भारत ने विश्व को दिया है योग का प्रकाश: स्वामी चिदानंद
रांची योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया और सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप लॉस एंजल्स के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद गिरि ने कहा कि भारत ही विश्व को रोशनी प्रदान करने वाला है।
जागरण संवाददाता, रांची : योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया और सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप लॉस एंजल्स के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद गिरि ने कहा कि भारत ही विश्व को रोशनी प्रदान करने वाला है। भारत की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि भा का एक अर्थ प्रकाश भी होता है और जो प्रकाश में निमग्न हो, वही भारत है। कहा कि भारत माता ने अपने नाम के अनुरूप विश्व को योग का प्रकाश दिया। वे रविवार को योगदा सत्संग आश्रम में आयोजित सत्संग में बोल रहे थे। 2017 में योगदा सत्संग और सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप का अध्यक्ष बनने केबाद स्वामी चिदानंद गिरि दूसरी बार रांची पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि दुनिया को योग भारत से मिला। भारत की आत्मा दैवी प्रकाश से भरी हुई है। सामाजिक और भौतिक चुनौतियों के बावजूद भारत अपने इस प्रकाश से विश्व को वैसे ही प्रकाशित कर रहा है, जैसे शारीरिक परेशानियों के बावजूद आत्मा हमारा मार्गदर्शन करती रहती है। योग के माध्यम से हम भगवान कृष्ण का साक्षात अनुभूति करते हैं। योग ही एकमात्र विधा है, जिसका अमल कर हम आत्मानुभूति और यहा तक कि देवानुभूति कर सकते हैं। इसलिए पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही भारत के इस दिव्य ज्ञान और धरोहर का हमें अवश्य लाभ उठाना चाहिए। इसके माध्यम से हम आंतरिक प्रकाश और शक्ति जगा पाने में समर्थ होते हैं।
आंतरिक प्रकाश ही असल दिवाली, आश्रम आकर धन्य हुए
स्वामी चिदानंद ने कहा कि दिवाली के अवसर पर राची के आश्रम में आकर वे स्वयं को अधिक आह्लादित महसूस कर रहे हैं। इस आश्रम में आना ही सौभाग्य की बात है क्योंकि परमहंस योगानंद ने दुनिया को क्रिया योग का उपहार देने की शुरुआत यहीं के योग विद्यालय से की थी। उनका वह स्पंदन सौ साल बाद आज भी अनुभूत होता है। उन्होंने भाव विभोर होते हुए कहा कि स्थूल रूप में दिवाली हालांकि विजय का पर्व है, लेकिन इसका वास्तविक संदेश और मायने आतरिक अंधकार को दूर कर आत्मानुभूति का प्रकाश जगाने का है। जो कोई इस प्रकाश की चमक को एक बार प्राप्त कर लेता है, वह दिव्य प्रेम और आनंद में भर जाता है।
वास्तविक जीवन से साक्षात्कार कराता है क्रिया योग
उन्होंने कहा कि परमहंस योगानंद ने क्रिया योग की साधना को जन-जन तक पहुंचाया। क्रिया योग की साधना कर जीवन का वास्तविक आनंद प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्यता और दुनिया को देखने का नजरिया बदल जाता है। जीवन की नई शुरुआत महसूस होने लगती है। यह प्रविधि दुनिया और मनुष्यता को भारत का प्राचीन उपहार है। मौके पर स्वामी विश्वानंद, स्वामी कमलानंद, स्वामी स्मरणानंद, स्वामी सत्संगानंद आदि उपस्थित थे।