रांची में बीटेक छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में सजा-ए-मौत Ranchi News
Jharkhand. 1101 दिन बाद रांची की निर्भया को इंसाफ मिला। 15 दिसंबर 2016 की रात निर्भया की जघन्य हत्या हुई थी। घटना रेयरेस्ट ऑफ रेयर अधिकतम से कम सजा अनुचित।
रांची, जासं। रांची के सदर थाना क्षेत्र में बीटेक छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने शनिवार को दोषी राहुल राज उर्फ रॉकी राज उर्फ अंकित उर्फ राज श्रीवास्तव उर्फ आर्यन (25 वर्ष) को फांसी की सजा सुनाई। 1101 दिन बाद रांची की इस निर्भया को इंसाफ मिला्र है। कातिल को भारतीय दंड विधान (भादवि) की धारा 302, 376, 499, 201 में दोषी ठहराया गया है। चारों मामले में अलग-अलग सजा सुनाई गई है।
साथ ही, सभी चारों मामले में पांच-पांच हजार रुपये (कुल 20 हजार रुपये) का जुर्माना भी लगाया गया है। दोषी राहुल राज मूलत: बिहार के नालंदा जिले के एकंगरसराय के धुरगांव का रहने वाला है। सीबीआइ ने लखनऊ से उसे प्रोडक्शन वारंट पर 22 जून 2019 को लाकर रांची में न्यायिक दंडाधिकारी एके गुडिय़ा की अदालत में पेश किया था। लखनऊ में वह विभिन्न मामलों में जिला जेल में बंद था। सीबीआइ की ओर से इस मामले में 30 गवाह पेश किए गए।
रिकॉर्ड 16 दिन में अभियोजन पक्ष की ओर से गवाही पूरी करा ली गई। अपने फैसले में सीबीआइ के विशेष जज एके मिश्रा ने घटना को रेयरेस्ट ऑफ रेयर करार दिया। कहा कि यह अपराधी समाज के लिए जहर है। सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है। फांसी से कम की सजा पीडि़ता के साथ अन्याय होगा। अदालत ने कहा कि अभियुक्त पेशेवर अपराधी है और योजनाबद्ध तरीके से घटना को अंजाम दिया है।
फैसला सुनाने के बाद राहुल राज को जेल भेज दिया गया। वहीं, फैसला आने के बाद कोर्ट में मौजूद मृतका के पिता घटना को याद कर रोने लगे। कहा कि फांसी की सजा भी अपराधी के लिए कम ही है। परंतु, संतोष है अदालत ने न्याय किया है। इस प्रकार के फैसले से समाज को संदेश जाएगा।
15 दिसंबर, 2016 की आधी रात हैवानियत को दिया था अंजाम
किसी अनहोनी से बेपरवाह पीडि़ता बूटी बस्ती स्थित अपने घर में सोयी हुई थी। आधी रात को अभियुक्त ने उसके घर में प्रवेश किया। उसके साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद तार से गला दबा कर हत्या कर दी। इसके बाद उसके शरीर और बिस्तर पर मोबिल छिड़ककर कर आग लगा दिया। पीडि़ता के परिजन गांव गए हुए थे। सुबह में परिजनों ने पीडि़ता से फोन पर बात करने की कोशिश की, तो फोन स्वीच ऑफ आ रहा था। किराएदार ने जब अंदर जाकर देखा, तो घर मे धुंआ ही धुंआ था।
पीडि़ता का शरीर जल रहा था। फोन पर किराएदार ने इसकी सूचना परिजन को दी। इसके बाद परिजन आए और प्राथमिकी हुई। तीन साल तक रांची पुलिस और उसके बाद सीआइडी केस की छानबीन करती रही, लेकिन हत्यारे तक नहीं पहुंच सकी। मार्च 2018 में केस को सीबीआइ को सौंप दिया गया। महज दो-तीन माह में सीबीआइ हत्यारे तक पहुंच गई। केस के आइओ रहे सीबीआइ के इंस्पेक्टर परवेज आलम ने हत्याकांड से पर्दा उठाया।
किस सेक्शन में कितनी सजा
- धारा 376 भादवि : उम्र कैद व 5000 रुपये जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर एक माह का अतिरिक्त कैद।
- धारा 302 भादवि : फांसी व 5000 रुपये का जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर एक महीने का अतिरिक्त कैद।
- धारा 449 भादवि : उम्र कैद व 5000 रुपये का जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर एक माह का अतिरिक्त कैद।
- धारा 201 भादवि : सात साल का सश्रम कारावास व 5000 रुपये का जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर एक माह का अतिरिक्त कैद।