अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस: एक ही छत के नीचे रहता है 58 सदस्यों का परिवार
1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मई की 15 तारीख को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की। ऐसे में फिर से समाज में संयुक्त परिवार की अहमियत बताने की कोशिश की जा रही है
रांची, जेएनएन। आज के दौर में संयुक्त परिवार को संजोए रखना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है, जबकि भारतीय संस्कृति की बुनियाद ही परिवार से है। ऐसे में जब चुनौती गहरा रही है, तो परिवार की अवधारणा को मजबूती देने के लिए 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मई की 15 तारीख को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की। ऐसे में फिर से समाज में संयुक्त परिवार की अहमियत बताने की कोशिश की जा रही है। अपनी रांची में ही कई ऐसे संयुक्त परिवार हैं, जो आज दूसरों के लिए उदाहरण बने हुए हैं।
साथ रह रहे चार पीढ़ियों के 58 सदस्य
एफजेसीसीआई के कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण जैन के परिवार में कुल 58 सदस्य हैं। सभी एक साथ एक छत के नीचे रहते हैं। यहां नियम है, जिसका कठोरता से पालन भी किया जाता है। पूरा परिवार दिन में एक बार साथ खाने पर जरूर बैठता है। सुनिश्चित किया जाता है कि सभी परिवार के सदस्य एक-दूसरे के हर पहलू को यहां साझा कर सकें। प्रवीण कहते हैं कि संयुक्त परिवार का फायदा सबसे अधिक है। किसी तरह की कोई चिंता नहीं होती है। दिनभर आपके आसपास आपके अपने रहते हैं। परिवार के सदस्यों से ज्यादा कौन किसकी मदद कर सकता है। सभी एक साथ रहते हैं। सभी एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आते हैं। बच्चों को भी बाहरी दोस्तों की जरूरत नहीं होती है। एक साथ मिलकर पूरी टीम बना लेते हैं। खेल का रंग जमता है। बच्चे भी खुश रहते हैं। एकल परिवार में यह खुशियां कहां से मिलेंगी। संयुक्त परिवार का अपना महत्व है। इसे कायम रखना हम सभी की जिम्मेदारी हैं।
दादा, बडे़ दादा का परिवार रहता है एक साथ
प्रवीण जैन ने बताया कि दादा स्वर्गीय रूपचंद जैन छाबड़ा और बडे़ दादा मदनलाल जैन के समय से पूरा परिवार एक साथ रह रहा है। चार पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। 58 परिवार के सदस्य अभी भी एक साथ रहते हैं। संयुक्त परिवार का ऐसा रूप कम ही देखने को मिलेगा। संयुक्त परिवार में रहने वाले ही संयुक्त परिवार की खासियत के बारे में जान सकेंगे। अधिक सदस्य होने के कारण परिवार के व्यवसाय को भी आगे बढ़ाने में सहुलियत मिलती है।
विजयवर्गीय परिवार करता है अपने हर बच्चे की फरमाइश पूरी
कोकर के विजयवर्गीय परिवार में अभी कुल 15 सदस्य हैं। इसमें से छह बच्चे हैं। घर पर सबसे बड़ी मां है। साथ में चार भाई और उनका पूरा परिवार। आज के समय में यह परिवार पूरी तरह मिसाल पेश करता है। परिवार के सदस्य मिलकर रहते हैं, तो सुख-दुख भी साथ निभाया जाता है। यहां न आर्थिक तंगी दिखती है और न किसी तरह की बाहरी मदद की जरूरत। परिवार के लोग एक-दूसरे का साथ निभाते हैं। परिवार के सदस्य विकास विजयवर्गीय कहते हैं कि पिताजी स्वर्गीय सोहन लाल विजयवर्गीय का अपना सपना था। वे मनाते थे कि संयुक्त परिवार का कोई तोड़ नहीं हो सकता है। उन्हीं की सोच पर हम आगे बढ़ रहे हैं। आज घर में छह बच्चे हैं।
सभी की फरमाइश हर समय अलग होती है, लेकिन फिर भी उनकी हर मांग समय पर पूरी की जाती है। संयुक्त परिवार का अपना फायदा है। बाहरी मदद की जरूरत नहीं के बराबर होती है। हर तरह की समस्या का हल परिवार में ही निकल जाता है। किसी के बाहर आने- जाने से भी परिवार पर असर नहीं पड़ता है। सभी पूरी तरह से निश्चिंत रहते हैं। परिवार में हर उम्र के लोग मौजूद हैं। बच्चों से पूरा घर भरा रहता है। इसका भी अपना अलग महत्व है। आज के समय में ऐसा परिवार कम ही देखने को मिलता है। भारत जैसे देश में यह स्थिति चिंताजनक है।