बच्चों को आइआइटियन बनाने के लिए छोड़ रहे आइएएस की नौकरी
खंडेलवाल गिरिडीह से पढ़कर वर्ष 1981 में आइआइटी में 52वां रैंक लाए थे और 1988 में आइएएस में इन्हें 8वां रैंक मिला था।
रांची, राज्य ब्यूरो। प्रशासनिक सेवा के सर्वोच्च पद के करीब पहुंचकर अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल का वीआरएस लेने का निर्णय सभी के लिए चौंकानेवाला भले ही हो, उनके लिए एक सोची-समझी तैयारी है। खंडेलवाल को मुख्यमंत्री ने दिसंबर तक सेवा में रहने का निर्देश दिया है इसके बाद उनका वीआरएस स्वीकृत मान लिया जाएगा।
इस बीच, कार्मिक सचिव केके खंडेलवाल ने अपने भविष्य की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं और अक्टूबर महीने में ही अपने पहले बैच को परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर चुन लेंगे। खंडेलवाल क्लासेस नामक उनके संस्थान के लिए उन्होंने ऑफिस और स्थान भी तय कर लिया है। कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल इस मामले में अधिक खुलासा तो नहीं करना चाहते लेकिन इतना जरूर बताते हैं कि उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय झारखंड के बच्चों के हित में लिया है और उन्हें वे आइआइटी तक पहुंचाना चाहते हैं।
इसके लिए तैयार हो चुके छात्रों को नहीं चुनकर वैसे छात्रों को खंडेलवाल अपनी क्लास में शामिल करना चाहते हैं जिनके मन में अभी से आइआइटी का सपना आना शुरू हुआ है।
सूत्र बताते हैं कि खंडेलवाल के साथ जुड़ी टीम अक्टूबर महीने में छात्रों के चयन के लिए परीक्षा आयोजित करवा रही है और परीक्षा के बाद साक्षात्कार के आधार पर छात्रों का चयन होगा। तैयारी की गई है कि दसवीं के छात्रों को लगातार दो महीने तक पढ़ाने के बाद आइआइटी की परीक्षा दिलाई जाएगी।
इसलिए भले ही खंडेलवाल दिसंबर के बाद सेवामुक्त हो जाएं, उनके परिश्रम का फल लगभग तीन साल बाद 2021 में ही दिखाई देगा। खंडेलवाल पिछले कुछ वर्षो से नियमित तौर पर छात्रों को बिना पैसे लिए पढ़ा रहे हैं। अपने पुत्र अनुपम खंडेलवाल को भी इन्होंने आइआइटी की तैयारी के लिए छुट्टी लेकर पढ़ाया था और उनका ऑल इंडिया रैंक नौवां था।
खंडेलवाल के दो पुत्र और एक भांजा आइआइटी में पहुंचे तो उनसे कुछ और लोगों ने बच्चों को पढ़ाने के लिए समय मांगा और इस वर्ष खंडेलवाल से पढ़ने वाले सभी के सभी छह छात्र आइआइटी में रैंक लाकर देश के अग्रणी आइआइटी में पढ़ रहे हैं। खंडेलवाल छात्रों को गणित और फिजिक्स स्वयं पढ़ाते हैं जबकि रसायन पढ़ाने के लिए उन्होंने अलग से शिक्षक का प्रबंध किया है।
खंडेलवाल गिरिडीह से पढ़कर वर्ष 1981 में आइआइटी में 52वां रैंक लाए थे और 1988 में आइएएस में इन्हें 8वां रैंक मिला था। पढ़ाई को लेकर खंडेलवाल बताते हैं कि सिलेबस खत्म करने के बाद बच्चों को लंबा समय अभ्यास के लिए मिलना चाहिए और यही उनसे पढ़े छात्रों को मिला है। छोटे बेटे को तो उन्होंने छह महीने में ही सिलेबस पूरा करा दिया था।