दुकानदारी चौपट, वेंडर मार्केट में जोनवाइज नहीं बंटी दुकानें तो फुटपाथ पर लौटेंगे
वेंडर्स मार्केट की दुकानों को अभी तक जोन में नहीं बांटा जा सका है। दुकानदारों ने कहा कि नहीं बांटने पर फिर से फुटपाथ पर जाने को मजबूर होंगे।
जागरण संवाददाता, रांची : वेंडर्स मार्केट की दुकानों को अभी तक जोन में नहीं बांटा जा सका है। जबकि इसके लिए मेयर की अध्यक्षता में संपन्न निगम की बैठक में निर्णय लिया गया था। गुरुवार को मार्केट के दुकानदारों ने इसका पुरजोर विरोध किया। ऊपरी तल्ले की सारी दुकानें दिन भर के लिए बंद रही। वेंडरों ने कहा कि कमाई के मद्देनजर दुर्गा पूजा किसी भी व्यवसायी के लिए सबसे खास होता है। लेकिन उनकी दुकानदारी चौपट है। यदि पूजा के पहले उन्हें जोन वाइज नहीं बांटा गया तो वे वापस फुटपाथ पर जाने को मजबूर हो जाएंगे।
इधर नीचे के दुकानदार जोन वाइज दुकानें नहीं बांटने की अपील कर रहे हैं। सभी ने अपनी-अपनी दुकानों पर पोस्टर लगा रखी है। जिस पर लिखा है कि जोन वाइज उन्हें नहीं बांटा जाए। इस तरह दुकानदारों में ही मतभेद है। हालांकि जोन वाइज व्यवस्था से सभी को बराबर मौका मिल सकेगा। दुकानों की सूची हो चुकी है तैयार : डिप्टी मेयर
नगर निगम में वेंडर्स मार्केट को लेकर चल रही गतिविधियों से पता चलता है कि पूजा से पहले दुकानें जोन वाइज बांटी जा सकती हैं। डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने बताया कि दुकानों की सूची तैयार हो चुकी है। जल्द ही संख्या का आंकलन होगी। दो से तीन दिन में मेयर की अध्यक्षता में बैठक होगी, जिसके बाद दुकानों को जोन में बांटा जाएगा। उन्होंने कहा कि दुकानों को जोन में बांटे जाने का प्रावधान पहले से ही था। ये भी होंगे निर्णय
- कुछ दिव्यांग वेंडरों को उचित स्थान पर दुकानें दी जाएंगी।
- कुछ अन्य दुकानदारों को लॉटरी के बाद दुकानें मिलेंगी।
- जो दुकानें थ्री इन वन के तहत आवंटित हुई हैं, उन्हें अलग किया जाएगा।
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फिर से लौट आए उसी जगह पर..
अटल वेंडर मार्केट को टाइम फ्रेम ही बना कर पूरा कर लिया गया था। देश का पहला वेंडर मार्केट का तमगा। लेकिन अफसोस इसके बनने के बाद से तरह-तरह की उलझनों में वेंडर मार्केट फंस गया।
-पहला पेच इस बात पर फंसा कि वेंडर मार्केट के मेटेनेंस के लिए एजेंसी कौन सी होगी। एजेंसी नहीं मिली तो आनन-फानन बिल्डिंग बनानेवाली एजेंसी को ही इसका काम दे दिया।
-इस एजेंसी को हर माह 15 लाख और सालाना जोड़ें तो यह एक करोड़ 80 लाख बैठता है। बावजूद काफी समय तक वेंडर मार्केट धूल फांकता रहा।
-एजेंसी 15 लाख रुपये प्रतिमाह ले रही है लेकिन जिम्मा केवल है दो फ्लोर का। ऐसा इसलिए कि बाकी के तल्ले खाली हैं।
-जब सब कुछ तय हो गया तो पेच फंस गया कि कौन-कौन से वेंडर इसमें जाएंगे। इसे लेकर महीनों तकरार चली। एक के बाद एक दुकानदारों की सूची बनी और फिर लॉटरी निकाली गई।
-आगे पेच यहीं खत्म नहीं हुआ। लिस्ट में गड़बड़ी के कई आरोप लगे।
-दिलचस्प यह है कि टीवीसी की बैठक में (दुकान आवंटन से पहले) में यह तय हुआ था कि हर प्रोडक्ट को अलग-अलग जोन में रखा जाएगा। इस पर अमल होना था। लेकिन दो दिन के बाद ही 77 आवेदन आए और इन्हें लॉटरी के माध्यम से दुकान आवंटन कर दिया गया।
-इसलिए जो मामला अभी उठा है वो अपने पूर्व की स्थिति में आ चुका है।