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रांची में हवाला कारोबारी वाट्सएप पर कर रहे लेनदेन, छापेमारी में नहीं होता कुछ बरामद

रांची में हवाला कारोबार जिंदा है। यह अरसे से चलती आ रही है। इस पर रोक लगा पाने में सिस्टम पूरी तरह सफल नहीं है। रांची में अब काले धन का धंधा हवाला वाट्सएप के जरिए चलने लगा है। अब आप इसे देसी हवाला कहें या रुक्का।

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:42 PM (IST)
रांची में हवाला कारोबारी वाट्सएप पर कर रहे लेनदेन, छापेमारी में नहीं होता कुछ बरामद
रांची में अरसे से चलता आ रहा हवाला कारोबार। जागरण

रांची [फहीम अख्तर ]। रांची में हवाला कारोबार जिंदा है। यह अरसे से चलती आ रही है। इस पर रोक लगा पाने में सिस्टम पूरी तरह सफल नहीं है। रांची में अब काले धन का धंधा हवाला वाट्सएप के जरिए चलने लगा है। अब आप इसे देसी हवाला कहें या रुक्का, लेकिन अवैध तरीके से नोटों के हस्तातरण हो रहा है। लाखों-करोड़ों का यह धंधा भरोसे पर चल रहा है। वह भी आयकर विभाग, अपराधियों के डर के बिना। नोटों की गड्डी दूसरे जिले या प्रदेश में चुटकी में पहुंच जाएगी। इस कारोबार की सूचनाएं पुलिस को मिलती है, लेकिन कुछ भी बरामद नहीं होता। बुधवार को भी अपर बाजार के दो बड़े व्यापारियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। लेकिन पुलिस को कुछ भी हाथ नहीं लगा।

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कूरियर कंपनी के नाम पर हो रहा इधर से उधर

नेता, बड़े व्यापारी, ठेकेदार अपनी ब्लैक मनी इसी के माध्यम से इधर से उधर बिना रिकॉर्ड के सरका रहे हैं। शहर में अनगिनत हवाला एजेंट सक्रिय हैं। कहीं कूरियर कंपनी के नाम पर, कहीं मनी एक्सचेंज के नाम पर लाखों रुपये चुटकी में एक राज्य से दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं। विदेशी करेंसी पर भी व्यवसायियों के पैसे इंवेस्ट हो रहे हैं। विदेशी करेंसी अवैध रूप से राची में लाई जा रही है। जिसका अवैध रूप से एक्सचेंज भी कराया जा रहा है। यह सब बेहद भरोसे के तहत हो रहा है। पुलिस तक शिकायत भी नहीं पहुंचती है।

बैंकों के समानांतर चल रहा सिस्टम

हवाला एजेंट बैंकों के समानातर सिस्टम चला रहे हैं। कर्ज लेना हो या देना सब चलता है। देसी भाषा में इसे बाजार से कर्ज, कहते हैं। सूद की दर ज्यादा होती है और कम समय के लिए कर्ज उपलब्ध होता है।

वाट्सएप पर कोड के माध्यम से चल रहा धंधा

हवाला का यह कारोबार वाट्सएप कॉलिंग और मैसेज के जरिए चल रहा है। यह धंधा कोड पर चलता है। उदाहरण के लिए यहा रुपये जमा कीजिए और वाट्सएप से किसी खास नोट का नंबर उस शहर के किसी एजेंट तक पहुंच जाता है जहा राशि रिसीव करनी है। पहले यह मैनुअल चलता था। किसी नोट का आधा हिस्सा फाड़कर रख लिया और आधा पैसे की डिलीवरी लेने वाले के पास भेज दिया जाता था। ठिकाने पर दोनों टुकड़ों का मिलान कर राशि अदा कर दी जाती थी। बहुत मामूली से कमीशन पर। लेकिन अब तो वाट्सएप पर तत्काल कोड या नोट का नंबर बैंकों के आरटीजीएस से ट्रासफर के जैसा पहुंच रहा है।

करोड़ को टन या खोखा और ड्रम कहते हैं एजेंट

साइबर फ्रॉड को लेकर बैंक अलर्ट करते रहते हैं कि ओटीपी, पासवर्ड, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, आधार का नंबर किसी से शेयर न करें। इसी तर्ज पर देसी हवाला में भी कोड की पूरी गोपनीयता रखी जाती है। बातचीत की भी अपनी भाषा है। उनके धंधे में लाख को केजी और करोड़ को टन या खोखा और ड्रम कहा जाता है।

छोटे-बड़े सब हैं ग्राहक

इस धंधे में सिर्फ बड़े ग्राहक हों ऐसा नहीं है। देसी हवाला के जरिए छोटी-छोटी राशि भी इधर से उधर होती है। बाहर कमाने गए मजदूर गाव वापस लौटते हैं तो रास्ते में पैसे सुरक्षित रहें इसे ध्यान में रखते हुए इस सेवा की मदद लेते हैं। तत्काल पैसा उनके शहर में पहुंच जाता है। धंधे से जुड़े लोग हजारों मील दूर विदेशों से कोड के आधार पर ही राज्य के गावों तक अरबों रुपये पहुंचा देते हैं। जिसकी जानकारी सिर्फ विदेशों से रकम भेजने वाले अथवा उसके परिवार वालों को ही होती है। ऐसे में देश इस गैर-कानूनी कारोबार से विदेशी करंसी से महरूम हो जाता है।

जानें, क्या है हवाला कारोबार

हवाला के जरिए नकद धनराशि कम समय में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा दी जाती है। यह पैसों के लेनदेन का अवैध कारोबार है। बिना किसी बैंक या सरकारी सिस्टम की नजर में आए लाखों, करोड़ों रुपये एक से दूसरे शहर चले जाते हैं। लेनदेन में व्यक्तियों के नेटवर्क का इस्तेमाल होता है। हवाला में पैसे देने वाले और लेने वाले व्यक्ति के बीच कोई सीधा संवाद नहीं होता। यह काम बिचौलिए और एजेंटों के माध्यम से कोड के जरिए होता है।


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