मॉब लिंचिंग में उम्रकैद की सजा पाए भाजपा नेता सहित आठ को मिली जमानत
अलीमुद्दीन हत्याकांड में रामगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाई थी उम्र कैद की सजा - 29 जून 2017 क
अलीमुद्दीन हत्याकांड में रामगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाई थी उम्र कैद की सजा
- 29 जून 2017 को हुई थी अलीमुद्दीन की हत्या, ठीक एक साल बाद इसी दिन आठ अभियुक्तों को मिली जमानत
- आठ दोषियों ने हाई कोर्ट में दाखिल की थी याचिका, सभी को मिली जमानत राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड हाई कोर्ट से रामगढ़ के बहुचर्चित (मॉब लिंचिंग) अलीमुद्दीन हत्याकांड मामले में उम्र कैद की सजा पाए भाजपा नेता सहित आठ दोषियों को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट के जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सभी को जमानत प्रदान कर दी है। कोर्ट ने दस-दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर इन्हें रिहा करने का निर्देश दिया है। रामगढ़ की विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में कुल 11 लोगों को दोषी पाते हुए 21 मार्च 2018 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इनमें से आठ ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल करते हुए जमानत देने का आग्रह किया था। जिन्हें जमानत मिला है उनमें भाजपा नेता नित्यानंद महतो, रोहित ठाकुर, कपिल ठाकुर, राजू कुमार, संतोष सिंह, उत्तम राम, सिकंदर राम, विक्की साव शामिल हैं।
सभी अभियुक्तों की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने साक्ष्यों पर गौर किए बिना ही फैसला सुनाया है। घटना के किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने अभियुक्तों का नाम नहीं लिया है। निचली अदालत ने एक वीडियो फुटेज के आधार पर सभी को दोषी करार दिया है, लेकिन उक्त वीडियो में अभियुक्तों को सिर्फ भीड़ में खड़ा दिखाया गया है, अलीमुद्दीन के साथ मारपीट करते हुए वीडियो में नही दिखाया गया है। भीड़ में कोई भी व्यक्ति खड़ा हो सकता है। सिर्फ भीड़ में खड़ा होने से कोई हत्या का दोषी नहीं हो जाता। वहीं, अनुसंधानकर्ता ने निचली अदालत में दिए अपने बयान में कहा है कि उक्त वीडियो किसने बनाया और किसने भेजा है, जांच के दौरान इसके बारे में पता नहीं चल पाया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक का नाम भी नहीं लिखा गया है। इसलिए निचली अदालत का आदेश सही नहीं है। सभी अभियुक्तों को तत्काल जमानत मिलनी चाहिए और अपील पर सुनवाई होनी चाहिए।
सरकार की ओर से इस दलील का विरोध किया गया। सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वीडियो में सभी अभियुक्त भीड़ में खड़े दिख रहे हैं, उस दौरान जो कपड़ा उन्होंने पहना था वह उनकेघर से बरामद भी हुए हैं। इससे साबित होता है कि उस घटना को अंजाम देने में ये लोग शामिल थे। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने उक्त सभी आठ लोगों को जमानत प्रदान कर दी। वही तीन अन्य आरोपियों ने अभी जमानत याचिका दाखिल नहीं किया था। वहीं एक नाबालिग अभियुक्त का मामला जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है।
यह है मामला
रामगढ़ थाना क्षेत्र के मनुवा गांव निवासी अलीमुद्दीन की हत्या 29 जून 2017 को हुई थी। इस दिन ¨हदू संगठनों के कुछ लोगों को सूचना मिली थी कि एक वैन में प्रतिबंधित मांस लाद कर चितरपुर ले जाया जा रहा है। इस सूचना के बाद सैकड़ों की संख्या में जमा भीड़ ने रामगढ़ के सुभाष चौक पर वैन को घेरकर वैन चालक अलीमुद्दीन की जमकर पिटाई कर दी। बाद में अलीमुद्दीन की मौत हो गई।
राज्य सरकार द्वारा गठित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 21 मार्च 2018 को 12 आरोपियों में से 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायालय ने भाजपा नेता नित्यानंद महतो सहित छोटू वर्मा, संतोष ¨सह, विक्की साव, सिकंदर राम, विक्रम प्रसाद, राजू कुमार, रोहित ठाकुर, कपिल ठाकुर, दीपक मिश्रा व उत्तम राम को सजा सुनाई थी।
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देश का पहला मॉब लिंचिंग मामला, जिसमें भाजपा नेता व गोरक्षक को हुई उम्रकैद की सजा
देश का यह पहला मामला था जब मॉब लिंचिंग मामले में गोरक्षक और भाजपा नेता को उम्रकैद की सजा दी गई। मॉब लिंचिंग मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भी सिर्फ पांच महीने 29 दिनों के अंदर फैसला सुनाया था।