नेशनल लॉ विश्वविद्यालय को फंड देने पर विचार करे सरकार
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने विश्वविद्यालय को सरकार की ओर से फंड नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से इसके लिए रास्ता निकालने को कहा है।
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने विश्वविद्यालय को सरकार की ओर से फंड नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से इसके लिए रास्ता निकालने को कहा है। अदालत ने कहा कि सरकार विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य संबद्ध लोगों से बात कर फंड देने पर विचार करे। यदि सरकार ने कोई ऐसा नियम भी बनाया है कि एक बार फंड देने के बाद दोबारा फंड नहीं दिया जा सकता, तो उसमें बदलाव पर भी विचार किया जाना चाहिए।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार यदि अपने रुख में बदलाव नहीं लाती है तो विश्वविद्यालय को बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचेगा। अदालत ने सरकार को इस पर स्पष्ट जानकारी देने का आदेश दिया है कि सरकार फंड देना चाहती है, या फिर संस्था को बंद कर दिया जाए। मामले में अगली सुनवाई चार दिसंबर को निर्धारित की गई है।
सुनवाई के दौरान एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि लॉ यूनिवर्सिटी को सरकार की ओर से फंड नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में इसके संचालन में बहुत मुश्किल आ रही है। शिक्षकों को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि फंड के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति संबंधित विभाग के सचिव और अन्य अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिली है।
सरकार की ओर से बताया गया कि विश्वविद्यालय खोले जाने के समय ही ऐसा प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार एक मुश्त 50 करोड़ की मदद करेगी। इसके बाद विश्वविद्यालय को खुद अपने खर्च से इसका संचालन करना होगा। सरकार ने 50 करोड़ का भुगतान कर दिया है।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि देश के हर यूनिवर्सिटी को सरकार फंड देती है। इस संबंध में सरकार ब्योरा मंगा सकती है। यह दुखद है कि किसी विश्वविद्यालय के कुलपति फंड के लिए सचिव और दूसरे अधिकारियों से बार- बार मिलें। सरकार को चाहिए कि इस मामले पर विश्वविद्यालय, बार कौंसिल, केंद्र सरकार और अन्य संबद्ध लोगों से वार्ता कर इसका हल निकाले। जरूरत पड़ने पर सरकार को नियमों में संशोधन करने पर विचार भी करना चाहिए। अदालत ने कहा कि विश्वविद्यालय की पचास प्रतिशत सीट यहां के छात्रों के लिए आरक्षित है और यह राज्य का एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। इसके लिए सरकार को फंड देना चाहिए।