Move to Jagran APP

Judge Uttam Anand Murder Case: जज उत्तम आनंद हत्याकांड में सीबीआइ की चार्जशीट पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई

Judge Uttam Anand Murder Case जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने सीबीआइ की चार्जशीट पर कड़ी नाराजगी जताई। कहा कि जब कोर्ट मामले की निगरानी कर रही है तो बिना अनुमति के निचली अदालत में चार्जशीट कैसे दाखिल कर दी गई।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 12:04 PM (IST)
Judge Uttam Anand Murder Case: जज उत्तम आनंद हत्याकांड में सीबीआइ की चार्जशीट पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई
धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

रांची, राब्यू । धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि बिना कोर्ट की अनुमति के सीबीआइ ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दिया है। चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि सीबीआइ ने चार्जशीट दाखिल करने के मामले में हाई कोर्ट को पूरी तरह अंधेरे में रखा और चार्जशीट दाखिल करने के पहले अनुमति भी नहीं ली गई। इससे ज्यादा दुख इस बात का है कि सीबीआइ की ओर से अदालत में पेश प्रगति रिपोर्ट के साथ चार्जशीट को संलग्न भी नहीं किया गया है।

loksabha election banner

अदालत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सीबीआइ जैसी प्रोफेशनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। कहा कि कोर्ट ने पूर्व में ही आशंका जाहिर की थी कि यह मामला कहीं मिस्ट्री मर्डर ना बन जाए। लेकिन अब लग रहा है कि यह मामला मिस्ट्री अन एक्सप्लेन की ओर बढ़ रहा है। सीबीआइ की अब तक की जांच से कोर्ट बहुत दुखी है। शुरू से ही स्टीरियोटाइप रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर रही है। इस दौरान अदालत ने बिना मोटिव के चार्जशीट कैसे दाखिल अदालत ने कहा कि निचली अदालत में सीबीआइ की ओर से दाखिल चार्जशीट में ऑटो चालक और उसके सहयोगी पर हत्या और साजिश में शामिल होने का आरोप तो लगा दिया गया है, लेकिन इसका एक भी साक्ष्य नहीं दिया गया है।

सीबीआइ अभी तक यह नहीं बता पा रही है कि आखिर हत्या का कारण और उद्देश्य क्या था। जज की हत्या की साजिश क्यों की गई थी। साजिश करने वालों में कौन-कौन शामिल है। जब चार्जशीट में हत्या के मोटिव के बारे में नहीं बताया गया है तो जांच पूरी करते हुए चार्जशीट कैसे दाखिल कर दी गई। सीबीआइ ने कहा था कि जानबूझकर जज को टक्कर मारी गई है, तो ऑटो चालक बिना किसी वजह के इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकता है। इस तरह की चार्ज शीट की उम्मीद सीबीआइ से नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि सीबीआइ के चार्जशीट से प्रतीत होता है कि आरोपितों को निचली अदालत में एक्सीडेंट साबित करने का मौका दे रही है।

चार्जशीट ने उन्हें बाहर आने का रास्ता दिखा दिया है। चार्जशीट ने पूरे केस को समाप्त कर दियाइस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया था और इसके बाद न्यायिक अधिकारियों का मनोबल गिरा है। अदालत इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है। अदालत न्यायिक अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए इस मामले में शामिल सभी आरोपितों को सख्त सजा दिलाने के बारे में सोच रही थी। लेकिन सीबीआइ की अब तक जांच से पता चल रहा है कि उन्होंने पूरे केस को समाप्त कर दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है।

मॉनिटरिंग का मतलब सिर्फ खानापूर्ति नहीं होता। कोर्ट इस मामले के हर पहलू की मॉनिटरिंग करेगा। लेकिन लगता है कि सीबीआइ इसे हल्के में ले रही है। चार्ज शीट दाखिल करने के पूर्व कोर्ट को जानकारी नहीं देना और उसकी कॉपी भी कोर्ट को नहीं देना बहुत दुखद है। निदेशक को तलब करेगी अदालतचीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में अगले सप्ताह कोर्ट सीबीआइ निदेशक को तलब कर सकती। इस दौरान निदेशक से ही पूछा जाएगा कि जब कोई साक्ष्य मिला ही नहीं है तो कैसे चार्जशीट में हत्या और साजिश का उल्लेख किया गया है।

सीबीआइ ने आइपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल किया है, लेकिन इसमें मोटिव का उल्लेख नहीं है, तो क्या इससे आरोपितों को राहत नहीं मिल जाएगी। हत्या का मामला गैर इरादतन हत्या में बदल जाएगा। इस पर सीबीआइ की ओर से अगले सप्ताह विस्तृत रिपोर्ट देने की बात कहते हुए निदेशक को नहीं बुलाने का आग्रह किया गया। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट इस पर निर्णय लेगी।

सीबीआइ मुख्यालय की अनुमति के बाद दाखिल हुई चार्जशीटइस दौरान सीबीआइ की ओर से अदालत को बताया गया कि चार्जशीट दाखिल करने के पूर्व और कानूनी सलाहकार और सीबीआइ मुख्यालय से अनुमति ली गई थी। मुख्यालय की अनुमति के बाद ही चार्जशीट दाखिल की गई है। साजिश और मोटिव के मामले पर जांच अभी जारी है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि सीबीआइ में भी पुलिस से ही लोग जाते हैं।

कोर्ट को सीबीआइ जांच से बहुत उम्मीद थी, लेकिन सीबीआइ कोर्ट की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी है। अनुसंधान अधिकारी से पूछा कितने मामले की है जांचसुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले के जांच अधिकारी से पूछा कि इस तरह के कितने मामले की उन्होंने जांच की है और कितने मामलों में खुलासा किया है। इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि करीब छह मामलों की जांच की है और सभी में दोषियों को सजा हुई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.