हमलोगों ने संसदीय भावना को ठेस पहुंचाई : स्पीकर
रांची : विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही का अधिकांश समय व्यवधान और रुकावटों में गुज
रांची : विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही का अधिकांश समय व्यवधान और रुकावटों में गुजरने पर स्पीकर दिनेश उरांव ने दुख व्यक्त किया है। शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस पर उनके संबोधन में इसकी पीड़ा स्पष्ट देखी गई। स्पीकर ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में विधायी सदन वाद-विवाद का मंच होते हैं। इस मंच का उपयोग सार्थक वाद-विवाद और जनता के निराकरण के लिए होना चाहिए। लेकिन इस सत्र में हम लोगों ने ऐसा न करके संसदीय भावना को ठेस पहुंचाने का काम किया। इसके लिए मैं किसी एक पक्ष को दोषी ठहराना नहीं चाहता।
स्पीकर ने कहा कि मुझे अत्यंत पीड़ा के साथ इस तथ्य को स्वीकार करना पड़ रहा है, सत्र की अवधि में कुल स्वीकृत 258 प्रश्नों में से एक का भी मौखिक उत्तर नहीं हो सका। चाहे वह अल्पसूचित प्रश्न हो अथवा तारांकित प्रश्न। हालांकि, इन 258 प्रश्नों में कुल 219 प्रश्नों के लिखित उत्तर सभा सचिवालय को प्राप्त हुए, जिन्हें सदस्यों के बीच वितरित कर दिया गया। कुल 39 प्रश्न जिनमें 37 अतारांकित प्रश्न हैं, के उत्तर विभागों के पास लंबित हैं। कहा, इस सत्र के लिए कुल 15 ध्यानाकर्षण सूचनाएं स्वीकार की गई, लेकिन सभा में रुकावट और व्यवधान का आलम कुछ ऐसा रहा कि इनमें से किसी एक पर भी सरकार का वक्तव्य सदन में नहीं आ सका। यह झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता के लिए चिंताजनक है। अगर हमें संसदीय लोकतंत्र को इस राज्य में आगे लेकर जाना है तो सार्थक प्रयास करने होंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले सत्रों में इस स्थिति से उबरने के लिए सभी सदस्य गंभीर चिंतन करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस सत्र में शून्यकाल की कुल 59 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं, इसी के साथ 13 निवेदनों की भी स्वीकृति हुई है। इन सभी को संबंधित विभागों को भेज दिया गया है। बताया कि इस सत्र में एक विनियोग सहित कुल सात सरकारी विधेयक पर चर्चा हुई, जिसमें से एक को प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय लिया गया। जबकि छह विधेयक ध्वनिमत से पारित किए गए। स्पीकर ने अपने संबोधन में नव वर्ष व आने वाले त्योहारों के लिए सभी को शुभकामनाएं दीं।
-------