ऑनलाइन होगा गुरु पूजन कार्यक्रम
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर माना गया है। इस बार ऑनलाइन ही गुरु पूजन कार्यक्रम होंगे.
जागरण संवाददाता, रांची : भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर माना गया है। संत कबीर अपने दोहे गुरु गोविद दोनों खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने गोविद दियो बताय के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में गुरु के महत्व को दर्शाया है। संत कबीर कहते हैं गुरु व्यक्ति के जीवन से अंधकार को दूर कर परमात्मा से मिलाता है। ईश्वर की महिमा गुरु के माध्यम से ही जान पाते हैं। अत: गुरु का स्थान देवताओं से भी श्रेयकर है। गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों की ओर से विशेष आयोजन कर गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। कोरोना वायरस के कारण इस बार सभी जगहों पर सामूहिक कार्यक्रम को स्थगित कर अपने-अपने घरों में ही गुरु का पूजन करने को कहा जा रहा है। अधिकतर जगहों पर लोग ऑनलाइन गुरु पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे।
गुरु प्रत्येक दिन होते हैं वंदनीय :
जीवन में हम जो कुछ भी प्राप्त करते हैं कहीं न कहीं गुरु की कृपा का ही फल है। गुरु का मतलब शिक्षक से नहीं बल्कि गुरु माता-पिता, भाई, दोस्त किसी भी रूप में हो सकते हैं जिनका नाम सुनते ही हृदय में सम्मान का भाव जगता है। सम्मान प्रकट करने के लिए किसी दिन का नहीं बल्कि प्रत्येक दिन गुरु वंदनीय होते हैं। हालांकि, जीवन की आपाधापी में भौतिक रूप जीवन निर्माता के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा वो खास दिन होता है जहां हम भौतिक एवं मन दोनों ही रूप से गुरु की वंदना, सम्मान करते हैं। आषाढ मास के पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इसी दिन चारों वेद व महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। वेदों की रचना करने के कारण इन्हें वेद व्यास भी कहा जाता है। वेद व्यास के सम्मान में ही आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु पूजन का विशेष विधान है। इस बार गुरु पूर्णिमा पांच जुलाई को पड़ रहा है। संघ के स्वयं सेवक केसरिया ध्वज के समक्ष गुरु पूजन करते हैं। पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में भारी भीड़ होती है। वहीं, इस बार कोराना संक्रमण के कारण मंदिर जहां सूने हैं वहीं सार्वजनिक कार्यक्रम भी नहीं होगा। किस प्रकार होगा आयोजन, क्या है तैयारी गुरु पूर्णिमा पर 20 हजार कार्यकर्ता ऑनलाइन सुनेंगे प्रवचन
राज्य में आनंदमार्गियों की संख्या करीब 20 हजार है। इस बार गुरु पूर्णिमा पर ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया जाएगा। आचार्य सत्यश्रयानंद अवधूत के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर सुबह एवं शाम में आनंदमार्ग के पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत का प्रवचन होगा। आनंदमार्गी कार्यक्रम में ऑनलाइन भाग लेंगे।
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शहीदों की आत्मा की शांति के लिए दी जाएगी विशेष आहूति
गुरु पूर्णिमा पर गायत्री परिवार के विभिन्न शक्ति पीठ एवं प्रज्ञा केंद्र पर विशेष अनुष्ठान होंगे। शक्ति पीठ में सिर्फ नियमित कार्यकर्ता शारीरिक दूरी का पालन करते हुए अनुष्ठान में शामिल होंगे। गायत्री परिवार के जय प्रकाश नारायण प्रसाद के अनुसार गुरु पूजन के उपरांत शहीद सैनिकों की आत्मा की शांति हेतु यज्ञ कुंड में आहूति दी जाएगी। गायत्री महामंत्र का जाप किया जाएगा।