हम बदल नहीं पाए सिस्टम- एक आइपीएस की पत्नी की व्यथा
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए आइपीएस राकेश बंसल की पत्नी की टिप्पणी चर्चाओं में, दस साल से तैनात थे राज्य में, कई महत्वपूर्ण स्थानों पर रहे एसपी।
राज्य ब्यूरो, रांची : 'हम हरेक वर्ष बच्चे का स्कूल बदलते रहे। पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना काम यही सोचकर किया कि हम बेहतरीन करेंगे लेकिन राज्य के सिस्टम ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया'- झारखंड में व्यवस्था पर चोट करती यह पीड़ा है झारखंड कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राकेश बंसल की पत्नी मेघना बंसल के। राकेश बंसल ने लगभग दस साल राज्य में सेवाएं दी है और वे इस दौरान धनबाद, गोड्डा, गुमला, देवघर सरीखे जिलों के पुलिस अधीक्षक के पद पर भी रहे।
मेघा बंसल ने अपनी बातें फेसबुक पोस्ट पर साझा की है। वह लिखती हैं- यहा की बदहाल सिस्टम के कारण हमने अपना उत्साह जरूर खोया लेकिन उम्मीद कायम थी। लेकिन 10 साल के बाद अब उम्मीद हमने खो दी। सिस्टम में पक्षपात करने वाले निर्णय का हमें शिकार होना पड़ा। हम हरेक वर्ष बच्चे का स्कूल बदलते रहे। पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना काम यही सोचकर किया कि हम बेहतरीन करेंगे लेकिन राज्य के सिस्टम ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हमारा सफर उसूलों के साथ 2007 में आरंभ हुआ। कोशिश थी कि यहां के लोगों की जिंदगी में कुछ सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। हमने कड़ी मेहनत के साथ अच्छे काम शुरू किए। हमने त्याग कर लोगों के दिल जीते। मेरे अकेलेपन के बारे भी किसी ने नहीं सोचा। हर साल हम अपने बच्चे का स्कूल बदल रहे थे। महसूस होने लगा कि हमने जो समय यहा गुजारे वह किसी काम के नहीं थे। हम जो विश्वास लेकर झारखंड आए थे, वह बदल चुका। झारखंड के अपने पूरे सफर में हमलोग थोड़ा भी बदलाव नहीं ला सके, परंतु झारखंड ने हमें जरूर बदल दिया।