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पहली बार ई-मेल से दाखिल याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने नौकरी से निकालने के आदेश पर लगाई रोक

Jharkhand. झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपने आवास पर की वीसी से सुनवाई। मामले में राज्य सरकार से 12 मई तक मांगा जवाब।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 03:36 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 03:36 PM (IST)
पहली बार ई-मेल से दाखिल याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने नौकरी से निकालने के आदेश पर लगाई रोक
पहली बार ई-मेल से दाखिल याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने नौकरी से निकालने के आदेश पर लगाई रोक

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार ई-मेल के जरिए दाखिल याचिका और ई-मेल से ही मेंशन करने पर एक मामले में सुनवाई की गई। मंगलवार को चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन अपने आवास से ही वीडिया कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए दैनिक वेतन भोगी को नौकरी से निकालने के आदेश पर रोक लगा दी। यह मामला लोहरदगा के जेल अधीक्षक द्वारा संविदा पर जेल में काम कर रहे दैनिक कर्मी चंद्रमौली कुमार झा को एक अप्रैल से हटाने से जुड़ा है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार और जेल अधीक्षक को 12 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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सुनवाई को दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि चंद्रमौली कुमार झा वर्ष 2008 से लोहरदगा जेल में वीडियो कांफ्रेंसिंग ऑपरेटर के पद पर कार्य कर रहे थे। 17 मार्च 2020 को जेल अधीक्षक द्वारा उन्हें नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया गया। बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार दस साल से ज्यादा दिनों से काम करने वाले दैनिक कर्मियों को राज्य सरकार को नियमित करना है। लेकिन दैनिक कर्मियों को नियमित करने की बजाय उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है।

वो भी ऐसे समय में जब कोरोना वायरस को लेकर केंद्र सरकार ने 20 मार्च को एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत किसी भी सरकारी या निजी संस्थान किसी कर्मी को न तो निकाल सकते हैं और न ही उनका वेतन रोक सकते हैं। इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में सरकार ने दैनिक कर्मी को निकालने के निर्णय को स्थगित कर दिया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है।

ई-मेल के जरिए दाखिल हुई याचिका

कोरोना वायरस के चलते हाई कोर्ट सहित अन्य कोर्ट की कार्यवाही बाधित है। हालांकि कोर्ट ने अतिमहत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए ई-मेल से मेंशन व दाखिल करने की छूट प्रदान की है। इसको देखते हुए प्रार्थी के अधिवक्ता ने ई-मेल से याचिका दाखिल करते हुए राज्य और केंद्र सरकार के अधिवक्ता को ई-मेल के जरिए पीटिशन की कॉपी भेजी। चीफ जस्टिस की अनुमति मिलने के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।


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