वित्तीय अनियमितता मामले में चार साल बाद भी एसीबी वहीं की वहीं
रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में वित्तीय अनियमितता के मामले में चार साल बाद भी अनुसंधान पूरा नहीं होने के एक मामले में लोकायुक्त ने अनुसंधानकर्ता को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है। अनुसंधानकर्ता एसीबी के डीएसपी डेविड सुनील मिंज पर कार्रवाई भी हो सकती है।
रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में वित्तीय अनियमितता के मामले में चार साल बाद भी अनुसंधान पूरा नहीं होने के एक मामले में लोकायुक्त ने अनुसंधानकर्ता को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है। अनुसंधानकर्ता एसीबी के डीएसपी डेविड सुनील मिंज पर कार्रवाई भी हो सकती है।
निगरानी थाना (अब एसीबी थाना) में 10 नवंबर 2014 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह कांड सहकारिता विभाग झारखंड के अधीन दुमका केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के सदस्यों व अन्य के माध्यम से सहयोग समितियों के फर्जी सदस्यों को फर्जी ऋण वितरण से संबंधित था। इसमें भ्रष्ट तरीके से पद का दुरुपयोग कर षड्यंत्रपूर्वक, धोखाधड़ी तथा जालसाजी के साथ सरकारी राशि का गबन किया गया था।
गत वर्ष छह जुलाई को एसीबी धनबाद के एसपी सुदर्शन प्रसाद मंडल व अनुसंधानकर्ता डीएसपी डेविड सुनील मिंज लोकायुक्त के कार्यालय में उपस्थित हुए थे। तब उन्हें तीन महीने के भीतर अनुसंधान पूरा करने का आदेश दिया गया था। 11 महीने के बाद भी अनुसंधान पूरा नहीं हुआ और अनुसंधानकर्ता ने और समय मांगा। अनुसंधान पूरा नहीं होने पर लोकायुक्त ने कड़ी टिप्पणी के साथ इसी 23 जुलाई 2018 को नोटिस जारी किया है कि वे व्यक्तिगत रूप से सशरीर उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें कि क्यों अब तक उन्होंने अनुसंधान पूरा नहीं किया। क्या वे अभियुक्तों को बचाना चाहते हैं।
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केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड दुमका के पूर्व एमडी रमोद भी हैं संदिग्ध :
लोकायुक्त कार्यालय को जो आवेदन प्राप्त हुआ था, उसके अनुसार केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड दुमका के तत्कालीन प्रबंध निदेशक रमोद नारायण झा संदिग्ध हैं। आवेदन के अनुसार अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन एमडी ने गुमला-सिमडेगा में जालसाजी कर 39 लाख रुपये की हेराफेरी की, दुमका, धनबाद, चाईबासा बैंक में गबन के बाद पुन: वेजफेड रांची में भी गबन किया। रांची के अशोक नगर में उनका आलीशान मकान है। उन्होंने आय से अधिक संपत्ति बनाई है, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
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