नक्सल मुक्त बूढ़ा पहाड़ पर आम ग्रामीणों तक कैसे पहुंचेगी विकास योजनाएं, तीन सदस्यीय समिति सौंपेगी रिपोर्ट
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अभी कुछ दिनों पहले बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेन्ट प्रोजेक्ट की शुरुआत की। तीन दशक तक नक्सलियों के कब्जे में रहने के बाद अब यहां विकास की रफ्तार तेज होगी। इसके लिए एक तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है।
दिलीप कुमार, रांची। तीन दशक तक नक्सलियों के कब्जे में रहने के बाद मुक्त हुए छत्तीसगढ़ से सटी सीमा पर गढ़वा-लातेहार क्षेत्र स्थित बूढ़ा पहाड़ पर अब विकास की रफ्तार तेज होगी। हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दौरे के बाद अब वहां के ग्रामीणों की सुख-सुविधाएं बढ़ेंगी। इसके लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना लांच हुआ है।
बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना टीम गठित
इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए झारखंड सरकार के योजना एवं वित्त विभाग के सचिव डा. अमिताभ कौशल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है, जिनमें लातेहार के उपायुक्त भोर सिंह यादव व गढ़वा के उपायुक्त रमेश घोलप शामिल हैं। इस तीन सदस्यीय टीम को सरकार ने यह निर्देश दिया है कि वे 28 फरवरी तक यह रिपोर्ट दें कि बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना को मूर्त रूप देने लिए क्या-क्या करना होगा।
टीम की रिपोर्ट पर निर्भर योजनाएं
बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाएं, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था व सुरक्षा व्यवस्था पर फोकस करती हुई रिपोर्ट नवगठित तीन सदस्यीय टीम को देनी है। सुरक्षा व्यवस्था से आशय थाना व ओपी खोलने से संबंधित है। बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में बड़ी संख्या में गांव हैं, जहां के ग्रामीणों में असुरक्षा का भाव रहा है। वर्षों से नक्सलियों से शोषित होने के चलते ग्रामीणों में सुरक्षा का भरोसा दिलाना भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसी उद्देश्य से उन क्षेत्रों में अधिक से अधिक थाना-ओपी खुलेंगे, ऐसी उम्मीद जताई गई है। अब तीन सदस्यीय समिति क्या रिपोर्ट देगी, उस रिपोर्ट पर ही सरकारी योजनाएं निर्भर करेंगी।
फिर न पहुंचे नक्सली, इसकी पुख्ता है व्यवस्था
बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ ने मिलकर नक्सल मुक्त करवा लिया है। इस क्षेत्र में नक्सली फिर से नहीं पहुंचे, इसका ख्याल रखते हुए सुरक्षा बलों की जंगलों में चहलकदमी जारी है। जब थाना-ओपी की संख्या बढ़ेगी तो क्षेत्र में शांति-व्यवस्था कायम होगी।
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