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Hydroxychloroquine: जानें कैसे कोरोना के लिए दी जा रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन हो सकती है जानलेवा, साइड इफेक्ट भी

Hydroxychloroquine Medicine यह दवा कोरोना के लक्षण के आने से पहले सेफ्टी गार्ड के रूप में दी जानी है। लेकिन यह उन्हीं लोगों के लिए ही है जो मरीजों के संपर्क में आए हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2020 09:32 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 08:46 AM (IST)
Hydroxychloroquine: जानें कैसे कोरोना के लिए दी जा रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन हो सकती है जानलेवा, साइड इफेक्ट भी
Hydroxychloroquine: जानें कैसे कोरोना के लिए दी जा रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन हो सकती है जानलेवा, साइड इफेक्ट भी

रांची, राज्य ब्यूरो। Hydroxychloroquine Tablets अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की दवा की मांग करने के बाद यह दवा आजकल काफी चर्चा में है। इस मलेरियारोधी दवा को लोग कोविड-19 की दवा मानने लगे हैं और दवा दुकानों में इसे ढूंढने लगे हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने अभी हाई रिस्क में आने वाले उन हेल्थ वर्करों को ही सेफ्टी के रूप में यह दवा देने की स्वीकृति प्रदान की है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के संपर्क में आते हैं। अन्य लोगों के लिए डॉक्टरों के परामर्श के बिना यह दवा घातक साबित हो सकती है।

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इस दवा की उपलब्धता को लेकर पैनिक होने की भी आवश्यकता नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के औषधि निदेशालय के संयुक्त निदेशक सुरेंद्र प्रसाद का कहना है कि झारखंड में बहुत ही कम डॉक्टर मलेरिया के इलाज में इस दवा का परामर्श देते हैं। इस कारण इस दवा की बिक्री नहीं के बराबर है, जिसके कारण दवा दुकानदार इसे नहीं रखते। यदि कोई डॉक्टर इस दवा का परामर्श देते हैं, तो उनके पर्चे के आधार पर यह दवा उन्हें मिलेगी। जहां तक सरकारी अस्पतालों की बात है, तो इसका पर्याप्त स्टॉक है। अभी ही तीन लाख टैबलेट हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन झारखंड मेडिकल कॉरपोरेशन को उपलब्ध कराए गए हैं।

इधर, राज्य सरकार ने कोरोना को देखते हुए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के उपयोग को लेकर सख्त दिशा- निर्देश सभी उपायुक्तों और सिविल सर्जनों को जारी कर दिया है। आइसीएमआर की अनुशंसा पर इसके डोज भी निर्धारित कर दिए गए हैं। यह दवा उन हेल्थ वर्करों को दी जा सकेगी, जो किसी कोरोना मरीज के संपर्क में आ चुके हैं। यह दवा कोरोना के लक्षण के आने से पहले सेफ्टी गार्ड के रूप में दी जानी है। लेकिन, यह उन्हीं लोगों के लिए ही है, जो मरीजों के संपर्क में आए हैं। साथ ही, यह दवा लक्षण आने के पहले दी जाएगी। 

डॉक्टर के परामर्श के बिना दवा लेना घातक

भारत सरकार ने इस दवा को शेड्यूल एच-1 की श्रेणी में शामिल किया है, ताकि इसके गलत इस्तेमाल को रोका जा सके। सिर्फ डॉक्टर के पर्चे पर ही यह दवा दी जा सकती है। डॉक्टर के परामर्श के बिना इसका प्रयोग जानलेवा हो सकता है। इस दवा के कई साइड इफेक्ट भी हैं।

 

हेल्थ वर्करों के लिए भी है सख्त गाइडलाइन

अभियान निदेशक शैलेश कुमार चौरसिया द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा रेटिनोपैथी एवं हाइपर सेंसिटिविटी के मरीजों को यह दवा नहीं दी जा सकती। हेल्थ वर्कर को यह दवा मरीज के संपर्क में आने पर पहले दिन 400 एमजी सुबह-शाम तथा सात सप्ताह तक सप्ताह में एक डोज दी जाएगी। वहीं, अन्य को तीन सप्ताह तक प्रत्येक सप्ताह एक डोज यह दवा दी जाएगी।


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