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HOLI: भद्रा में होलिका दहन वर्जित, जानिए क्‍या है सही समय

हिंदुओं का प्रमुख पर्व होली चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। होली से पूर्व होलिकादहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की रात्रि में किया जाता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 03:01 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 02:07 PM (IST)
HOLI: भद्रा में होलिका दहन वर्जित, जानिए क्‍या है सही समय
HOLI: भद्रा में होलिका दहन वर्जित, जानिए क्‍या है सही समय

रांची, जासं। हिंदुओं का प्रमुख पर्व होली चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। होली से पूर्व होलिकादहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की रात्रि में किया जाता है। पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्र्ध भाग में भद्रा व्याप्त रहती है। शास्त्रानुसार भद्रा में होलिका दहन वर्जित है। इस बार पूर्णिमा तिथि 20 मार्च बुधवार को दिन में 9.19 बजे से प्रारम्भ होकर दूसरे दिन गुरुवार 21 मार्च को प्रात: 7.03 बजे तक रहेगी।

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पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्र्ध में भद्रा बुधवार को दिन में 9:19 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक रहेगी। होलिका दहन का मुहूर्त पूर्णिमा तिथि में बुधवार 20 मार्च को रात्रि में 9:00 बजे के उपरांत बन रहा है। इस प्रकार होलिका दहन 20 मार्च बुधवार को रात्रि नौ बजे के बाद उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र व कन्या राशि में किया जाएगा।

होलिकादहन से पूर्व होलिका दहन वाले स्थान के समीप पहुंचकर अपने घर परिवार समाज एवं नगरवासियों के कल्याण की कामना से होली पूजन का मन में संकल्प करना चाहिए। होली के प्रदीप्त होने पर होली का गंध चंदन पुष्पादि से पूजन कर परिक्रमा करने का विधान है।

पूजन मंत्र:-असृक्पाभय संत्रस्तै: कृत्वा त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

होलिका के जल जाने के उपरांत भस्म धारण का भी विधान है। दूसरे दिन सूर्योदय के उपरांत होलिका की भूमि की वंदना करनी चाहिए तथा आम्रकुसुम एवं चंदन का प्राशन करना चाहिए।

 मंत्र : वन्दितासि सुरेन्दे्रण ब्रह्मïणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि नो देवि भूते भूतिप्रदा भव।। 

वसंत ऋतु का मुख्य पर्व होली या वसंतोत्सव चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को हर्षोल्लास के साथ मिल जुलकर मनाया जाता है। इस बार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि की हानि है। गुरुवार 21 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा प्रात: 7:03 बजे तक रहेगी। तदुपरांत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा लग जाएगी जो गुरुवार को ही रात्रि शेष 4:59 बजे समाप्त हो जाएगी। शुक्रवार 22 मार्च को सूर्योदय के पूर्व से ही चैत्र कृष्ण द्वितीया तिथि रहेगी।

इस प्रकार प्रतिपदा तिथि की हानि हो रही है। चूंकि होली का पर्व चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को मनाना शास्त्र सम्मत है। अत: होली 21 मार्च गुरुवार को ही मनाई जाएगी। खुशी उल्लास एवं प्रेम का पावन पर्व होली 21 मार्च गुरुवार को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। होली वाले दिन सर्वप्रथम सूखे मेवे व मिष्ठान्न तथा अबीर गुलाल आदि वस्तुएं भगवान को अर्पण करने के उपरांत ही परस्पर प्रयोग में लाना चाहिए। होली सभी के लिए कल्याणकारी रहे।

-पं. रमा शंकर तिवारी


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