बिना स्वच्छता प्रमाण पत्र के ही इंस्पेक्टर को डीएसपी में कर दिया प्रोन्नत, 4 महीने बाद हुआ खुलासा
गृह रक्षा वाहिनी के कुल सात इंस्पेक्टर में से केवल छह इंस्पेक्टर को ही स्वच्छता प्रमाण पत्र मिला था। सातवें इंस्पेक्टर विनय कुमार थे जिन्हें स्वच्छता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। गृह रक्षा वाहिनी के इंस्पेक्टर विनय कुमार को बिना स्वच्छता प्रमाण पत्र मिले ही डीएसपी में प्रोन्नत कर रांची का जिला समादेष्टा बना दिया गया। इसका खुलासा प्रोन्नति के चार महीने के बाद तब हुआ, जब सूचना के अधिकार के तहत लोकायुक्त कार्यालय ने यह जानकारी दी। विनय कुमार के विरुद्ध लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के दो मामले लंबित हैं। इतना ही नहीं, निगरानी कोर्ट में भी एक मामले में पांच नवंबर को अगली सुनवाई है।
झारखंड गृह रक्षा वाहिनी के इंस्पेक्टर विनय कुमार को इसी 30 मई को जिला समादेष्टा के पद पर प्रोन्नति दी गई थी। गृह विभाग ने जारी अधिसूचना में बताया था कि 15 मई को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित प्रोन्नति समिति की बैठक में विनय कुमार को प्रोन्नति देने का फैसला हुआ था, जिसके आलोक में यह प्रोन्नति दी गई।
जेपीएससी ने सूचना के अधिकार के तहत दी गलत जानकारी
विनय कुमार को प्रोन्नति की अनुशंसा करने वाली जेपीएससी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, जिसने सूचना के अधिकार के तहत गलत जानकारी दी है। विनय कुमार को प्रोन्नति के बाद धनबाद के अंबरीन मुखर्जी ने जेपीएससी से सूचना के अधिकार के तहत रिपोर्ट मांगी थी। 19 जून को जेपीएससी के अवर सचिव सह जन सूचना पदाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने 18 जनवरी व लोकायुक्त कार्यालय ने 14 मई को स्वच्छता प्रमाण पत्र दिया था। इसकी समीक्षा के बाद उन्हें प्रोन्नति दी गई।
लोकायुक्त कार्यालय ने दिया जवाब, नहीं दिया गया है स्वच्छता प्रमाण पत्र
जेपीएससी से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के बाद रांची के धुर्वा निवासी राजीव कुमार तिवारी ने लोकायुक्त कार्यालय से इस संबंध में जानकारी मांगी। लोकायुक्त कार्यालय ने स्पष्ट किया कि वहां से विनय कुमार को स्वच्छता प्रमाण पत्र दिया ही नहीं गया है। लोकायुक्त कार्यालय में विनय कुमार के विरुद्ध भ्रष्टाचार के दो मामले लंबित हैं। 14 मई को गृह विभाग को गृह रक्षा वाहिनी के कुल सात इंस्पेक्टर में से केवल छह इंस्पेक्टर को ही स्वच्छता प्रमाण पत्र मिला था। सातवें इंस्पेक्टर विनय कुमार थे, जिन्हें स्वच्छता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया था, क्योंकि उनके विरुद्ध अभी मामला लंबित है। लोकायुक्त कार्यालय की चिट्ठी के बाद से ही जेपीएससी की भूमिका संदेह के घेरे में है।