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इस भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी के पिता ने गुड्डे-गुड़ियों से खेलने की उम्र में बेटी को पकड़ाई थी हॉकी स्टिक, आज ओलिंपिक में खेल रही

सलीमा जो हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले सिमडेगा से निकलकर आज विश्व पटल पर पहुंच चुकी है। उसके हॉकी के पहले गुरु कोई और नहीं बल्कि उसके पिता सुलक्षण टेटे हैं। जिन्होंने घर पर ही सलीमा को हॉकी खेलना सिखाया।

By Vikram GiriEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 12:31 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 06:15 AM (IST)
इस भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी के पिता ने गुड्डे-गुड़ियों से खेलने की उम्र में बेटी को पकड़ाई थी हॉकी स्टिक, आज ओलिंपिक में खेल रही
Hockey Olympcis: बचपन में पिता ने पकड़ाई हॉकी स्टीक। जागऱण

सिमडेगा, जासं । सलीमा जो हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले सिमडेगा से निकलकर आज विश्व पटल पर पहुंच चुकी है। उसके हॉकी के पहले गुरु कोई और नहीं बल्कि उसके पिता सुलक्षण टेटे हैं। जिन्होंने घर पर ही सलीमा को हॉकी खेलना सिखाया और सर्वप्रथम लट्ठाखम्हन हॉकी प्रतियोगिता में शामिल कराकर उसे आगे की राह दिखाई। बता दें कि सलीमा के पिता भी हॉकी खिलाड़ी रहे हैं। जब सलीमा छोटी थी, तब उसके पिता अंगुली पकड़कर हॉकी मैदान में ले जाते थे। पिता हॉकी खेलते थे, वहीं सलीमा मैदाने के किनारे खड़ी होकर घंटो हॉकी का खेल देखा करती थी। यहीं से सलीमा के मन में भी हॉकी का बीजारोपण हुआ। इसके बाद पिता के साथ जब हॉकी की स्टिक पकड़ी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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विभिन्न प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिमडेगा मुख्यालय स्थिति आवासीय हॉकी प्रशिक्षण केन्द्र के लिए चयनित हुई। जहां कोच प्रतिमा बरवा ने एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में उसकी क्षमता एवं प्रतिभा को और तराशा। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मैच का सफर करते हुए सलीमा विश्व के सबसे बड़ी प्रतियोगिता ओलिंपिक में भारतीय महिला टीम का प्रतिनिधित्व कर रही है। एक साधारण परिवार से पल-बढ़कर व गांव के मैदान से हॉकी का ककहारा सीखने वाली सलीमा जापान की धरती पर अपने स्टिक से शानदार प्रदर्शन कर रही है।

ओलिंपियन बेटी का खेल देखने को थम गया गांव

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम से खेल रहीं सिमडेगा की बेटी सलीमा टेटे को ऑन स्क्रीन देखने को बड़कीछापर गांव कुछ समय के लिए थम गया। सेफा मैच शुरू होते ही सलीमा के घर का टेलीविजन जैसे ही चालू हुआ। लोग दिल थाम के बैठ गए। पूरे खेल के दौरान लोगों की नजरें टीवी से नहीं हटी परिवार के साथ गांव के लोग घर का काम जल्दी निपटाकर टीवी के पास आ बैठ गए थे। सबकी सांसे अटकी हुई थी कि सेफा में भारतीय टीम आस्ट्रेलिया को कैसे हराती है।

हालांकि अचानक उलटफेर हुआ। भारतीय महिला टीम ने मजबूत आस्ट्रेलिया की टीम को 1 गोल जैसे ही हराया लोग खुशी से झूम उठे। लोग एक-दूसरे को बधाई देने लगे।सलीमा के माता-पिता सुबानी टेटे व सुलक्शन टेटे का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।सुलक्शन टेटे ने बताया कि टीम की जीत से वे खुश हैं। वे भी अब तक सभी मैच देखते रहे हैं। महिला टीम पदक की उम्मीद बनी हुई है। वे इसके लिए पूरी टीम को शुभकामना देते हैं। इधर, परिवार के साथ गांव के सभी लोग सलीमा से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए लगातार शुभकामनाएं दे रहे हैं।

पिता किसान,मां गृहणी, बेटी बनी ओलिंपियन

जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर पिथरा पंचायत के छोटे से गांव बड़कीछापर के उबड़-खाबड़ मैदान पर हस्त निर्मित बांस के स्टिक व बॉल से हॉकी की शुरुआत करने वाली सलीमा का ओलंपिक तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण एवं चुनौती भरा रहा है। टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में चुनी गई सलीमा का परिवार आज भी गांव में मिट्टी के मकान में रहता है।

उसके पिता सुलक्सन टेटे एवं भाई अनमोल लकड़ा खेत में खुद से हल-जोतकर अन्न उपजाते हैं, जिससे परिवार का भरण-पोषण होता है। सुमंती की मां सुबानी टेटे गृहणी है। सलीमा के चार बहनो में इलिसन,अनिमा,सुमंती एवम महिमा टेटे शामिल हैं। वहीं महिमा भी राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता खेलती रही है। इधर सलीमा का चयन ओलंपिक में होने के बाद उसके परिवार के साथ-साथ गांव के लोग भी गौरवान्वित हैं। इससे पहले 1980 में पुरुष वर्ग में सिल्वानुस डुंगडुंग का चयन हुआ था। जबकि 1972 में माइकिल किंडो ने म्यूनिख ओलिंपिक में भाग लिया था। सलीमा जिले की पहली बेटी है,जिसने ओलंपिक तक का सफर किया है। हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने कहा कि सलीमा बचपन से ही प्रतिभाशील रही है। लंबे संघर्ष के बाद आज सलीमा ओलंपिक में खेल रही है। उन्हें उम्मीद है भारतीय टीम फाइनल में पहुंचेगी और पदक लेकर ही वापस लौटेगी।


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