मृत लोगों की आंखों से मिलेगी दूसरों को रोशनी
किसी व्यक्ति की दुर्घटना से मृत्यु हो जाने पर उसकी आंखें बेकार नहीं जाएंगी। गृह विभाग ने कार्निया दान करने की स्वीकृति दे दी है।
रांची, नीरज अम्बष्ठ। किसी व्यक्ति की दुर्घटना से मृत्यु हो जाने पर उसकी आंखें बेकार नहीं जाएंगी। उसकी आंखों से दूसरे को रोशनी मिल सकेगी जो किसी कारण से अपनी आंखें गंवा चुका है। जी हां! दुर्घटना से किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसकी आंखें (कार्निया) बेकार नहीं जाएंगी। परिजनों की स्वीकृति से उसकी आंखें आई बैंकों को सौंप दी जाएंगी जिससे जरूरत पड़ने पर किसी नेत्रहीन को ट्रांसप्लांट किया जा सके। राज्य सरकार इसके लिए मानव अंग प्रत्यारोपण संशोधन अधिनियम, 2011 में संशोधन करने जा रही है। चूंकि दुर्घटना के बाद होनेवाली मौत के मामले में पुलिस की भूमिका बढ़ जाती है, इसलिए इसमें पुलिस की भी भागीदारी होगी। पुलिस भी परिजनों और आई बैंक या आई सर्जन से संपर्क कर कार्निया सौंपने की पहल करेगी। इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने कानून में संशोधन को लेकर गृह विभाग को भी प्रस्ताव भेजा था। गृह विभाग ने इसपर स्वीकृति प्रदान कर दी है।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एसकेजी रहाटे ने उसमें अपनी टिप्पणी में लिखा है कि इससे किसी नेत्रहीन की आंखों को रोशनी मिल सकती है, इसलिए इसमें किसी तरह के संशय या एतराज की कोई संभावना ही नहीं है। अब इस पर स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की भी स्वीकृति ली जाएगी। बता दें कि कई बार परिजन स्वयं मृत व्यक्ति के नेत्रदान का अनुरोध करते थे, लेकिन कई बार पुलिस ही इसके लिए तैयार नहीं होती थी। अब कानून में संशोधन होन से पुलिस इसपर रोक नहीं लगा सकेगी। कई राज्यों में है लागू : दुर्घटना में मृत लोगों के नेत्रदान का प्रावधान राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में पहले से लागू है। बताया जाता है कि झारखंड में कई वर्ष पूर्व ही पुलिस महानिदेशक ने इसका प्रस्ताव दिया था, लेकिन लागू नहीं हो सका।
छह घंटे के भीतर कार्निया निकालना जरूरी : किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर मृत्यु के छह घंटे के भीतर उसका कार्निया निकालना जरूरी होता है। ऐसे में दुर्घटना से मौत होने पर छह घंटे के भीतर ही उसके कार्निया निकलवाने की कार्रवाई पुलिस द्वारा की जाएगी। इसी अवधि में परिजनों से भी स्वीकृति ली जाएगी।
पहली बार मेडिकल कॉलेजों में कार्निया ट्रांसप्लांटेशन का प्रयास: स्वास्थ्य सचिव निधि खरे के प्रयास से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पहली बार कार्निया ट्रांसप्लांट की व्यवस्था शुरू की गई है। उन्होंने हजारीबाग, पलामू, देवघर व दुमका में भी इसकी तैयारी करने का निर्देश दिया है। इस साल 250 लोगों के कार्निया ट्रांसप्लांट का लक्ष्य रखा गया है।
कार्निया ट्रांसप्लांटेशन को ले एडवाइजरी कमेटी गठित : राज्य सरकार ने कार्निया ट्रांसप्लांटेशन को बढ़ावा देने को लेकर राज्य स्तरीय एडवाइजरी कमेटी गठित की है। यह कमेटी मानव अंग प्रत्यारोपण संशोधन अधिनियम, 2011 को लागू करने को लेकर राज्य सरकार को आवश्यक सुझाव देगी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में कई प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक भी शामिल हैं।