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'बंदूक चमकाने और ठेकेदारी करने वालों के लिए काग्रेस में जगह नहीं'

एक व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में इतनी विविधता बिरले ही देखने को मिलती है। मेडिकल करने के बाद इन्हों

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Nov 2017 01:04 AM (IST)Updated: Mon, 20 Nov 2017 01:04 AM (IST)
'बंदूक चमकाने और ठेकेदारी करने वालों के लिए काग्रेस में जगह नहीं'
'बंदूक चमकाने और ठेकेदारी करने वालों के लिए काग्रेस में जगह नहीं'

एक व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में इतनी विविधता बिरले ही देखने को मिलती है। मेडिकल करने के बाद इन्होंने भारतीय पुलिस सेवा को चुना। अविभाजित बिहार के तेजतर्रार और परिणामपरक पुलिस अफसरों में डॉ. अजय कुमार शुमार थे, छवि एकदम रॉबिनहुड जैसी। पुलिस की नौकरी छोड़ी तो कॉरपोरेट जगत में हाथ आजमाया। वहा से सीधे राजनीति के मैदान में कूदे और पहली बार में ही संसद की दहलीज तक पहुंचे। राजनीति की शुरुआत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मराडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से की लेकिन क्षेत्रीय दल का दायरा इन्हें रास नहीं आया और काग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता की महती जिम्मेदारी सौंपी। अब उनके कंधे पर सूबे में लगातार नीचे खिसक रही काग्रेस की जिम्मेदारी है। आलाकमान ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। मूलत: कर्नाटक के रहने वाले डॉ. अजय कुमार इसे भी एक चुनौती के रूप में लेते हैं। स्पष्टवादी डॉ. अजय कहते हैं-राजनीति सेवा और दूसरे को राहत पहुंचाने का माध्यम होना चाहिए। झारखंड में काग्रेस के लिए संभावनाएं अपार है। पार्टी की चुनौतियों, प्राथमिकताओं समेत भविष्य की कार्ययोजना पर डॉ. अजय कुमार से विस्तार से बातचीत की प्रदीप सिंह ने।

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काग्रेस आलाकमान ने आपको प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया है। इस जिम्मेदारी को सफलता से निभाने के लिए आपने क्या प्राथमिकताएं तय की हैं?

काग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और इसका स्वरूप अखिल भारतीय है। हर पंचायत, प्रखंड और जिले में संगठन की मौजूदगी है। इसे और सक्रिय करना मेरी प्राथमिकता है। जब हम रोजमर्रा के कामकाज में आमलोगों के लिए समय निकालेंगे तो पार्टी का जनाधार बढ़ेगा। समर्थन का दायरा और विस्तृत होगा। इसकी पूरी गुंजाइश है। मुझे सबका सहयोग मिला है। हमारे संगठन प्रभारी आरपीएन सिंह काफी अनुभवी हैं। उनके साथ मिलकर संगठन को हर बूथ तक ले जाना है। हम तभी पार्टी को मजबूत मानेंगे जब हर गाव और हर बूथ के क्षेत्र में कम से कम काग्रेस का दस झडा लगें। संगठन से जुड़े लोग काफी अच्छे हैं और वे नई उत्साह और ऊर्जा के साथ काम में जुटेंगे।

किस प्रकार अपनी शुरूआत करेंगे। झारखंड में संगठन के कई इश्यू हैं जिसपर पार्टी के नेताओं का विरोधभास सामने आता रहा है।

संगठन के लिए यह कोई इश्यू नहीं है। सबसे बड़ी बात है सक्रियता की। जो स्थिति राज्य में सत्ताधारी दल की है उसमें काग्रेस को आम जनता के साथ मिलकर काम करना होगा। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवाओं में निराशा है। उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा को सरकार नजरंदाज कर रही है। यह सारे सवाल मध्यम वर्ग के हैं जो इनसे रोजाना जूझता है। कल्याणकारी योजनाओं में आधार को जोड़ दिया गया। अब आप बताइये, क्या इंटरनेट की उपलब्धता सभी जगहों पर है? शहर में नेटवर्क कमजोर है। बेचारा गरीब आदमी ब्लॉक का चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है। आठ-नौ सौ रुपये लेने के लिए वह शहर आकर आधार से लिंकेज नहीं कराएगा। सभी पालिटिकल पार्टियों को यह समझना होगा। हम इसे लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकते हैं। कहीं कोई विरोधाभास नहीं है। सबको जिम्मेदारी सौंपी गई है। आपको इसका परिणाम जल्द देखने को मिलेगा।

लेकिन राजनीति में आने की जो आपाधापी है उसमें रचनात्मक या जनमुद्दे को लेकर आवाज उठाने की प्रवृत्ति कमजोर हो रही है। आप इसे कैसे दुरुस्त करेंगे?

-हमने साफ कर दिया है। सिर्फ पोस्टर और बैनर में नाम चाहिए तो काग्रेस में काम मत करिए। काग्रेस में काम करना है तो संगठन के संस्थापकों के जीवन दर्शन को ध्यान में रखना होगा। यह मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मेरे आगे-पीछे करने से भी कोई फायदा नहीं होगा। मैंने समय तय कर दिया है। हर गुरुवार सुबह ग्यारह बजे से शाम सात बजे। मेरे दरवाजे खुले रहते हैं। कोई भी आकर मिल सकता है, अपनी बात रख सकता है।

जिलों के स्तर पर संगठन को कैसे सक्रिय करेंगे। कई स्थानों पर गतिविधिया महज रस्मी है। लोग आपस में एक-दूसरे की टाग खींचते रहते हैं।

-हमें काम करने वाले हाथ चाहिए, राजनीति होती रहेगी बाद में। जनता के सवालों से जुड़ना होगा। अगर आम जनता का मुझसे भला नहीं हुआ तो राजनीति करने का कोई औचित्य नहीं है। हम ऐसे लोगों को ऊपर से लेकर नीचे तक चुनेंगे जो जनता का काम करेंगे। जिलाध्यक्ष अगर रोजाना उपायुक्त से बात कर लोगों की समस्याएं नहीं रखते हैं तो उनके बने रहने का कोई तुक नहीं है। जिसको चुनाव लड़ना है वह जनता का काम करें। पार्टी में सिर्फ बंदूक चमकाने वालों और ठेकेदारी करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। राजनीति में आएं हैं तो यह सोचना होगा कि आखिर क्यों राजनीति करना चाहते हैं? सिर्फ ठेका-पट्टा और झूठे दिखावे के लिए या जनता के लिए कुछ काम करने का भी कोई जज्बा है। हम ये सारे मापदंड सख्ती से तय करेंगे। जिनको संगठन में रहना है उन्हें यह करना होगा। आदमी के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

आप जो बातें कह रहे हैं वह आदर्श पक्ष है। यह रोजमर्रा के राजनीतिक व्यवहार अथवा आचरण में नहीं दिखता।

-आप सही कह रहे हैं लेकिन आप देखिये कैसी संतुष्टि मिलती है आम आदमी से जुड़कर काम करने की। मुझे कई लोग मिलते हैं जो धन्यवाद देते हैं। उन्हें मुझसे राहत मिली। यही मेरे लिए संतुष्टि का कारण है। मैं हाल ही में जमशेदपुर के पास बहरागोड़ा में था। एक व्यक्ति मेरे पास आया। मैं उन्हें नहीं पहचानता था लेकिन उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया कि उनका कृत्रिम पांव मैंने लगवाया था। मेरे जेहन में यह बात नहीं थी लेकिन मैंने सोचा कि आम आदमी कितनी अपेक्षाएं रखता है राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं अथवा अपने एमपी-एमएलए से। अगर आप उनकी अपेक्षा पर खरे नहीं उतरते हैं तो यह उनके साथ धोखा होगा। यही बात काग्रेस कार्यकर्ताओं को समझना पड़ेगा। सिर्फ और सिर्फ पब्लिक के लिए काम करो।

राज्य सरकार के कामकाज पर क्या कहेंगे? अन्य विपक्षी दलों के साथ तालमेल की गुंजाइश है।

-अभी तालमेल पर कुछ नहीं कह सकते। नीतिगत मामले पार्टी आलाकमान तय करती है। मेरा इतना ही कहना है कि जनता कष्ट में है। यह विपत्ति चौतरफा है। लोग निराशा में हैं। उन्हें निराशा के अंधकार से बाहर लाना ही होगा। जो सरकार अभी झारखंड में सत्ता में है उससे लोगों का विश्वास उठ चुका है। काग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और लोगों को गोलबंद करना चाहिए। जनता इन्हें सत्ता से बाहर कर देगी। लोगों की भावनाओं को आवाज देना होगा। हम इसी मुहिम में जुटेंगे। मैं 21 नवंबर को राची आऊंगा। पार्टी के साथियों संग बैठकें करूंगा और एक-एक कोने में जाऊंगा। चैन से नहीं बैठना है। संगठन को मजबूत कर बेहतर रिजल्ट देना है। मैं बस इतना जानता हूं कि जनता इंतजार कर रही है। उनकी बातों को रखने वाला, ऊपर तक पहुंचाने वाला व्यक्ति होना चाहिए। काग्रेस इस जिम्मेदारी को निभाएगी। हम सबके प्रयास से संगठन को सशक्त करेंगे और झारखंड को बेहतर विकल्प भी देंगे।


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