Move to Jagran APP

हवा से बातें, बेफिक्र ड्राइविंग और ताक पर सुरक्षा

रांची में रफ्तार के जूनून के बीच बाइक चलाने वाले युवाओं में हेलमेट से परहेज करने की आदत पनप रही है। इससे उनकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहा है। वे अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 06:41 AM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 06:45 AM (IST)
हवा से बातें, बेफिक्र ड्राइविंग और ताक पर सुरक्षा
हवा से बातें, बेफिक्र ड्राइविंग और ताक पर सुरक्षा

रांची, जेएनएन। रफ्तार के जूनून के बीच युवाओं में हेलमेट से होने वाले सुरक्षा नजरअंदाज होता नजर आ रहा है। लाख-डेढ़ लाख की गाड़ियां चलाते युवा सस्ती और बेअसर हेलमेट पहने सड़क पर घूमते आमतौर पर दिख जाते हैं। सड़क हादसे का शिकार होने वाले बाइक चालक और सवार की मौत की सबसे बड़ी वजह सिर में चोट लगना है।

loksabha election banner

सिर पर चोट लगने से मौत की आशका कई गुना बढ़ जाती है लेकिन कई मौतों के बाद भी लोग सजग नहीं हो रहे हैं। हेलमेट पहनने की बजाय नहीं पहनने के कई अटपटे बहाने इनके पास होते हैं। बहानों में हेलमेट का भारी होना, महंगा होना, मेकअप और बाल खराब होना और आसपास की चीजें न दिखना आदि शामिल हैं।

जागरूकता की कमी : हेलमेट पहनने वालों में भी जागरूकता की भारी कमी है। कई लोग सस्ते काम चलाऊ हेलमेट पुलिस के चालान से बचने के लिए पहनते हैं। चंद पैसे बचाने के चक्कर में मौत से खिलवाड़ करना आम बात है। दुपहिया दुर्घटना के शिकार केवल चालक ही नहीं सवार भी बनते हैं लेकिन इनकी भरपूर अनदेखी होती है। दुपहिया के पीछे बैठने वालों को हेलमेट पहनने के लिए जागरूकता अभियान ट्रैफिक पुलिस के द्वारा कई बार चलाया जाता रहा है। परिणाम संतोषजनक तो नहीं हैं लेकिन सड़क पर कुछ दुपहिया जरूर दीखते हैं जिनके चालक और सवार हेलमेट पहनते है।

बाजार में उपलब्ध हेलमेट की कीमत में अंतर : 1. सड़क किनारे बिकने वाले हेलमेट की दुकानों में बिना आइएसआइ मार्क के हेलमेट 200-250 रुपये की सस्ती कीमत पर उपलब्ध होते है। ऐसे हेलमेट बेचने वाले दुकानदार भी ग्राहक को ऊंचे दाम के असली हेलमेट खरीदने को प्रोत्साहित करते हैं लेकिन इन्हे खरीदने वालों का तर्क होता है की ऐसे हेलमेट से पुलिस के चालान से इनकी रक्षा होती है।

2. अन्य ब्राड की सब-स्टैंडर्ड हेलमेट 300 से 700 तक की कीमत पर उपलब्ध होती है जिनपर आइएसआइ मार्क होता है। इसका कोई प्रमाण नहीं होता की मार्क असली है या नकली। कई बार झूठ बोल कर या सच छुपा कर भी ग्राहकों को ऐसे हेलमेट बेचे जाते हैं। ऐसे हेलमेट की गुणवत्ता तय मानकों के नीचे और बहुत खराब होती है और इनपर कोई गारंटी नहीं मिलती।

3. प्रसिद्ध ब्राडों के हेलमेट 700 रुपये से ऊपर के कीमत पर बिकता है जो आइएसआई और बीआईएस सर्टिफाइड होता है। इन हेलमेटों की गुणवत्ता सबसे अधिक होती है और ये जान बचने में कारगर होते हैं। इनकी बनावट तय मानकों के आधार पर होती है और कड़े परीक्षणों के बाद इन्हे बाजार में उतारा जाता है।

सुविधा के अनुसार चुनाव : बेशक हेलमेट पहनने वालों की संख्या नहीं पहनने वालों से ज्यादा है लेकिन गलत तरीके से हेलमेट पहनने के कारण सुरक्षा ना के बराबर होती है। गलत साइज के हेलमेट, पुराने, बिना स्ट्रैप लगाए हेलमेट पहनने पर असर हेलमेट नहीं पहनने के समान होता है। जोर के झटके पर ऐसे हेलमेट खुल जाते हैं। अच्छा हेलमेट खोपड़ी के साथ धूल-मिटटी से आंखों और चेहरे की भी सुरक्षा करता है। बाजार में कई प्रकार के हेलमेट उपलब्ध हैं, जिसमें सुविधा के हिसाब से चुनाव किया जा सकता है। अब बाजार में हलके और असरदार, रंग बिरंगे डिजाइनर लुक में उपलब्ध है और इन्हे ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है।

बाजार में उपलब्ध हेलमेट के प्रकार : फुल फेस हेलमेट: ऐसे हेलमेट सिर और आखों की पूरी सुरक्षा करते हैं। ओपन फेस: ये हेलमेट भी अधिकतम सुरक्षा मुहैया करते हैं लेकिन इनसे सिर के निचले भाग असुरक्षित हो जाते है। मॉड्यूलर या फ्लिप अप: इन हेलमेटों की खासियत होती है की अपनी सहूलियत के हिसाब से इन्हे फुल फेस या ओपन फेस हेलमेट में बदला जा सकता है। सुरक्षा के लिहाज से ये भी भरोसेमंद होते हैं। स्कल कैप: ऐसे हेलमेट से केवल सिर के ऊपरी भाग की सुरक्षा होती है और ये न्यूनतम मानकों पर खरे उतरते हैं। इन हेलमेटों से आस पास की दृष्टि बाधित नहीं होती मगर ये असुरक्षित साबित होते हैं।

हेलमेट नहीं पहनना बन रहा कल्चर: राची की सड़कों पर सुरक्षित चलने के लिए जागरूकता अभियान चलाने वाले एनजीओ राइज-अप के फाउंडर रिषभ आनंद ने बताया कि राची में हेलमेट नहीं पहनना कल्चर की तरह बनता जा रहा है। छोटे बच्चे भी बिना हेलमेट के गाड़िया चला रहे हैं ऐसे में जरुरत है कि अभिभावक को अपने बच्चों को रोकें । लोगों हेलमेट के प्रति जागरूक होना चाहिए। हेलमेट के प्रति बहुत लापरवाही बरती जाती है। अक्सर एक दुर्घटना के बाद हेलमेट को बदलने की सलाह दी जाती है। लेकिन इनका बार-बार प्रयोग होता है। ऐसे में ये पहली बार की तरह सुरक्षा नहीं कर पाते।

जरूर पहनें हेलमेट : अधिकतर युवा मेन रोड पर जाते वक्त पुलिस से बचने के लिए हेलमेट का प्रयोग करते हैं। दुर्घटना कहीं भी किसी के साथ हो सकती है इसलिए घर से निकलते ही बाइक चलते वक्त हेलमेट पहनना चाहिए। विवेक, सिविल इंजीनियर। पूजा चक्रवर्ती, कंटेट राइटर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.