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एचईसी को भारतीय रेलवे से मिला कार्यादेश

रांची : एचईसी अब रेलवे ट्रैक के रखरखाव के लिए बैलेस्टिंग क्लिनिंग मशीन का निर्माण करेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 12:44 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 12:44 AM (IST)
एचईसी को भारतीय रेलवे से मिला कार्यादेश
एचईसी को भारतीय रेलवे से मिला कार्यादेश

रांची : एचईसी अब रेलवे ट्रैक के रखरखाव के लिए बैलेस्टिंग क्लिनिंग मशीन का निर्माण करेगा। इसे लेकर भारतीय रेलवे से एचईसी को कार्यादेश मिला है। रूसी कंपनी कैसकेड इसमें तकनीकी सहयोग करेगा। मशीन का निर्माण एचएमबीपी में होगा। रूस की टीम ने इसे लेकर कई बार एचईसी का दौरा कर चुकी है। अब विदेशी नहीं, बल्कि देशी मशीन ही रेलवे ट्रैक की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। अब तक रेलवे को विदेश की कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं होगा। अब राची स्थित एचईसी ही रेलवे ट्रैक का रखरखाव करने वाली मशीन का निर्माण करेगा।

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साथ ही मशीन के निर्माण में लागत भी कम होगी। विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित मशीनों की तुलना में सस्ती होंगी। प्रारंभिक चरण में एचईसी रूसी तकनीक से मशीन के कुछ फीसद उपकरणों को तैयार करेगा। इसके बाद आगे चलकर शत-प्रतिशत उपकरणों को बनाएगा। एचईसी के मौजूदा संसाधनों के बूते ही इसका निर्माण संभव हो सकेगा। तीन मशीनों की पड़ती है जरूरत रेलवे ट्रैक के रखरखाव के लिए तीन मशीनों की जरूरत पड़ती है, जो एक के बाद एक रेलवे ट्रैक की साफ -सफाई के साथ-साथ उसे मजबूती देता है। रेल दुर्घटना के बाद पटरी को काफी कम समय में दुरुस्त कर दिया जाएगा। इसके लिए एक ऐसी वैक्यूम मशीन भी बनेगी जो गिट्टी को तुरंत साफ कर देगी।

पहले बैलेस्ट क्लिनिंग मशीन की जरूरत पड़ती है। यह ट्रैक पर बिछे छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों की सफाई करती है और उन पत्थरों के बीच की गंदगी को बाहर निकालती है। पत्थरों को बिठाने और बिछाने के लिए बैलेस्ट रेगुलेटिंग मशीन की आवश्यकता पड़ती है। इसके बाद डायनेमिक गेज स्टेबलाइजर मशीन पटरियों के बीच निर्धारित दूरी निर्धारित करती है। यहां मशीनें कम कीमत पर तैयार होंगी।


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