रांची, राज्य ब्यूरो: झारखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में सरकार और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से अद्यतन रिपोर्ट मांगी है।

अदालत ने पूछा है कि राज्य के सभी जिलों में कब तक ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर चालू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही खंडपीठ ने पूछा कि किन जिलों में ट्रीटमेंट प्लांट बन गया और कहां पर निर्माणाधीन और कहां चालू है? मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

इससे पहले सुनवाई के दौरान स्टेट लेवल इंवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथारिटी (सिया) की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया। जिसमें बताया गया है कि लोहरदगा, सरायकेला-खरसावां और धनबाद में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस मिल गया है। पाकुड़, देवघर और दुमका में सिया की ओर से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे लेकिन अभी नहीं दिए जाने की वजह से पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं दिया गया है। खूंटी और पलामू में ट्रीटमेंट प्लान बनाने की प्रक्रिया की जा रही है।

बता दें कि इस संबंध में झारखंड ह्यूमन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई है। उनकी ओर से अधिवक्ता ऋतु कुमार व समावेश भंजदेव ने अदालत को बताया कि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के तहत बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए नियमावली बनाई गई है। जिसके तहत अस्पताल और नर्सिंग होम से निकले वाले बायो कचरे का ट्रीटमेंट प्लांट में निस्तारण करना है। लेकिन राज्य के कई जिलों में बायो कचरा सड़क, नाला, नदी और पहाड़ों पर फेंक दिया जाता है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा है।

Edited By: Mohit Tripathi