Jharkhand Assembly Monsoon Session: झारखंड विधानसभा मानसून सत्र का आज आखिरी दिन, दोनों पक्षों में तकरार जारी
Jharkhand Assembly Monsoon Session झारखंड विधानसभा मानसून सत्र का आज छठा और आखिरी दिन है। आज भी माहौल काफी हंगामेदार रहा। विपक्ष के विधायक वेल में पहुंचकर हेमंत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सदन में विपक्ष ने झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक को वापस लेने की मांग की। इन्हीं सबके बीच सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
जासं, रांची। Jharkhand Assembly Monsoon Session: झारखंड विधानसभा मानसून सत्र का आज छठा और आखिरी दिन है। इस दिन भी विधानसभा के बाहर विधायकों को अपनी-अपनी मांगों के साथ प्रदर्शन करते हुए देखा गया। पूर्व विधायक शिवपूजन मेहता व विधायक लम्बोदर महतो भी अपनी मांगों को लेकर गेट पर बैठे।
पूर्व विधायक शिवपूजन मेहता
इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई। प्रश्नकाल में एक-दो प्रश्नों पर चर्चा के साथ ही विपक्ष का प्रदर्शन शुरू हुआ। विधायक आसन के पास पहुंचे। नारेबाजी की। स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने भाजपा विधायकों को सीट पर लौटने की नसीहत देते हुए कहा कि वे आसन के धैर्य और विवेक की परीक्षा न लें।
विधायक लम्बोदर महतो
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इनके (भाजपा) नेता ही नहीं है। ये नेता चुनकर सदन में अनुशासन में लें। इसी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। स्थगन के बाद कार्यवाही फिर से शुरू हुई।
शशिभूषण मेहता ने अपने आचरण के लिए मांगी माफी
सदन में विपक्ष के प्रदर्शन के बीच शून्यकाल की सूचनाएं ली गईं। इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने स्पीकर से भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता को माफी मांगने के निर्देश देने की मांग की। स्पीकर ने शशिभूषण मेहता से कहा कि कल आपके द्वारा विधायक इरफान अंसारी की ओर तेजी से बढ़ना नियम के विपरीत था। आपको माफ़ी मांगनी चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री ने इसका अनुरोध भी किया है। इस पर शशिभूषण मेहता ने कहा कि इनके अनाप शनाप बोलने पर लगाम लगनी चाहिए। ये अपना आचरण सुधारते हैं तो वे भी अपनी बात को वापस लेते हैं। गौरतलब है कि गुरुवार को विधायक शशिभूषण मेहता कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी को मारने के लिए बढ़े थे। सदन में हंगामा जारी है।
दूसरी पाली की कार्यवाही शुरू
इसके बाद दूसरी पाली की कार्यवाही शुरू हुई, जिसमें झारखंड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2023 पर चर्चा शुरू हुआ। गोमिया से आजसू के विधायक लंबोदर महतो ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह देश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसके कुलाधिपति राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे। इस विधेयक में कहीं भी वित्तीय संलेख नहीं है। यह सरकारी विश्वविद्यालय है, इसमें वित्तीय संलेख तो होना ही चाहिए।
बगोदर से भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि बिहार में भी तीन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मुख्यमंत्री हैं। पंजाब में भी ऐसा हैं। ऐसा क्या हुआ कि कुलाधिपति पहले राज्यपाल होते थे, अब मुख्यमंत्री होने लगे हैं। क्यों यह बदलाव आ रहा है। विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने भी विधेयक में त्रुटियों को देखते हुए उसे प्रवर समिति में भेजने को कहा। गोड्डा से भाजपा विधायक अमित कुमार मंडल, राहमहल के विधायक अनंत ओझा ने भी कुलाधिपति मुख्यमंत्री को बनाये जाने का विरोध किया
चंदन कियारी से भाजपा के विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री को तोहफा दिया है। यह पूरा प्रयास संघीय व्यवस्था को तार-तार करने के लिए लाया गया है। जहां भाजपा की सरकार है वहां संघीय व्यवस्था को नहीं तोड़ा गया है। वैसे ही राज्य में कुलाधिपति मुख्यमंत्री बनाये गए हैं जहां गैर भाजपा का शासन है। इसे प्रवर समिति में भेजा जाय।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि उन्हें लगा था कि विपक्ष इस विधेयक का स्वागत करेगा। उन्होंने बिहार का उदाहरण दिया कि जब वहां एनडीए की सरकार थी तब वहां तीन विधेयक पारित हुए थे जिसके कुलाधिपति मुख्यमंत्री बनाये गए थे। इस विधेयक में वित्त नियमावली का पूरा ख्याल रखा गया है। इससे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत होगी। चर्चा के बाद झारखंड स्वास्थ्य विज्ञान विधेयक 2023 विधानसभा से स्वीकृत हुआ।
अब झारखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक, 2023 सदन के पटल पर रखा गया। इस पर चर्चा शुरू हुई।गोमिया से आजसू के विधायक लंबोदर महतो ने विधेयक में कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई। उन्होंने इसे प्रवर समिति में भेजने की सदन से मांग की।
मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्र की जीएसटी काउंसिल से जीएसटी को लेकर जो निर्देश पारित हुआ राज्य सरकार उसी का पालन कर रही है। चर्चा के बाद यह विधेयक भी विधानसभा से स्वीकृत हो गया अब विधानसभा में गैर सरकारी संकल्प लिए जा रहे हैं। कुल 45 गैर सरकारी संकल्प पर सदन में चर्चा होनी है।
विधायक अपर्णा सेन गुप्ता के गैर सरकारी संकल्प के दौरान विधायक इरफान अंसारी के सदन में बोलने से भाजपा के विधायक उग्र हो गए। भाजपा के सभी विधायक आसन के सामने पहुंच गए। विधायक इरफान अंसारी का विरोध करने लगे। भाजपा विधायकों का कहना है कि जब उनका संकल्प था तो इरफान क्यों बोलने लगे। सदन में हंगामा जारी।
विधायक अपर्णा सेन गुप्ता ने धनबाद के निरसा में बारवेंदिया पुल निर्माण का मामला उठाया था। विधायक इरफान ने बीच मे ही टोकते हुए कहा कि इस पुल का मामला पूर्व की रघुवर सरकार में वे उठाये थे। उस समय कुछ नहीं हुआ।
अब जब वर्तमान मुख्यमंत्री इसको लेकर गंभीर हैं, डीपीआर और आगे की कार्यवाही जब शुरू हुई तो आज अपर्णा सेन गुप्ता उसी मांग को उठा रही हैं। इसके बाद ही भाजपा के विधायक उग्र हुए और इरफान के बीच मे पड़ने के विरोध में आसन के सामने हंगामा करने लगे। मंत्री आलमगीर आलम ने दोनों बीच बचाव कर दोनों पक्ष को समझाया। मंत्री के बीच बचाव पर सभी शांत हुए। विधानसभा की कार्यवाही फिर शांतिपूर्ण तरीके से चलने लगी।
विपक्ष ने हंगामे के बाद सदन का किया बहिष्कार
इधर, विधानसभा में माहौल गंभीर होने पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम का आश्वासन मिलने के बाद गैर सरकारी संकल्प समाप्त करने को लेकर सरयू राय मान गए। इसके बाद सदन में मुख्यमंत्री का संबोधन शुरू हुआ।
बता दें कि विधानसभा के 6 दिवसीय सत्र में सदन से अब तक कुल 8 विधेयकों को मंजूरी दी है। इस दौरान ध्यानाकर्षण में 51 सूचनाएं प्राप्त हुईं। वहीं, 131 अल्पसूचित, 223 तारांकित प्रश्नों के माध्यम से विधायकों ने अपनी बात सदन में रखी।
सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विपक्ष को आदिवासी और दलित विरोधी बताने को लेकर विपक्षी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया था। हंगामा बढ़ने के साथ विपक्ष ने सदन का बहिष्कार भी किया।