Jharkhand Assembly: मानसून सत्र के आखिरी दिन सदन में रुठने-मनाने का खेल, शिवपूजन ने दिया इस्तीफा-नामंजूर
शुक्रवार को झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आखिरी दिन था। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों ने परिसर में प्रदर्शन किया।
रांची, राज्य ब्यूरो। मानसून सत्र के अंतिम दिन उस समय अजीब स्थिति सी उत्पन्न हो गई, जब हुसैनाबाद के विधायक कुशवाहा शिवपूजन ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे डाला। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव ने मौके पर ही वोटिंग कराई और सदन ने उनका इस्तीफा खारिज कर दिया। इसके बावजूद नाराज विधायक सदन से बाहर जाने लगे, फिर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने उन्हें मनाया। थोड़ी देर बैठने के बाद वे फिर बाहर निकल गए। इस बीच, पत्रकारों से मुखातिब विधायक ने कहा कि अब याचना नहीं, रण होगा। यह पूछने पर कि क्या आप अपने इस्तीफे पर कायम रहेंगे, उन्होंने दो टूक कहा, गेंद स्पीकर के पाले में है और पुन: हाउस के अंदर चले गए। थोड़ी देर के बाद फिर निकल गए।
दरअसल, विधायक ने गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से जपला सीमेंट फैक्ट्री को खोले जाने का प्रस्ताव सदन में रखा था। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में भी इस मसले पर उन्होंने अनशन किया था, जिन्हें स्वयं मुख्यमंत्री ने जूस पिलाकर तोड़वाया था। उनके आश्वासन के बावजूद स्थिति यथावत बनी है। इस पर बतौर प्रभारी मंत्री सीपी सिंह ने निवेशकों के आने पर इस पर विचार करने की बात कही और प्रस्ताव वापस लेने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकार निवेशकों को हर तरह की सुविधा देने को तैयार है। इसपर कुशवाहा ने कहा कि जब सरकार शराब बेच सकती है तो व्यापार क्यों नहीं कर सकती।
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने भी शिवपूजन का साथ दिया। कहा कि सरकार पांच साल से बस प्रयास ही कर रही है। ग्लोबल समिट के आयोजन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, पर निवेशकों का ठिकाना नहीं। सरकार युवाओं को रोजगार देने का ढिंढोरा पीट रही है, परंतु सब छोड़ कर वापस लौट रहे हैं। स्पीकर ने एक बार फिर विधायक से अपना प्रस्ताव वापस लेने की अपील की, परंतु वे नहीं माने। नाराज विधायक ने कहा कि जब विधायकों की बात ही नहीं सुनी जाएगी तो विधानसभा में रहने का क्या मतलब।
इस पर स्पीकर ने चुटकी ली और इस्तीफा दे देने को कहा। विधायक पहले से ही इस्तीफा लेकर तैयार थे, जिसे तत्क्षण अध्यक्ष को सौंप दिया। इधर, शिवपूजन द्वारा इस्तीफा दिए जाने की बात को लेकर सदन में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। लोग दबी जुबान में कहते रहे, तीन महीने बाद जनता की अदालत में जाना है। ऐसे में इस्तीफे की पेशकश कहीं राजनीतिक पैतरा तो नहीं।
भाजपा विधायक ताला मरांडी के मामले में भी स्पीकर ने कराई वोटिंग
गैर सरकारी संकल्प के दौरान एक मौका ऐसा भी आया, जब प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व बोरियो विधायक ताला मरांडी के मामले में भी स्पीकर को वोटिंग करानी पड़ी। विधायक ने पाकुड़ जिले के पंचवारा कोल ब्लॉक की भूमि से संबंधित प्रश्न उठाया। उन्होंने जानना चाहा कि डब्ल्यूबीपीडीसीएल के लिए क्या भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। इस पर दिए गए उत्तर से विधायक संतुष्ट नहीं हुए और अपना सवाल वापस नहीं लेने पर अड़ गए। इस पर स्पीकर ने पक्ष-विपक्ष में हां या ना कहकर वोटिंग कराई और सवाल वापस नहीं लेने का प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया।
पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देने पर गर्म हुआ सदन
विधायक नागेंद्र महतो ने कहा कि अविभाजित बिहार में पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसद आरक्षण का प्रावधान था, झारखंड गठन के बाद इसे 14 कर दिया गया। उन्होंने सवर्णों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पांच फीसद लोगों के लिए जब 10 फीसद आरक्षण का प्रावधान हो सकता है तो 53 फीसद के लिए क्यों नहीं? यह भी तब जबकि इस मामले में पक्ष-विपक्ष दोनों ही सहमत हैं। विधायक नवीन जायसवाल ने भी नागेंद्र महतो की पैरोकारी की। उन्होंने महाराष्ट्र का हवाला देते हुए कहा कि आरक्षण का प्रतिशत 60 से भी बढ़ाया जा सकता है। इस पर बतौर प्रभारी मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि डाटा संग्रह करने का कार्य शुरू हो चुका है। इस पर स्टीफन मरांडी उठ खड़े हुए। कहा कि तो 14 फीसद क्या बिना डाटा के ही हो गया। इस बीच, राधाकृष्ण किशोर ने मामले को संभाला। स्पीकर ने भी इस पर टिप्पणी की। कहा कि जब मौका बहस का होता है तो आप सदन का बहिष्कार करते हैं और गैर सरकारी संकल्प के दौरान शोर मचाते हैं।
कहां है मसानजोर को देखने वालों की आंख निकालने वाली सरकार
विधायक नलिन सोरेन ने दुमका स्थित मसानजोर डैम और मयूराक्षी नदी पर पश्चिम बंगाल का कब्जा होने पर नाराजगी जताई। कहा कि आखिर सरकार इस मामले में कर क्या कह रही है। राज्य की कल्याण मंत्री व दुमका की विधायक डॉ. लुइस मरांडी ने डैम और नदी की ओर आंख उठाकर देखने वालों की आंखें निकालने की बात कही थी। कहां है सरकार, 144 मौजों के 5000 विस्थापितों की कौन सुधि लेगा? पश्चिम बंगाल ने 1949 में हुए समझौते को भी लागू नहीं किया। इस पर मंत्री रामचंद्र सहिस ने कहा कि इस मसले पर सरकार गंभीर है। बैठकों का सिलसिला निरंतर जारी है।
तीन देशों से 300 करोड़ का हो रहा कारोबार, 50 हजार लोग बेकार
विधायक राजकुमार यादव ने इस दौरान कोडरमा और गिरिडीह की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट कराया। कहा कि सरकार ने पिछले तीन महीने से ढीबरा बीनने पर रोक लगा दी है। इससे 50 हजार परिवार प्रभावित हो गए हैं। दूसरी ओर चीन, जापान, इंडोनेशिया आदि देशों में 300 करोड़ रुपये का ढीबरा एक्सपोर्ट हो रहा है। बिचौलिए लाल और स्थानीय बेहाल हो रहे हैं। ऐसे में सरकार यहां माइका प्रॉसेसिंग पाउडर कारखाना लगाए, ताकि लोगों को रोजगार मिले। ऐसा नहीं होने पर एक बार फिर उग्रवाद पनपेगा। इस पर प्रभारी मंत्री सीपी सिंह ने दो टूक कहा, सरकार की नीति में उद्योग लगाना नहीं, बल्कि निवेशकों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा आप निवेशक को बुलाएं, सरकार उनके लिए रेड कारपेट बिछाएगी।
गढ़वा में लगाएं सीमेंट फैक्ट्री और दुमका में हाइकोर्ट का बेंच
विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि गढ़वा के भवनाथपुर में एशिया का सबसे बड़ा चूना पत्थर का पॉकेट है। यहां क्रशर प्लांट, डैम, जमीन, रेलवे ट्रैक समेत सभी आधारभूत संरचनाएं मौजूद हैं। सिर्फ उसे चालू करने की जरूरत है। लाफार्ज, डालमिया तक ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे में सरकार चुनाव से पहले एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी करे। मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि सरकार कोशिश करेगी। स्टीफन मरांडी ने इस बीच दुमका में हाईकोर्ट के बेंच स्थापित करने की मांग दोहराई। कहा कि सरकार इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रही। इस पर मंत्री अमर बाउरी ने कहा यशवंत सिंह आयोग के मार्गदर्शन पर कार्रवाई हो रही है।
जमींदारी गई, रैयतों की हजारों एकड़ भूमि फंसी, सरकार लगाएगी कैंप
विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि जमींदारी प्रथा की समाप्ति के बाद रामगढ़ राजा ने रामगढ़, हजारीबाग और रांची की भूमि का रिटर्न दाखिल नहीं किया। ऐसे में राजा द्वारा रैयतों के पक्ष में जो भूमि की बंदोबस्ती की गई थी, दस्तावेज नहीं रहने से हजारों एकड़ भूमि फंस गई। मंत्री अमर बाउरी ने समिति बनाकर और कैंप लगाकर ऐसे मामलों के निष्पादन की बात कही।
रेडमड पौंड धंसने की हो सीबीआई जांच, विस में पीटीजी का हो प्रतिनिधित्व
विधायक सीमा देवी ने ङ्क्षहडाल्को के रेडमड पौंड धंसने के मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि मलबे में कितने लोग दबे हैं, अबतक पता नहीं। दीवार कमजोर है, मड खेत को बर्बाद कर रहे हैं। कुणाल षाडंग़ी ने इस मामले में विधायक का समर्थन किया। मंत्री ने सीपी सिंह ने इस मामले की आयुक्त स्तर से जांच चलने की बात कही। उन्होंने कहा कि जांच से संतुष्ट नहीं होने पर अन्य विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। विधायक शिवशंकर उरांव ने इस बीच विधानसभा में एंग्लो इंडियन की ही तरह आदिम जनजाति (पीटीजी) के प्रतिनिधित्व की मांग की। इसपर मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि पीटीजी भी जनजाति का ही हिस्सा हैं और विधानसभा में इनकी 28 सीटें हैं।
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