Move to Jagran APP

Jharkhand News: भारतीय सेना में 28 वर्ष नौकरी की... रिटायर होकर घर लौटा सूबेदार... फिर जो हुआ जानकर रह जाएंगे दंग

Indian Army यह कहानी है भारतीय सेना से रिटायर हुए एक फौजी की। वह 28 वर्षों तक फौज में रहकर देश सेवा करता रहा। जब रिटायर हुआ तो घर लौट रहा था। गांव वालों को पता चला। फिर लोगों ने कुछ ऐसा किया कि आप खुशी से फूले नहीं समाएंगे।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 06:31 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 06:35 PM (IST)
Jharkhand News: भारतीय सेना में 28 वर्ष नौकरी की... रिटायर होकर घर लौटा सूबेदार... फिर जो हुआ जानकर रह जाएंगे दंग
Jharkhand News: सेना में 28 वर्ष नौकरी की... रिटायर होकर घर लौटा सूबेदार... फिर जो हुआ जानकर रह जाएंगे दंग

रांची, डिजिटल डेस्क। ऐसे समय में जब अग्निपथ और अग्निवीर को लेकर पूरे देश में तरह तरह की बहस चल रही है, कई जगह युवा हिंसक आंदोलन कर रहे हैं, एक भारतीय फौजी की यह रोचक कहानी और प्रासंगिक हो जाती है। भारतीय सेना के प्रति हमारी सोच और नजरिए को और खूबसूरत बना देती है। इस कहानी को पढ़कर आप गर्व महसूस करेंगे। एक सुखद अनुभूति से आप भर उठेंगे। इस कहानी के किरदार हैं- सूबेदार राजेश कुमार चातर।

loksabha election banner

1994 में भारतीय सेना में चले गए राजेश कुमार चातर

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले तांतनगर प्रखंड में एक गांव है- गंजिया। इसी गांव के रहने वाले हैं राजेश कुमार चातर। इस गांव की मिट्टी ने उन्हें पाल-पोस कर जवान किया था। उन्हें एक मजबूत इंसान बनाया। राजेश कुमार चातर ने गांव के स्कूल से ही प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद वर्ष 1990 में प्रोजेक्ट हाई स्कूल, कोकचो से बतौर मैट्रिक छात्र उन्होंने परीक्षा पास की। इसके बाद राजेश ने तय कर लिया कि भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करनी है। दुशमनों से देश की हिफाजत करनी है। सरहद पर पहरेदारी करनी है। नए संकल्प के साथ उन्होंने भारतीय सेना की तैयारी शुरू कर दी। अंतत: वर्ष 1994 में राजेश कुमार चातर भारतीय सेना में चले गए। उनका सपना पूरा हो गया।

वर्ष 1994 में ज्वाइन की भारतीय सेना

भारतीय सेना में रहते हुए 28 वर्ष कैसे बीत गया, राजेश कुमार चातर समझ भी नहीं पाए। वह कहते हैं- वर्ष 1994 में सेना की नौकरी बिहार रेजिमेंट बटालियन-12 में ज्वाइन की थी। 28 साल देश की सेवा की। अलग-अलग राज्यों की सीमाओं पर तैनात रहा। कठिन परिस्थितियों में देश के लिए सेवारत रहे। बहुत सारी यादें हैं। एक सांस में बयां नहीं कर पाऊंगा। हर युवा को एक बार भारतीय सेना में अवश्य जाने का प्रयास करना चाहिए। देश सेवा के लिए इससे बढ़िया कोई मौका नहीं।

खुली जीप पर जुलूस, ढोल, मांदर और नगाड़ों से स्वागत

बहरहाल, कहानी का क्लाइमेक्स यह है कि शनिवार को जब राजेश कुमार चातर अपने गांव लौट रहे थे तो ग्रामीणों को इसकी खबर मिल गई। ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। स्वागत ऐसा कि आसपास के लोग देखकर दंग रह गए। सुनकर चौंक गए। जैसे ही राजेश कुमार चातर ने गांव में कदम रखा, ढोल, मांदर, नगाड़ों की आवाज गूंज उठी। फूलों से सजी खुली जीप में ग्रामीणों ने उन्हें बैठाया। जुलूस निकाल कर पूरे गांव में घुमाया। लोगों ने घरों की छत से फूलों की बारिश की। इस बीच पूरे गांव में भारत माता की जय के जयकारे गूंजते रहे। युवाओं की टोली नाचते गाते जुलूस के आगे आगे उनका स्वागत कर रही थी। हर कोई इस भारतीय सेना के रिटायर जवान से मिलकर बधाई देने को आतुर दिखा। कुछ लोग तो इनके स्वागत के लिए पहले ही चाईबासा के तांबो चौक पर पहुंच गए थे।

गांव में पारंपरिक तरीके से पांव धोकर उतारी गई आरती

भारतीय सेना के किसी जवान का इस तरह स्वागत यहां पहली बार हुआ। राजेश कुमार चातर ने जुलूस के साथ बरकुंडिया पहुंचकर शहीद तुराम बिरुली की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। शहीद को नमन किया। उनसे मिलने के लिए कई रिश्तेदार भी पैतृक गांव पहुंचे थे। घर पहुंचने पर पारंपरिक तरीके से उनका पैर धोया गया। इसके बाद उनकी आरती उतारी गई। फूल माला से लदे राजेश कुमार चातर ने कहा कि अब गांव के युवाओं को भारतीय सेना में जाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने गांव में मिले इस सम्मान के लिए सबको हाथ जोड़कर आभार किया।

Agnipath Scheme Protest: अग्निपथ योजना को लेकर फैलाई जा रहीं कई अफवाह, जानिए- क्‍या है सच्‍चाई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.