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Jharkhand Assembly Election 2019: इस बार वोट झारखंड के लिए... स्थानीयता नीति ने खोले द्वार, पर अब भी रोजगार का इंतजार

Jharkhand Assembly Election 2019. युवाओं को मिले रोजगार में क्वांटिटी है पर क्वालिटी नहीं। उच्च शिक्षा व नौकरी के लिए पलायन अब भी मजबूरी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:28 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:28 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: इस बार वोट झारखंड के लिए... स्थानीयता नीति ने खोले द्वार, पर अब भी रोजगार का इंतजार
Jharkhand Assembly Election 2019: इस बार वोट झारखंड के लिए... स्थानीयता नीति ने खोले द्वार, पर अब भी रोजगार का इंतजार

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 - स्नातकोत्तर में अपने विषय में टॉपर रहे जीवेश (बदला हुआ नाम) प्रत्येक दिन झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की वेबसाइटें खंगालते हैं। अखबारों में किसी खास प्रतियोगिता परीक्षाओं को लेकर फोन भी करते हैं कि आज इस संबंध में कोई खबर है या नहीं? झारखंड हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर भी उनकी नजर है। योग्यता और क्षमता होते हुए भी एक अदद नौकरी की तलाश में हर नए दिन का इंतजार करते हैं।

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जी हां! झारखंड में बड़ी संख्या में युवाओं की यह स्थिति है। उनका पहला लक्ष्य उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद रोजगार पाना होता है। लेकिन, इसमें अक्सर आयोगों की लेटलतीफी, अनियमितता और नियमावली बनाने में विभागों की सुस्ती और लापरवाही बाधक बनती रही है। झारखंड में स्थानीयता नीति लागू होने के बाद निश्चित रूप से नौकरियों के द्वार खुले हैं। खासकर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर।

बड़ी संख्या में नियुक्तियां हुईं भी। इसके बावजूद जहां विभिन्न सरकारी विभागों व कार्यालयों में हजारों पद रिक्त हैं, वहीं लाखों युवा नौकरी के इंतजार में हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए युवाओं का पलायन अब भी जारी है। राज्य में आवश्यक संख्या में कॉलेजों व शिक्षण संस्थानों की अनुपलब्धता से यह स्थिति है। हालांकि, हाल के वर्षों में कई नए विश्वविद्यालय, कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थान खुले हैं, कई निर्माणाधीन भी हैं।

इसके बावजूद, अभी भी यहां 18-23 आयु वर्ग के एक लाख छात्र-छात्राओं पर महज आठ कॉलेज ही उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय औसत की बात करें, तो यह 28 है। हाल ही में जारी ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचई) 2017-18 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

राज्य में युवाओं के भटकाव की भी बड़ी समस्या रही है। हालांकि, कभी नक्सलियों-उग्रवादियों का गढ़ माने जाने वाले इस राज्य में आज उनकी गतिविधियों पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है। भटके हुए युवाओं को मुख्य धारा में लाने के प्रयास का ही यह नतीजा है।

19 साल, सिविल सेवा परीक्षा सिर्फ पांच

झारखंड में उन्नीस वर्षों में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की महज पांच सिविल सेवा परीक्षा पूरी हो पाई है। चार-पांच साल से छठी सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया कई बाधाओं से जूझती हुई आगे बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि जो युवा इस परीक्षा की तैयारी में अपना जीवन लगा देते हैं, उनका क्या होगा? समय पर परीक्षाएं नहीं होने से उनकी आयु बीत जाती है और वे बेरोजगार रह जाते हैं। छठी सिविल सेवा परीक्षा की ही बात करें, तो यह हमेशा विवादित रहने के कारण पांच वर्ष में भी पूरी नहीं हो सकी है।

भले ही इसकी मुख्य परीक्षा हो चुकी है, लेकिन कोर्ट ने पीटी (प्रारंभिक परीक्षा) के संशोधित परिणाम के आधार पर ही मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने का आदेश दे दिया है। अब इसपर कानूनी राय ली जा रही है। इस बीच इस परीक्षा की प्रक्रिया में कई बार बदलाव किए गए। प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम तक जारी करना पड़ा। मामला विधानसभा में भी उठा। इससे पहले, पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा पूरी होने में भी कई वर्ष लग गए थे।

इन्हीं सब कारणों से राज्य गठन से लेकर अबतक जहां 18-19 सिविल सेवा परीक्षा होनी चाहिए थी, अभी तक महज पांच परीक्षाएं ही सही मायने में पूरी हो पाई हैं। उनमें दो परीक्षाएं विवादित रहीं और उनकी सीबीआइ जांच चल रही है। राज्य के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दूबे की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय कमेटी ने वर्ष 2014 में ही अपनी रिपोर्ट में सिविल सेवा परीक्षा प्रत्येक वर्ष आयोजित करने की अनुशंसा की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

तीन वर्षों की संयुक्त परीक्षा से बढ़ी उम्मीद

जेपीएससी ने तीन वर्षों की रिक्तियों के आधार पर एक साथ सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है, जो सराहनीय कदम है। इसके तहत वर्ष 2017, 2018 व 2019 के लिए एकीकृत संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की जाएगी। लेकिन, विभाग आयोग को रिक्तियां भेजने में भी सुस्ती बरत रहे हैं।

मोमेंटम झारखंड, स्किल समिट से बढ़ी उम्मीद

युवा शक्ति को रोजगार देकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना किसी भी सरकार का लक्ष्य होना चाहिए। राजनीतिक नेतृत्व से भी इसकी मांग होती है। झारखंड में 'मोमेंटम झारखंड' के तहत राज्य में अवश्य कुछ क्षेत्रों में छोटे-छोटे उद्योग लग रहे हैं। राज्य में जितने उद्योग लगेंगे, रोजगार के अवसर भी बढ़ते जाएंगे। राज्य में पिछले वर्ष आयोजित 'स्किल समिट' में 26,674 युवाओं को विभिन्न कंपनियों में रोजगार देकर रिकार्ड बनाया गया। उस समय इसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया।

इस वर्ष भी आयोजित 'स्किल समिट' में यह संख्या 1,06,619 हो गई। इन कार्यक्रमों में स्किल डवलपमेंट का प्रशिक्षण लेने  वाले बड़ी संख्या में युवाओं को निजी कंपनियों में नौकरियां दी गईं। लेकिन, सवाल इसपर भी उठते रहे कि महज दस से पंद्रह हजार रुपये मासिक वेतन पर महानगरों में नौकरियां मिलीं। दावा किया गया कि पिछले दो वर्षों में विभिन्न विभागों द्वारा कौशल विकास के माध्यम से 1,90,000 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया।

युवाओं में नए आइडिया की भरमार, अवसर की दरकार

झारखंड के युवाओं में नए आइडिया की भरमार है। जरूरत उन्हें संसाधन और अवसर उपलब्ध कराने की है। हालांकि, हाल के वर्षों में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए नीति लागू करने के साथ-साथ कई कदम उठाए गए हैं। रांची में इनोवेशन लैब भी स्थापित किए गए हैं। लेकिन, इसमें अभी काफी काम किया जाना बाकी है। बीपीओ को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। राज्य में हाल के वर्षों में कई बीपीओ की शुरुआत हुई है। इनमें बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिला है।

अगस्त माह में कई बीपीओ/बीपीएम (बिजनेस प्रॉसेस आटसोर्सिंग/बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) तथा छह स्टार्टअप कंपनियों के साथ राज्य सरकार का करार हुआ। इससे राज्य के साढ़े पंद्रह हजार हजार युवाओं के रोजगार मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। राजधानी रांची में आइटी (इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) पार्क प्रस्तावित है। रांची के बाद जमशेदपुर, धनबाद, देवघर तथा बोकारो में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क की स्थापना हो रही है। इससे निश्चित रूप से आइटी के क्षेत्र में काम करने को इच्छुक युवाओं के लिए नए द्वार खुलेंगे।

इनसे युवाओं के लिए बनेंगी संभावनाएं

  • तकनीकी क्षेत्र में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) की महत्ता देखते हुए पांच पॉलीटेक्निक संस्थानों में इसका प्रशिक्षण शुरू किया गया है।
  • रांची स्थित साइंस सेंटर में इनोवेशन हब की स्थापना की जा रही है। इससे युवाओं के नए आइडिया परवान चढ़ेंगे।
  • इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनेवाले युवाओं में रोजगार प्राप्त करने की संभावना बढ़ाने के लिए सीमेंस के सहयोग से तीन कलस्टर स्थापित किए जा रहे हैं। इसके तहत बीआइटी सिंदरी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तथा भागा, निरसा, धनबाद, कोडरमा तथा दुमका में स्थित टेक्निकल स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है।

एक्सपर्ट व्यू

कॉलेजों में स्किल डेवलपमेंट पर देना होगा जोर

झारखंड में बड़ी संख्या में युवाओं की समस्या उच्च शिक्षा प्राप्त कर बेरोजगारी की जिंदगी जीना है। इससे उनमें हताशा की भावना आती है। इससे निजात पाने के लिए झारखंड के कॉलेजों में स्किल डवलपमेंट पर जोर देना होगा। अभी झारखंड के कॉलेजों में शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन ऐसी शिक्षा नहीं है, जो रोजगार भी दे सके। दिल्ली, बेंगलुरु जैसे शहरों में कॉलेज से डिग्री लेते ही प्लेसमेंट हो जाता है। एमकॉम की डिग्री है, तो आराम से पांच से सात लाख सालाना का पैकेज मिल जाता है।

ऐसी बात झारखंड के कॉलेजों में देखने को नहीं मिलती। यहां के कॉलेजों के शिक्षक युवाओं की जिज्ञासा और उनकी समस्याओं को भी समझने का प्रयास नहीं करते। इस ओर ध्यान देना होगा। यहां के युवाओं के पास कई नए आइडिया होते हैं। वे उनके माध्यम से आगे बढ़ सकते हैं। ऐसे युवाओं को बैंक से लोन आदि दिलाकर उनके स्टार्ट अप को बढ़ावा देकर उनके आइडिया को मुकाम तक पहुंचाया जा सकता है।

स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए यहां जरूर कई कदम उठाए गए हैं। ये योजनाएं धरातल पर भी उतरनी चाहिए। इसका प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक उत्साही युवा इसका लाभ ले सकें। -अजय दीप बाधवा, वरीय प्रबंधक (वित्त), पूर्व अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वक्र्स एकाउंटेंट, पूर्वी भारत।


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