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JPSC Mains. झारखंड हाई कोर्ट में पूरी नहीं हो सकी सुनवाई, अब 28 को होगा फैसला

Jharkhand Public Service Commission. झारखंड हाई कोर्ट में जेपीएससी मुख्‍य परीक्षा पर सुनवाई अब 28 जनवरी को होगी। छठी जेपीएससी मुख्‍य परीक्षा 28 से एक फरवरी तक होगी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 08:57 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 03:22 PM (IST)
JPSC Mains. झारखंड हाई कोर्ट में पूरी नहीं हो सकी सुनवाई, अब 28 को होगा फैसला
JPSC Mains. झारखंड हाई कोर्ट में पूरी नहीं हो सकी सुनवाई, अब 28 को होगा फैसला

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो।  झारखंड लोक सेवा आयोग की छठी मुख्‍य परीक्षा पर झारखंड हाई कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। शुक्रवार को दोपहर बाद दो बजे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने छठी जेपीएससी मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 जनवरी तय की है। वादी पंकज पांडेय की ओर से अदालत से मुख्‍य परीक्षा को रोकने की अपील की गई थी। पिछले सुनवाई में वादी के वकील ने समय दिए जाने का आग्रह किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था।

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इससे पहले जेपीएससी की छठी मुख्‍य परीक्षा पर सोमवार, मंगलवार और बुधवार को भी आंशिक सुनवाई तो हुई लेकिन कोई फैसला नहीं आ सका। हाई कोर्ट में इस मामले में दो बार सुनवाई टल गई। सोमवार को यह मामला संबंधित कोर्ट में नहीं सुना जा सका था। मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो पाई थी। जिस पर कोर्ट ने कहा कि बुधवार को इस मामले की सुनवाई होगी।बाद में शुक्रवार को सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी गई।लेकिन फैसला नहीं आ सका।

पंकज कुमार पांडेय की ओर से उच्‍च न्‍यायालय में दाखिल याचिका में कहा गया है कि छठी जेपीएससी नियुक्ति को लेकर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया है कि न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्‍स प्राप्त करने वाले ही मुख्य परीक्षा में शामिल होंगे। तब इसे पंकज कुमार पांडेय ने एकलपीठ में चुनौती दी थी। एकलपीठ ने सरकार की अधिसूचना को सही ठहराते हुए पंकज पांडेय की याचिका खारिज कर दी थी। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार इस तरह का निर्णय लेने के लिए सक्षम है। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए पंकज कुमार की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद इन्होंने एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है।

बता दें कि जेपीएससी मेंस पर पहले से ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विधानसभा में भी सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्‍यों ने मेंस परीक्षा पर रोक लगाने की जोरदार मांग उठाई थी। हालांकि सरकार ने मामला कोर्ट में होने की बात कहते हुए बचने का प्रयास किया था। तब अासन के निर्देश पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसपर मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव के साथ बैठक कर युवाओं के हित में निर्णय लेने का आश्वासन सदन को दिया था।

कार्मिक सचिव ने बताया कि निर्धारित न्यूनतम मार्क्‍स लाने वाले सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया गया था। हाई कोर्ट द्वारा इसपर सहमति दिए जाने के बाद ही जेपीएससी ने रिजल्ट जारी किया। हाई कोर्ट द्वारा एक अन्य याचिका में आनेवाले आदेश के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि मामला जब कोर्ट में है तो आखिर मुख्य परीक्षा कैसे ली जा रही है। उन्होंने बाउरी कमेटी की रिपोर्ट सदन में रखने तथा उसपर चर्चा कराने की भी मांग की। उन्होंने पीटी में आरक्षण नहीं देने पर भी सवाल उठाया।

इधर छठी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का मामला कोर्ट में होने के कारण सदन में कोई निर्णय नहीं होने पर विधायक शिवशंकर उरांव ने विधायिका की सर्वमान्यता पर चिंता करने की जरूरत बताई। कहा, न्यायिक अदालत और जनता की अदालत (विधानसभा) में कौन उच्च है, संविधान में उल्लेख है। सदन को जनता के लिए निर्णय लेना चाहिए। सरकार को बहाना नहीं समाधान ढूंढना चाहिए।


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