Ranji Trophy: फॉलोऑन मिलने के बाद जीत हासिल करने वाली देश की पहली टीम बनी झारखंड
Ranji Trophy त्रिपुरा से फॉलोऑन मिलने के बाद दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों ने दिखाया दम। जग्गी 207 गेंदों पर 107 रन बनाकर रिटायर्ड हर्ट हुए।
रांची, जासं। Ranji Trophy सौरभ गांगुली के नेतृत्व में 2001 में भारत ने कोलकाता के इडेन गार्डेंस में फॉलोऑन खेलने के बाद ऑस्ट्रेलिया को 171 रनों से पराजित कर इतिहास रच दिया था। ठीक उसी तरह झारखंड ने भी रणजी ट्रॉफी 2019-20 सत्र की शुरुआत में त्रिपुरा से फॉलोऑन मिलने के बाद भी उसे पराजित कर उस मैच की याद ताजा करा दी। यहीं नहीं झारखंड की क्रिकेट टीम रणजी ट्रॉफी के 85 साल के इतिहास में पहली टीम बन गई जिसने फॉलोऑन मिलने के बाद जीत हासिल की।
त्रिपुरा की टीम ने अपने घरेलू मैदान पर पहले बल्लेबाजी करते हुए 289 रन बनाए थे। जवाब में झारखंड की टीम महज 136 रनों पर ऑल आउट हो गई थी। (चार दिवसीय मैचों में पहली पारी में 150 रनों की बढ़त से फॉलोऑन होता है)।
ग्र्रुप सी के इस मुकाबले में त्रिपुरा के कप्तान मिलिंद कुमार ने झारखंड को दोबारा बल्लेबाजी करने को कहा। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास में दर्ज हो गया। मैच तीसरे दिन तक त्रिपुरा के पक्ष में था। झारखंड को दो वेटरन बल्लेबाज सौरभ तिवारी व ईशांक जग्गी पिच टिके हुए थे। आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी और झारखंड को पारी की हार से बचने के लिए अब भी 15 रनों की जरूरत थी। हालांकि जग्गी ने टीम मैनेजर पीएन सिंह के साथ दूसरी पारी के लंच के दौरान उम्मीद भरी बात की।
मैच के चौथे दिन आशीष कुमार, विवेकानंद तिवारी व अजय यादव ने शानदार गेंदबाजी कर टीम को जीत के कगार पर ला खड़ा किया। चोटिल ईशांक जग्गी, मैनेजर पीएन सिंह आपस में बात कर रहे थे कि क्या 2001 वाली घटना दोहराई जाएगी। मैच समाप्ति की ओर था और अंपायर ने खराब रोशनी को लेकर आपस में बात की। फिर एक ओïवर और कराने का निर्णय लिया गया। झारखंड व जीत के बीच एक विकेट की दूरी थी और हाथ में छह गेंद। सौरभ तिवारी ने अपने अनुभवी आशीष कुमार को गेंद सौंपी। आशीष ने दूसरी ही गेंद पर राणा को एलबीडब्ल्यू कर झारखंड को अविश्वसनीय जीत दिला दी।
दूसरी पारी में जग्गी 207 गेंदों पर 107 रन बनाकर रिटायर्ड हर्ट हुए। उन्होंने तिवारी के साथ 190 गेंदों पर 122 रनों की साझेदारी की। झारखंड ने अपनी दूसरी पारी 8 विकेट पर 418 रन बनाकर घोषित कर दी। अब त्रिपुरा के सामने जीत के लिए 266 रनों का लक्ष्य था और एक दिन से भी कम का वक्त बचा था। दबाव में त्रिपुरा की टीम लडख़ड़ा गई और पेसर आशीष कुमार ने पांच बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा।