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Jharkhand: झारखंड में कोरोना के बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को खिलाई जाएगी आइवरमेक्टिन दवा

कोरोना के बिना लक्षण वाले और हल्के लक्षण वाले मरीजों को आइवरमेक्टिन (टैबलेट) दवा दी जाएगी। साथ ही काेरोना मरीजों के संपर्क में आनेवाले व्यक्तियों तथा कोरोना जांच व इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को भी संक्रमण से बचाने के लिए यह दवा दी जाएगी।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 05:22 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 05:22 PM (IST)
Jharkhand: झारखंड में कोरोना के बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को खिलाई जाएगी आइवरमेक्टिन दवा
कोरोना के बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को खिलाई जाएगी आइवरमेक्टिन दवा। प्रतीकात्मक तस्वीर

रांची (राज्य ब्यूरो) । कोरोना के बिना लक्षण वाले और हल्के लक्षण वाले मरीजों को आइवरमेक्टिन (टैबलेट) दवा दी जाएगी। साथ ही काेरोना मरीजों के संपर्क में आनेवाले व्यक्तियों तथा कोरोना जांच व इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को भी संक्रमण से बचाने के लिए यह दवा दी जाएगी। स्वास्थ्य सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी ने इसे लेकर सभी सिविल सर्जनों, मेडिकल कॉलेजों के पदाधिकारियों तथा नोडल पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने आइसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार, इस दवा का उपयोग करने को कहा है। यह दवा गर्भवती एवं धात्री महिलाओं एवं 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जाएगी।

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स्वास्थ्य सचिव द्वारा जारी आदेश में यह भी बताया गया है कि यह दवा किसे कब और कितनी डोज में दी जाएगी। इसके तहत कोरोना के बिना लक्षण वाले व हल्के लक्षण वाले मरीजों को भर्ती होने के प्रथम तीन दिन तक रात में भोजन के दो घंटे के बाद आइवरमेक्टिन दवा दी जाएगी। इसके साथ डाॅक्सीसाइक्लिन दवा दिन में दो या पांच दिनों तक दी जाएगी। डाॅक्सीसाइक्लिन भी गर्भवती एवं धात्री महिलाओं एवं 12 वर्ष के कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जाएगी।

वहीं, संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए व्यक्तियों को संक्रमण से बचाने के लिए पहले व सातवें दिन रात्रि के भोजन के दो घंटे के बाद आइवरमेक्टिन टैबलेट खिलाई जाएगी। कोरोना की जांच व मरीजों के उपचार में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को भी पहले, सातवें व 30 वें दिन तथा आवृत्ति क्रम में प्रति महीने में एक बार आइवरमेक्टिन दवा दी जाएगी। बताया जाता है कि इस दवा का इस्तेमाल कृमिनाशक दवा के रूप में भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल फाइलेरिया, इंफ्लूएंजा, डेंगू में भी किया जाता है।


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