कांग्रेस नहीं कर सकी NYAY... ये हैं चुनावी घोषणापत्र के बड़े वादे, जो पूरे नहीं हुए
झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देने की घोषणा की गई थी जो इस बार बजट में सिरे नहीं चढ़ सकी।
रांची, जेएनएन। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने मंगलवार को अपना पहला बजट पेश किया। इसमें कुल 86370 करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए किया गया है। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने यूं तो हर वर्ग का ख्याल रखा है, साथ ही तमाम लोकलुभावन घोषणाएं कर जनता से जुड़ने की पूरी कोशिश की है। हालांकि झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस-झामुमो-राजद महागठबंधन के चुनावी घोषणा पत्र में कई बड़े-बड़े वादे किए गए थे, जो इस बजट में मूर्त रूप नहीं ले सका। चुनावी समर में बढ़-चढ़कर पार्टियों ने खुद को जनता का हितैषी बताया, लेकिन बजट में इसकी झलक थोड़ी कम दिखी। खासकर कांग्रेस की न्याय योजना, गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने की महत्वाकांक्षी योजना का पूरे बजट में कहीं जिक्र तक नहीं किया गया। आइए जानते हैं कांग्रेस-झामुमो-राजद महागठबंधन के चुनावी घोषणापत्र के उन वादों के बारे में जिन पर इस बजट में अमल नहीं हुआ...
चुनावी घोषणापत्र के बड़े वादे, जो पूरे नहीं हुए
- गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देने की घोषणा।
- विद्यार्थियों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड 12वीं पास करने के बाद। रोजगार अधिकार कानून।
- भूमिहीनों को भूमि अधिकार कानून बनाकर भूखंड उपलब्ध कराना।
- गरीब परिवार की महिलाओं को 2000 रुपये प्रतिमाह चूल्हा खर्च।
- गरीब परिवारों को सुविधायुक्त तीन कमरों के आवास निर्माण के लिए तीन लाख।
- पलामू, चाईबासा और हजारीबाग को उप राजधानी का दर्जा।