Jharkhand News: सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में बहस पूरी... झारखंड हाई कोर्ट 29 जून को सुनाएगा फैसला
Assistant Engineer Appointment सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में साक्षात्कार में 2.5 गुणा अभ्यर्थियों को नहीं बुलाने का मामला। प्रार्थी का दावा- नियुक्ति नियमावली का नहीं हुआ पालन। झारखंड लोक सेवा आयोग यानी जेपीएससी ने अदालत में कहा कि ऐसा करना उनका अधिकार।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने सहायक अभियंता नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत इस मामले में 29 जून को फैसला सुनाएगी। इस संबंध में रवि शंकर सिंह और हंसराज उरांव की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
विज्ञापन की शर्तों का जेपीएससी ने किया उल्लंघन
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से शुभाशीष रसिक सोरेन और अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि सहायक अभियंता नियुक्ति के लिए जेपीएससी ने विज्ञापन जारी किया था। प्रार्थियों ने भी आवेदन दिया था। चयनित भी हुए थे, लेकिन उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया है। नियुक्ति नियमावली 2012 के अनुसार न्यूनतम ढाई गुना चयनित अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाया जाना अनिवार्य है। लेकिन जेपीएससी ने 1.8 गुणा अभ्यर्थियों को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया है। ऐसा करना नियमावली और विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन है।
जेपीएससी की ओर से दिया गया यह तर्क
जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने कहा कि विज्ञापन के अनुसार प्रश्न पत्र दो खंड में था। एक खंड का प्रश्न वैकल्पिक था। जबकि दूसरे खंड में लिखित परीक्षा हुई थी। नियमानुसार खंड एक में पास होने वाले अभ्यर्थियों का ही खंड दूसरे की उत्तर पुस्तिका जांच की जाएगी। जेपीएससी ने दोनों खंडों में न्यूनतम अंक पाने वालों को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है। इसमें 1.8 गुणा ही उत्तीर्ण हुए हैं। ऐसा करना जेपीएससी का अधिकार है। जेपीएससी ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए ही 1.8 गुणा अभ्यर्थियों को बुलाया गया है।
प्रार्थियों ने भी जेपीएससी को दिया अपना जवाब
इस पर प्रार्थियों को कहना था कि विज्ञापन में यह शर्त लगाई गई थी कि नियुक्ति नियमावली 2012 का पालन किया जाएगा। जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि 2.5 गुणा अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाया जाएगा। जेपीएससी को अपने अधिकार का प्रयोग दोनों खंड के प्रश्न पत्रों को परिणाम एक साथ निकलने में करना चाहिए था। इसके बाद निर्धारित न्यूनतम अंक के आधार पर 2.5 गुणा अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।