500 फीट गहराई पर पानी नहीं मिला तो समझो आगे भी नहीं मिलेगा
रांची : अधिक गहरी बो¨रग से अधिक पानी की लालसा को भूगर्भ जल से जुड़े विशेषज्ञ नकारते ह
रांची : अधिक गहरी बो¨रग से अधिक पानी की लालसा को भूगर्भ जल से जुड़े विशेषज्ञ नकारते हैं। झारखंड में 500-600 फीट तक की बो¨रग पर यदि पर्याप्त पानी नहीं मिलता है तो आगे भी इसकी संभावना न के बराबर है। रविवार को भू-गर्भ जल के अतिदोहन और इससे होने वाले दुष्परिणाम पर मंथन के दौरान इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया है। रांची के इंजीनियर भवन में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने वर्तमान परिस्थिति से निपटने के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग और सतही जलापूर्ति बढ़ाने पर जोर दिया।
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के वैज्ञानिक टीबीएन सिंह ने बताया कि झारखंड जैसे राज्य में 500-600 फीट तक की बो¨रग पर्याप्त है। पानी मिलना होगा तो इतने में ही मिल जाएगा। इससे अधिक बो¨रग करने पर महज पांच फीसद मामलों में ही पानी मिलने की संभावना है। इस व्यवसाय से जुड़े लोग जबरन गहराई तक बो¨रग कर सिर्फ अपना व्यवसाय चला रहे हैं। सिंह ने बताया कि झारखंड के शहरी क्षेत्रों में भू-गर्भ जल का अतिदोहन हो रहा है, यदि इसे न रोका गया तो परिणाम घातक होंगे। उन्होंने कहा कि रांची, धनबाद, झरिया, बेरमो व कोल क्षेत्रों में भू-गर्भ जल का अतिदोहन हो रहा है। झारखंड के 16 ब्लॉकों में स्थिति नाजुक हैं। इनमें जमशेदपुर सदर, धनबाद, झरिया और बेरमो में भू-गर्भ जल का सर्वाधिक दोहन हो रहा है। बाघमारा, बलियापुर, रातू, ओरमांझी, कांके, लोहरदगा, रामगढ़, चास में भी स्थिति अच्छी नहीं है।
उन्होंने वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए सतही जलापूर्ति बढ़ाने और वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया। कहा, रिचार्ज को यदि बढ़ाया नहीं गया तो हालात चिंताजनक हो सकते हैं। पूरे विश्व में उपलब्ध जल भंडार की बात करें तो 97.5 फीसद पानी समुद्री जल है। सिर्फ 2.5 फीसद ही पीने योग्य पानी है, इसमें से महज 0.7 फीसद ही भू-गर्भ जल भंडार है। इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में एनके राय, शरदेंदु नारायण, आरके चौधरी व एस राय ने अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन एमआर कुमार ने किया।
रांची को 46 मिलियन गैलन पानी की जरूरत
रांची को प्रतिदिन अपनी जरूरत पूरी करने के लिए 46 मिलियन गैलन पानी की आवश्यता है। इसमें 30 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति सतही जल से की जा रही है, शेष 16 मिलियन गैलन भू-गर्भ जल का दोहन हो रहा है। यह स्थिति बनीं रही तो रांची के आसपास के क्षेत्रों का भूगर्भ भंडार खत्म हो जाएगा।
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