Move to Jagran APP

झारखंड में भारी बारिश ने रोकी ट्रेनों की रफ्तार, 10 घंटे फंसी रहीं तीन राजधानी एक्‍सप्रेस सहित कई ट्रेनें

झारखंड में भारी बारिश और हवा के कारण रेलवे ट्रैक के किनारे मिट्टी धंसने और ओवरहेड टूटने के कारण ट्रेनों को जहां-तहां रोकना पड़ा।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 11:53 AM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 07:56 PM (IST)
झारखंड में भारी बारिश ने रोकी ट्रेनों की रफ्तार, 10 घंटे फंसी रहीं तीन राजधानी एक्‍सप्रेस सहित कई ट्रेनें
झारखंड में भारी बारिश ने रोकी ट्रेनों की रफ्तार, 10 घंटे फंसी रहीं तीन राजधानी एक्‍सप्रेस सहित कई ट्रेनें

जेएनएन, रांची। झारखंड में पिछले तीन-चार दिनों से लगातार हो रही बारिश ने कई जिलों में काफी नुकसान पहुंचाया है। ट्रेनें सबसे प्रभावित हुई हैं। बारिश और हवा के कारण रेलवे ट्रैक के किनारे मिट्टी धंसने और ओवरहेड टूटने के कारण ट्रेनों को जहां-तहां रोकना पड़ा। धनबाद रेल मंडल अंतर्गत कोडरमा व गया जंक्शन के बीच सुदूर जंगली क्षेत्र नाथ गंज के समीप गुरुवार की रात ग्रैंडकोर्ड सेक्शन में डाउन लाइन का ओवरहेड तार टूट जाने से लगभग 10 घंटे से इस लाइन पर परिचालन बाधित रहा।

loksabha election banner

इस रूट से सुबह 4:00 से 5:00 के बीच गुजरने वाली गुजरने वाली तीन राजधानी, नई दिल्ली- हावड़ा, नई दिल्ली -सियालदह व नई दिल्ली- भुवनेश्वर राजधानी समेत कई मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें विभिन्न स्टेशनों जहां- जहां तहां रुकी रहीं। दस घंटों की मेहनत के बाद ट्रेनों को गंतव्‍य की ओर रवाना किया जा सका। इस दौरान ट्रेनों में सवार यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

ट्रैक के किनारे की मिट्टी धंसी
धनबाद समेत आसपास के जिलों में गुरुवार रात से ही रही भीषण बारिश ने भी रेलवे को खूब परेशान किया। आसनसोल रेलमंडल के कुल्टी और सीतारामपुर के बीच रेललाइन के किनारे जमीन धंसने से अप लाइन में ट्रेन परिचालन बाधित रहा। हावड़ा रांची शताब्दी, वर्द्धमान हटिया पैसेंजर को पुरुलिया होकर डायवर्ट किया गया। ब्लैक डायमंड को सभी स्टेशनों पर रोका जाएगा। डाउन लाइन से परिचालन जारी है। डीआरएम पीके मिश्रा सहित अन्य अधिकारी घटनास्थल पर हैं। गोमो जानेवाले यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

धनबाद के कुमारधुबी के झिलिया नदी में आई बाढ़ ने तबाही मचाई है। झिलिया नदी के किनारे बसे लगभग तीन सौ परिवार प्रभावित हुए हैं। लाखों की संपत्ति बर्बाद होने की सूचना है। स्कूल-क्लब एवं मंदिरों में 50 से अधिक परिवारों ने शरण ले रखी है। बीडीओ अनंत कुमार ने मौके पर पहुंच वस्तुस्थिति की जानकारी ली। पीड़ित परिवारों को हर तरह की सहायता का आश्वासन दिया। इधर, लोयाबाद 20 नंबर इलाके के कई घरों में बारिश का पानी घुस गया। वहीं, चतरा में बारिश ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर रखा है। जल जमाव ने परेशानी बढ़ गई है। दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है। चार दिनों में डेढ सौ मिली मीटर बारिश यहां हुई है।

यहां बारिश में पांच दर्जन गांव बन जाते हैं टापू
बारिश का मौसम शुरू होते ही उन गांवों में हाहाकार मचने लगता है, जहां पर पहुंच पथ नहीं है या फिर नदियों पर पुल नहीं बना है। ऐसे गांवों की संख्या सौ के करीब है। इनमें अधिकांश वैसे गांव हैं, जिसका चयन प्रधानमंत्री आदर्श योजना के लिए हुआ है। घोर उग्रवाद प्रभावित और उपेक्षित होने के कारण आज तक ऐसे गांवों का विकास नहीं हो पाया है। चार से छह घंटा मूसलाधार बारिश होने पर यह सारे गांव टापू बन जाते हैं। यहां पहुंचना कष्टदायक हो जाता है। इन गांवों के बच्चों की पढ़ाई चौपट हो जाती है। बीमार ग्रामीण तिल-तिल कर गांव में ही रहने को विवश रहते हैं या फिर जुगाड़ टेक्नोलॉजी के जरिये उपचार के लिए दूसरे गांवों में आते हैं। बारिश कम होने पर पगड़डियों के सहारे दूरी तय की जाती है। यह स्थिति पूरे बरसात रहती है। यही कारण है कि बारिश का मौसम आते ही इन गांवों के ग्रामीणों में बेचैनी छाने लगती है।

ग्रामीणों का कहना है कि कच्ची सड़क होने के कारण वाहनों को कीचड़ में फंसने का डर रहता है। जिसके कारण वाहन मालिक संबंधित क्षेत्रों में परिचालन को रोक देते हैं। वाहन नहीं चलता है, तो आवागमन के साथ-साथ दूसरी व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ता है। शहर के बाजार से खाद्य सामग्रियां नहीं आती हैं। कुछ गांव भौगोलिक दृष्टिकोण से काफी दुर्गम और घनघोर जंगल के बीच बस हुए हैं। पहाड़ों से घिरे होने के कारण बरसात का पानी कच्ची सड़क को बहा देता है। इससे स्थिति और भयावह हो जाती है। उग्रवाद प्रभावित गांव होने के कारण आज तक अपेक्षित विकास नहीं हुआ। बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं हो सकी। हालांकि इनमें से कुछ गांवों में ग्राम स्वराज अभियान के तहत प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, बीमा योजना, जनधन आदि सुविधाएं बहाल की गई है। लेकिन प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत इन गांवों में अब तक बिजली की सुविधा बहाल नहीं हो सकी है।

बरसात में टापू बनने वाले गांव :
पत्थलगडा प्रखंड के मेराल, जोरी, खैरा, कोरांबे, मेरमगड़ा, सिरकोल, सितलपुर, सितलपुर, पांडेतरी एवं मेराल पंचायत के सारे गांव, सिमरिया प्रखंड के तपसा, उरुब, हांडे, बारा, गेड़वा, सिल्हटी हुड़मुड़, रेहड़ा, हुड़मुड़ आदि गांव। कान्हाचट्टी प्रखंड के बेंगोकला पंचायत के गाडिय़ा, अमकुदर, सीकीद, बनिया बांध, नारे धवैया, पथेल, दारीदाग, कसियाडीह, लारालुट्टूदाग, कुम्भिया और प्रतापपुर प्रखंड के नारायणपुर, हेसातु, फगुआ, एघारा, रहरिया, दुंदु, सिंदुरिया, जीराबार, बरुरा, घियाही, जमुआ, गोड़े, हुमाजांग, भौराज, बसबुट्टा, लिप्ता, सिलदाहा, जोलहबिगहा सहित अन्य गांव शामिल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.