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मानवाधिकार वाले साहब कर रहे अधिकार का हनन... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर

Jharkhand Bureaucracy Gossip. साहब के पास सवाल ही इतना होता है कि गुहार लगाने वाला उनके चैंबर से उल्टे पांव लौट जाता है। ऐसे में मानवों का अधिकार हनन होता है तो हो।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 03:17 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 03:17 PM (IST)
मानवाधिकार वाले साहब कर रहे अधिकार का हनन... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर
मानवाधिकार वाले साहब कर रहे अधिकार का हनन... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर

रांची, [दिलीप कुमार]। कहने को तो खाकी वाले विभाग के सिंह जी मनुष्य के अधिकार की रक्षा की जिम्मेदारी संभाले बैठे हैं, लेकिन उस अधिकार का हनन करने से भी वे पीछे नहीं हटते हैं। यूं कहें तो अधिकार दिलाने की जिम्मेदारी फाइल में ही सिमटी है और मानव ताक पर है। ओहदा ऊंचा है तो नीचे वाले खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। सलामी ठोककर घुटने में गठिया पकड़वा चुके इन निचले दर्जे वालों पर साहब की कृपा कभी नहीं बरसती। साहब के पास उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखने की भी जिम्मेदारी है, लेकिन वे फंसाए रखते हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी का भी अनुभव ले चुके इस साहब के पास सवाल ही इतना होता है कि गुहार लगाने वाला उनके चैंबर से उल्टे पांव लौट जाता है। ऐसे में मानवों का अधिकार हनन होता है तो हो। साहब तो मानवाधिकार वाले हैं और अपनी धुन में ही रहेंगे।

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फर्श पर गिरे अर्श वाले

एक कहावत है, अल्लाह मेहरबान तो गदहा पहलवान। खाकी वाले विभाग में यह कहावत आम है और इन दिनों कुछ ज्यादा ही चर्चा में है। सिस्टम में अपनी करनी भुगत रहे एक साहब कभी बुलंदी पर थे तो उनके सलाहकार व दरबारी का सितारा भी बुलंद था। साहब के हर अच्छे-बुरे कार्य में ये भी हिस्सेदार रहे। इसका उन्हें इनाम भी मिला। किसी को गोविंदपुर की खान मिली तो किसी ने बेरमो में झंडा लहराया। राजनीतिक उलटफेर में सिस्टम की मार ने साहब को तो उनकी करनी का फल दे ही दिया, उनके दरबारी को भी औकात बता दिया। दूसरे को दबाने वाले इन दरबारियों की औकात अब दबे-कुचले जैसी हो चली है। अब तो ये दूसरों को भी सलाह देते फिर रहे हैं कि घोड़े के आगे व पीछे कभी नहीं रहना। कहते हैं, ऐसा किया तो कहां फेंके जाओगे, पता नहीं चल पाएगा।

प्राण के पीछे पड़ा काला पत्थर

खाकी वाले विभाग में रंजन जी का प्राण संकट में है। कभी कंधे पर दो स्टार चमकाकर बड़े-बड़े कारनामे कर गए, इन दिनों तीन स्टार लगाने के बाद भी उन कारनामों का फल चुका रहे हैं। रांची के शहरी क्षेत्र से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे वाले विभाग में सेवा दे चुके इस रंजन के प्राण का काला पत्थर पीछा नहीं छोड़ रहा है। गोला की धरती से गोली के रूप में छूटा था, अब तक उनका पीछा कर रहा है। कई बार तो इस प्राण ने फाइलों में खुद को छुपाने की पूरी कोशिश की, लेकिन बड़े साहबों की नजरों से बच नहीं सके। अभी तो विभाग की कार्रवाई झेल रहे हैं, आगे क्या होगा, यह सोचकर परेशान हुए बैठे हैं। कमर में पिस्टल लेकर चलने वाले प्राण को अब सपने में भी कलम के चलने का डर सता रहा है।

खुफिया वालों पर खुफिया नजर

खाकी वाले विभाग में समाज के दुश्मनों के साथ-साथ अपनों पर भी नजर रखी जा रही है। जो कभी दूसरे की खुफिया रिपोर्ट निकालते थे, अब विभाग उनकी ही रिपोर्ट निकालने में जुटा है। बड़े-बड़े खेल में मैच फिक्स करवाकर जीत का सेहरा अपने खाते में डालने वालों और दूसरों की रेकी करने वालों की रेकी शुरू हो चुकी है। कहां क्या खेल किया, सबका पता लगाया जा रहा है। खाकी वाले विभाग की कमान मिलने के बाद से ही मुखिया जी ने यह अभ्यास शुरू कर दिया है। नतीजा यह है कि कई पुराने खिलाडिय़ों के विकेट गिर चुके हैं और कई धराशाई हो चुके हैं। मुखिया जी सभी संदिग्ध चेहरे की तहकीकात करवाकर संतुष्ट हो रहे हैं, ताकि उनका कार्यकाल स्वर्णिम रहे और उनके हटने के बाद उनपर कोई अंगुली न उठा पाए। इसके लिए उन्होंने अपनी खुफिया एजेंसी को भी सक्रिय कर रखा है।


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