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अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ीं, घट गए डॉक्टर और नर्स

नीति आयोग ने पीएचसी स्तर पर डॉक्टरों के रिक्त पदों को बढ़ने को इस स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे अधिक गिरावट की श्रेणी में रखा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 11 Feb 2018 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 11 Feb 2018 12:41 PM (IST)
अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ीं, घट गए डॉक्टर और नर्स
अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ीं, घट गए डॉक्टर और नर्स

नीरज अम्बष्ठ, रांची। कहते हैं ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता गया। राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल भी कुछ ऐसा ही है। राज्य में जहां सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाएं बढ़ीं, स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ भी बढ़ा। वहीं अस्पतालों में एएनएम, नर्स से लेकर डॉक्टरों की संख्या भी कम हो गई। नीति आयोग द्वारा शुक्रवार को जारी हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। भले ही इसमें स्वास्थ्य सुधारों को लेकर किए गए प्रयासों में झारखंड पूरे देश में अव्वल रहा है और कई स्वास्थ्य सूचकांकों में काफी सुधार हुआ है। इसके बावजूद डॉक्टरों और नर्सो के रिक्त पदों में वृद्धि होना निश्चित रूप से चिंताजनक है।

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नीति आयोग ने कुल 28 स्वास्थ्य सूचकांकों (इंडीकेटरों) में सुधार को लेकर रैंकिंग की है। इनमें से पांच सूचकांकों में गिरावट आई है। इनमें हेल्थ सबसेंटरों में एएनएम, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टॉफ नर्स तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के रिक्त पदों का बढ़ना प्रमुख है। नीति आयोग ने पीएचसी स्तर पर डॉक्टरों के रिक्त पदों को बढ़ने को इस स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे अधिक गिरावट की श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट में पांच स्वास्थ्य सूचकांकों में बहुत अधिक सुधार की बात कही गई है। इनमें पूर्ण टीकाकरण में वृद्धि, पांच वर्ष के बच्चों की मृत्यु दर तथा कुल प्रजनन दर में कमी, फंड ट्रांसफर तथा सीएचसी की ग्रेडिंग शामिल हैं।

राज्य में 2014-15 में 80.82 फीसद बच्चों का टीकाकरण होता था जो 2015-16 में बढ़कर 88.10 फीसद हो गया। इसी तरह, पांच वर्ष के बच्चों की मृत्यु दर 44 से घटकर 39 हुई। वहीं, कुल प्रजनन दर भी 2.8 से घटकर 2.7 हो गई। जिन स्वास्थ्य सूचकांकों में कोई सुधार नहीं हुआ उनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का चौबीसो घंटे सातो दिन खुला रखना प्रमुख है। 2014-15 में 33 फीसद पीएचसी इस मानक को पूरा करते थे। 2015-16 में भी इसमें कोई सुधार नहीं हुआ। बता दें रिपोर्ट में ओवर ऑल परफारमेंस में झारखंड को 14वां स्थान मिला है।

बच्चियों की संख्या भी घटी

नीति आयोग ने जिन पांच स्वास्थ्य सूचकांकों में गिरावट दर्ज की है उनमें एक लड़कों की तुलना में लड़कियों की घटती संख्या भी शामिल है। 2014-15 में राज्य का लिंगानुपात (जन्म के समय) 910 था जो 2015-16 में घटकर 902 हो गया। यह राज्य में लड़कियों के प्रति लोगों की सोच तथा पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के अनुपालन की स्थिति को दर्शाता है।

ऐसे बढ़ गए रिक्त पद

(आंकड़े प्रतिशत में) रिक्त पद 2014-15 2015-16

एएनएम (सब सेंटर) 19.57 19.73

स्टाफ नर्स (पीएचसी तथा सीएचसी) 71.80 74.94

डॉक्टर (पीएचसी) 45.29 48.67

नवजात मृत्यु दर में भी कमी

आयोग ने 13 सूचकांकों में सिर्फ सुधार की बात कही है। इनमें नवजात मृत्यु दर का घटना प्रमुख है। वर्ष 2014-15 में एक हजार जन्म पर 25 नवजात की मौत 28 दिन पूर्व हो जाती थी। 2015 में यह संख्या घटकर 23 हो गई। नवजातों में लो बर्थ वेट की समस्या में भी कमी आई है। 2014-15 में 7.81 फीसद नवजात 2.5 किलो से कम के होते थे। 2015-16 में यह दर घटकर 7.42 हो गई।

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