PMO को पहले चिट्ठी लिखी-लोन चुकाने में मदद कीजिए, JOB नहीं मिलने से निराश युवक ने फिर दे दी जान
रांची में बीआइटी मेसरा के आइटी इंजीनियरिंग के छात्र ने बैंक कर्ज के दबाव में आकर अपनी जान दे दी।
रांची, जेएनएन। राजधानी रांची के बड़ा तालाब में बीते एक दिसंबर को मिली 25 वर्षीय युवक के शव की पहचान हो गई है। शव बीआइटी मेसरा के आइटी इंजीनियरिंग के छात्र शशिकांत सिन्हा पिता अनिल कुमार सिन्हा का निकला। नौकरी नहीं मिलने और बैंक कर्ज के दबाव में शशिकांत ने आत्महत्या कर ली थी। जान देने से पहले उसने पीएमओ को पत्र भेजा था। जिसमें 11 लाख लोन चुकता करने के लिए समय और प्रधानमंत्री राहत कोष से कुछ माफी की गुहार लगाई थी। बावजूद बेरोजगारी का दंश और परेशानी कम होता नहीं दिखाई देने पर घर से बीते 29 नवंबर की शाम निकल गया। 30 नवंबर को पूरे दिन लालपुर के कई कोचिंग इंस्टीट्यूट सहित प्रतिष्ठानों में नौकरी मांगी।
नौकरी की कोई आस दिखाई नहीं देने पर बड़ा तालाब पहुंचा और वहां डूबकर जान दे दी। दूसरे दिन तालाब से शव बरामद किया गया था। दो दिसंबर के अखबारों में लाश की तस्वीरें देख पिता अनिल सहित अन्य परिजनों ने शव की पहचान की। इसके बाद शव लेकर अंतिम संस्कार किया गया। शशिकांत की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता अनिल कुमार ने बताया है कि लोन के दबाव में शशिकांत डिप्रेशन में चला गया था। इससे उसकी मानसिक स्थिति भी बिगड़ गई थी। सीआइपी में उसका इलाज भी करवाया गया था।
पीएम को पत्र में कहा, मुझे थोड़ा समय दें अभी बेरोजगार
शशिकांत ने पीएमओ को लिखे पत्र में लिखा है कि फिलहाल मैं बेरोजगार हूं, मुझे थोड़ा समय चाहिए। नौकरी की तलाश में हूं। नौकरी कर ईमानदारी से लोन चुकता कर दूंगा। पीएमओ को लिखे पत्र के संबंध में परिजनों को तब जानकारी हुई, जब शशिकांत के बड़े भाई शिवकांत सिन्हा ने लैपटॉप खोला। उसमें देखा कि पीएमओ को एक पत्र भेजा गया है। जिसे ऑनलाइन कंप्लेन सिस्टम में दर्ज कराया गया है।
सात माह पहले भी घर छोड़ गया था शशिकांत
शशिकांत लोन के दबाव में पिछले आठ से दस महीनों से डिप्रेशन में चल रहा था। बीते 19 मई को वह घर छोड़कर चला गया था। हालांकि 30 मई 2019 की रात वह घर लौट आया था। उस समय परिजनों ने सुखदेवनगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। उसकी इस स्थिति पर परिजन काफी समझाते थे, लेकिन उसके दिमाग में बस लोन का दबाव और बेरोजगारी की समस्या था।
7.50 लाख लिया था लोन, ब्याज जुड़कर हो गए 11 लाख
शशिकांत के पिता ने बताया कि बीआइटी मेसरा में वर्ष 2014 में दाखिला के बाद उसके लिए 7.50 लाख का एजुकेशन लोन लिया गया था। पढ़ाई पूरी करने की अवधि में सेमेस्टर बैक व अन्य कारणों से समय पर कोर्स पूरा नहीं कर पाया। इसके बाद ब्याज की रकम के साथ लोन 11 लाख तक पहुंच गया। इसके बाद नोटिस आना शुरू हुआ। इसके बाद से ही शशिकांत डिप्रेशन में चला गया था। इधर, हाल में पिता के खाते को लोन एकाउंट में जोड़ दिया गया। इसके बाद उसका डिप्रेशन बढ़ गया था।
पढ़ें, पीएमओ को भेजे गए शशिकांत सिन्हा का पत्र
प्रिय महोदय, मैं शशिकांत सिन्हा रांची, झारखंड भारत का निवासी हूं। मैं मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो चुका हूं। बीआइटी मेसरा (2014-18) बैच का छात्र था। यहां दाखिले के लिए एसबीआइ दीपाटोली से 7.5 लाख का एजुकेशन लोन लिया था। कई समस्याओं के कारण कॉलेज की परीक्षा छूटी। कुछ में फेल हुआ। इससे समेस्टर पूरा नहीं हुआ। पढ़ाई जारी रखने के लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ी। इससे पढ़ाई छोड़ दी। फिर, नौकरी की तलाश की, लेकिन नहीं मिली। अब, बैंक के कर्ज का दबाव बढ़ गया। मेरे पिता के बैंक खाते को जब्त कर लिया गया है। एफआइआर दर्ज कराने की धमकी मिल रही है। लेकिन यह जानबूझकर डिफॉल्टर बनने का मामला नहीं है। मैं किसी तरह नौकरी करूंगा और खुद पूरा लोन चुकता करूंगा। फिलहाल इसके लिए सक्षम नहीं हूं। मेरी इस परेशानी पर किसी ने मदद के लिए नहीं पूछा। अब तनाव महसूस कर रहा हूं। आप या किसी और के साथ मदद के लिए संपर्क करने से डरता रहा हूं। लेकिन एक रुपया भी धोखाधड़ी का काम नहीं किया हूं, कानून के मुताबिक सभी काम करूंगा और पूरी ईमानदारी से लोन चुकाऊंगा। आपसे अनुरोध है कि मेरे इस लोन की राशि को चुकाने में मदद करें। हो सके तो मेरी परिस्थति को देखते हुए प्रधानमंत्री राहत कोष के तहत भुगतान कर इसे माफ कर दें। मैं विश्वास दिलाता हूं कि एक बार मैं सफलतापूर्वक नौकरी कर लूं, तो पूरा लोन चुका दूंगा।
मैं समस्याओं से, भय से, चिंता से और समस्या को अपने पास रखने से बचने की कोशिश कर रहा हूं। मैं अलग-अलग विचारों और तनाव में फंसा रहता हूं। मैं केवल अपने बारे में सोचता हूं और दूसरों को छोड़ देता हूं। अब नौकरी की तलाश में भी बाहर जाने की सोच रहा हूं। आर्थिक परेशानी व दबाव के कारण सामाजिक जीवन रुक गया। अवसादग्रस्त रहा और फिर मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया। इसकी वजह से इलाज के लिए सीआइपी जाना पड़ा। मैं अगर अपनी परीक्षा पास करता तो हर परेशान लोगों की मदद करता, न्याय लाता, समाज में कानून-व्यवस्था लाता। लेकिन सबकुछ बिगड़ता चला गया। इसलिए सबकुछ छोडऩे का निर्णय किया। मेरे लोन की राशि बढ़ती गयी, अब मैसेज आ रहे हैं। बहुत हिम्मत करके लिखा हूं सर, प्लीज मदद करें।