Lok Sabha Election 2019: सुभाष का दबदबा देख जनार्दन ने RJD को कहा बाय-बाय
Lok Sabha Election 2019. सुभाष प्रसाद के साथ रिश्ते में आई खटास बना बदलाव का सबब। चतरा विस सीट झाविमो के खाते में जाने की संभावना भी है बड़ी वजह।
चतरा, [जुलकर नैन]। Lok Sabha Election 2019 - राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव एवं चतरा के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान अंधकारमय भविष्य देखकर संगठन को बाय-बाय करने के लिए प्रेरित हुए। लालटेन छोड़कर अब भगवा रंग में रंग गए। चतरा की राजनीति में जनार्दन पासवान करीब ढाई दशक से सक्रिय भूमिका में रहे हैं। बिहार विधानसभा और झारखंड विधानसभा में उन्होंने चतरा का नेतृत्व किया है।
राजद के टिकट पर यहां से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं। हालांकि दो बार ही जीत मिली। एकीकृत बिहार में वे पहली बार 1995 में यहां विधानसभा उम्मीदवार बने थे। माकपा प्रत्याशी संतु दास की हत्या से चुनाव स्थगित हो गया था। कुछ माह बाद उपचुनाव में राजद उम्मीदवार की हैसियत से जनार्दन फिर मैदान में उतरे और विजयी हुए थे। 2000 में भाजपा उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता के हाथों मात खा गए थे।
इसके बाद 2005 के चुनाव में उन्होंने फिर राजद से भाग्य आजमाया। इस बार भी सफलता हाथ नहीं लगी। 2009 में वे भाजपा उम्मीदवार को रिकार्ड मतों से पराजित कर झारखंड विधानसभा पहुंचे। 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार से मात खा गए। 2009 का चुनाव जितने वोट से जीते से उससे अधिक वोट से हारते हुए तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बावजूद वे क्षेत्र और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। करीब दो वर्ष जब राजद का संगठन विस्तार हुआ, तो उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया।
इसी बीच चतरा की राजनीति में पटना के पुनपुन निवासी और बालू व्यवसायी सुभाष प्रसाद यादव का आगमन हुआ। सुभाष प्रसाद चतरा संसदीय क्षेत्र से स्वयं को राजद का उम्मीदवार घोषित करते हुए जनसंपर्क अभियान चलाना शुरू कर दिया। संगठन के नेताओं की उपेक्षा करते हुए वे अपने अभियान में जुटे रहे। इतना ही नहीं सुभाष प्रसाद दबाव की राजनीति करते हुए जनार्दन पासवान एवं अन्य स्थानीय नेताओं पर एकक्षत्र राज स्थापित करने के प्रयास में जुटे रहे।
जनार्दन पासवान एवं पार्टी के कई वरीय नेताओं ने इसकी शिकायत हाईकमान से की, लेकिन खास असर नहीं हुआ। यहीं से जनार्दन पासवान और सुभाष यादव के बीच खटास पनपने लगी। इस बीच महागठबंधन के फार्मूले में चतरा विधानसभा सीट झाविमो के खाते में जाने की संभावना देख जनार्दन ने भाजपा का दामन थाम लिया।