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गुरुजी की मुश्किल, ऑनलाइन सिस्टम में सार्वजनिक हो रहीं गोपनीय जानकारी

राज्य भर के शिक्षकों के बैंक अकाउंट की सुरक्षा खतरे में हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 02:00 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:16 AM (IST)
गुरुजी की मुश्किल, ऑनलाइन सिस्टम में सार्वजनिक हो रहीं गोपनीय जानकारी
गुरुजी की मुश्किल, ऑनलाइन सिस्टम में सार्वजनिक हो रहीं गोपनीय जानकारी

ब्रजेश मिश्र, रांची : राज्य भर के शिक्षकों के बैंक अकाउंट की सुरक्षा खतरे में हैं। बताया जा रहा है कि ई विद्या वाहिनी पर अपडेट किए गए शिक्षकों के प्रोफाइल में मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट नंबर से लेकर आइएफसी कोड तक कोई भी दूसरा व्यक्ति बड़े आराम से देख सकता है। पूरे राज्य के स्कूलों को एक ही पासवर्ड दिया गया है। किसी भी एक विद्यालय में कोई एक शिक्षक अगर ई-विद्या वाहिनी पर डाटा अपलोड के लिए लॉग इन करता है तो वह अपने विद्यालय के सभी शिक्षकों की गोपनीय जानकारियां बड़े आराम से देख सकता है। कुछ जगहों पर शिक्षक के खाते से पैसे गायब होने के मामले सामने आए हैं। हैरानी की बात यह कि गोपनीयता भंग के इस मामले से स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अधिकारी तक अनजान बने हुए हैं।

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शिक्षित वर्ग की सुरक्षा ही दाव पर

अक्सर साइबर अपराधियों से सुरक्षा के लिए जनहित में सूचनाएं जारी की जाती हैं। इसमें पुलिस के अधिकारी बड़े विस्तार से बताते हैं कि आप अपने बैंक अकाउंट से जुड़ी गोपनीय जानकारियां किसी दूसरे के साथ साझा न करें। आश्चर्यजनक तरीके से अब सरकारी मशीनरी ही शिक्षित वर्ग की साइबर सुरक्षा को दाव पर लगा रही है। राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने ही ई विद्या वाहिनी एप पर शिक्षकों का संपूर्ण विवरण भरने का आदेश दिया है। इसमें शिक्षकों को अपनी शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ अपने बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर, आइएफसी कोड की जानकारी भी देने के लिए कहा गया। शिक्षकों ने विभागीय फरमान पर अमल करते हुए इसे भर दिया। इस तकनीकी में कोई भी दूसरा व्यक्ति एप के जरिये स्कूल के यू डाइस कोड और पासवर्ड के जरिये दूसरे शिक्षकों की सभी की जानकारियों को देख सकता है। स्कूल का यू डाइस का कोड आसानी से सर्च कर देख नेट पर प्राप्त हो सकता है।

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इनके लिए हो रही ई विद्या वाहिनी का उपयोग -शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों की बायो मैट्रिक्स उपस्थिति दर्ज करने के लिए ई विद्या वाहिनी एप का इस्तेमाल होता रहा है। -विभाग के द्वारा यह आदेश दिया गया है कि राज्य के सभी शिक्षक इस एप में अपना प्रोफाइल बनाएंगे।

- इस एप में शिक्षक को अपनी सारी जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। इसमें नाम, पता, आधार नंबर, फोन नंबर, ई मेल, बैंक अकाउंट की सारी जानकारी, बैंक का नाम, बैंक का आइएफएसई नंबर, शैक्षणिक दस्तावेज की पीडीएफ कॉपी अपलोड करनी है।

- यह एप स्कूल के यू डायस कोड व पासवर्ड से खुलता है। इसकी जानकारी विद्यालय में सभी

शिक्षकों के पास होती है। इस एप के जरिये विद्यालय का कोई भी व्यक्ति दूसरे की सारी जानकारी आसानी से निकाल सकता है।

- किसी भी स्कूल का कोड गूगल से प्राप्त किया जा सकता है। पासवर्ड सभी स्कूलों का एक ही सामान है। कोट

ई विद्या वाहिनी का कोड स्कूल के प्रधानाचार्य के पास होना चाहिए। अगर यह सब लोगों के बीच सार्वजनिक हो रहा है तो निश्चित रूप से चिताजनक स्थिति है। मामला संज्ञान में आया है। तकनीकी विभाग को इसमें आवश्यक सुधार का निर्देश तत्काल दिया जा रहा है।

जटाशंकर चौधरी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग


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