रहा है कि अगली कड़ी में रामेश्वर उरांव, ददई दुबे, प्रदीप बलमुचू आदि नेताओं को निपटाने की तैयारी चल रही है। इन नेताओं पर आरोप है कि सोची-समझी रणनीति के तहत गैरजिम्मेदाराना तरीके से बयानबाजी कर उन्होंने पार्टी की छवि खराब की है। साथ ही लोकसभा चुनाव में इनके कृत्यों से कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है।
प्रेशर पॉलिटिक्स में झामुमो 41 पर अड़ा, कांग्रेस को चाहिए 40 सीटें
भले ही विधानसभा चुनाव को लेकर अभी विपक्षी महागठबंधन की तस्वीर धुंधली है, लेकिन प्रेशर पॉलिटिक्स पूरे जोरों पर है। झामुमो ने पहले ही 41 सीटों पर अपना दावा ठोंकते हुए चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में होने का दम भरा है, वहीं कांग्रेस भी 40 से कम सीटों पर समझौता नहीं करने का सुर्रा छोड़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झामुमो आैर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को इस बार दंतहीन करार देते हुए महागठबंधन से अलग रखने का शिगूफा भी छोड़ा गया है।
इधर दुमका जैसे गढ़ में आदिवासियों के दिशोम गुरु शिबू सोरेन की करारी हार से अब तक गहरे सदमे में रही झामुमो का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही विधानसभा चुनाव झामुमो की अगुआई में लड़ने का एलान किया गया था। अब कांग्रेस बेवजह अधिक सीटों की राग छेड़ रही है। भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकने के नाम पर वामपंथियों को भी साधने की कोशिश है। ऐसे में महागठबंधन की राह बहुत आसान नहीं दिख रही है। चुनाव के नजदीक आते-आते कई नेताओं के पाला बदलने की आशंका भी बलवती है। लिहाजा सभी पार्टियां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप