बीच बाजार लूट-पिट जाती हैं 78% युवतियां, मनचले करते हैं गंदा काम...
International Womens Day 2021 महिला हिंसा को लेकर झारखंड में आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यहां युवतियों से दुष्कर्म हत्या से लेकर डायन - बिसाही तक में बेखौफ अपराध दर्ज किए जाते रहे हैं। एक साल में राज्य में 1400 से अधिक दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए।
रांची, जेएनएन। International Women's Day 2021 महिला हिंसा को लेकर झारखंड में आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यहां युवतियों से दुष्कर्म, हत्या से लेकर डायन - बिसाही तक में बेखौफ अपराध दर्ज किए जाते रहे हैं। महिला हमेशा से हिंसा की बलि चढ़ती रही है। पिछले एक साल में राज्य में 1400 से अधिक दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं। महिला अधिकारों के प्रति आवाज उठाने वाली एक संस्था ब्रेक थ्रू की ओर से जारी की गई स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों, पब्लिक प्लेस पर 78.4% महिलाओं ने किसी न किसी रूप में हिंसा झेली है। वहीं 38.5% महिलाएं ऐसी जगहों पर अपने आपको अकेला पाकर ऐसी हिंसा को चुपचाप सह गईं। ऐसी महिलाओं को अपने साथ होने वाली हिंसा को रोकने के बारे में साफ तौर पर कुछ पता नहीं था कि उन्हें अब आगे करना क्या है।
महिला हिंसा के प्रति लड़कियों, युवतियों और महिलाओं को जगाने वाली संस्था ब्रेक थ्रू ने अपने स्टडी रिपोर्ट में बताया है कि आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं घर से बाहर तक हिंसा का शिकार हो रही हैं। वो घरों में ही नहीं पब्लिक प्लेसेज पर भी ज्यादती का सामना कर रही हैं। संस्था का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अस्वीकार्य बनाने के लिए सबको खुलकर आगे आने चाहिए। महिलाओं से बर्ताव-व्यवहार को लेकर ब्रेकथ्रू इंडिया की ओर से बायस्टेंडर बिहेवियर पर जारी की गई पहली स्टडी में कई चौंकाने वाली बातें लिखी गई हैं।
इस स्टडी में कुल 721 महिलाओं का ऑनलाइन सर्वे किया गया है। इनमें 91 महिलाओं ने सीधे-सीधे सारे सवालों के जवाब दिए। इसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना की महिलाएं शामिल हुईं। सर्वे में शामिल अधिकतर प्रतिभागियों ने सार्वजनिक तौर पर होने वाली महिला हिंसा को मौखिक, शारीरिक, मानसिक, यौन शोषण से जुड़ा हुआ बताया है। इस तरह की हिंसा के लिए पुरुषवादी मानसिकता को जिम्मेदार ठहराया गया है। ब्रेकथ्रू संस्था की ओर से कहा गया है कि महिलाओं को जगाने के उसके अभियान का उद्देश्य है कि समाज के लोग महिला हिंसा को निजी मामला न मानते हुए इसे सामुदायिक मुद्दा मानें और साझा जिम्मेदारी निभाते हुए इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करें।
ब्रेकथ्रू के ऑनलाइन सर्वे में ये आया सामने
- 54 फीसद लोगों ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर महिला हिंसा के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई।
- 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हिंसा की शिकार महिला/युवती को उन्होंने परेशानी में देखा।
- 67 फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने महिला हिंसा रोकने के लिए हस्तक्षेप किया और हिंसा रुक गई।
- 78 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर उन्होंने हिंसा का अनुभव किया है।
- 68 फीसद महिलाओं ने कहा कि ऑटो, बस, टैक्सी, ट्रेन में उत्पीड़न या हिंसा का अनुभव किया है।
- 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि महिला हिंसा सामने हुई लेकिन हस्तक्षेप नहीं किया। उन्हें नहीं पता कि करना क्या है।
- 31 फीसद महिलाओं ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा के बारे में अधिक चिंतित रहीं।
- 11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें पुलिस/कानूनी मामलों में घसीटा जाएगा, इसलिए इग्नोर किया।
अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 120 महिलाएं होंगी सम्मानित
माही केयर फाउंडेशन के द्वारा 120 महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। फाउंडेशन के अध्यक्ष आशीष रंजन ने बताया कि अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संस्था समाज के हर क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाली महिलाओं को स्थानीय रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप मोरहाबादी में दिन 2 बजे सम्मानित की जाएंगी। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू, रांची सांसद संजय सेठ जी, रांची विधायक सीपी सिंह, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय आदी उपस्थित रहेंगी। सम्मानित होने वालों में मुख्यरुप सें रांची मेयर आशा लकड़ा, आरती कुजूर, महुआ माजी, निकिता सिन्हा, वंदना कुमारी, स्मिता गुप्ता, रजनी बक्सि, आरती कुमारी, शर्मिला सिंहा, कहकसां आमरीन,ममता कुमारी, अल्का रानी, निशि देवी, पूनम महली, गीता देवी, रीता नायक, उषा देवी, मंजूला खलखो, कुसुम देवी समेत अन्य महिलाएं शामिल हैं।