छह अन्य जिलों में भी सुखाड़ की स्थिति का जायजा लेगी सरकार
राज्य के छह ऐसे जिले, जिसे सूखा प्रभावित जिलों में शामिल नहीं किया है, सरकार वहां की मौजूदा स्थितियों का जायजा लेगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के छह ऐसे जिले, जिसे सूखा प्रभावित जिलों में शामिल नहीं किया है, सरकार वहां की मौजूदा परिस्थितियों का फिर से आकलन कराएगी। विधायक मनीष जायसवाल द्वारा लाए गए गैर सरकारी संकल्प पर कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने शुक्रवार को यह आश्वासन दिया। मंत्री ने कहा कि आकलन के बाद संबंधित जिलों के लिए क्या कुछ किया जा सकता है, विचार किया जाएगा।
मनीष जायसवाल ने हजारीबाग जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां की 70 फीसद आबादी कृषि पर आश्रित है। मानसून की बेरुखी के कारण किसान आत्महत्या करने को विवश है। ऐसे में सूखा प्रभावित 18 जिलों के 129 प्रखंडों की ही तरह सरकार हजारीबाग को भी सूखा प्रभावित घोषित करे। इस पर कृषि मंत्री ने दो टूक कहा कि केंद्रीय टीम के निरीक्षण में हजारीबाग सुखाड़ के मानकों से बाहर पाया गया। सुखाड़ प्रभावित क्षेत्र घोषित करने के विभिन्न मानकों में से एक सामान्य से 19 फीसद कम अथवा बारिश होना है, जबकि हजारीबाग में 8.4 फीसद कम बारिश हुआ है। विधायक ने इसके जवाब में कहा कि फसल के नुकसान पहुंचने का पैमाना सिर्फ कम बारिश होना नहीं है। हर मामले में औसत पैमाना नहीं हो सकता है। धान की अच्छी उपज के लिए तीन पानी जरूरी होता है। यहां हजारीबाग के बॉर्डर इलाके से सटे अन्य जिलों के किसानों को राहत मदद मिलेगी और हजारीबाग के किसान देखते रह जाएंगे।
रिम्स के 60 फीसद डॉक्टर कर रहे प्राइवेट प्रैक्टिस, समितियों को पता नहीं : भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने शुक्रवार को सदन में दावा किया कि रिम्स के 60 फीसद डाक्टर रिम्स के इर्दगिर्द प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। साथ ही गैर व्यावसायिक भत्ता (एनपीए) भी ले रहे हैं। कहने को ऐसे चिकित्सकों को चिह्नित करने तथा उनकी निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तीन-तीन समितियां गठित की गई, परंतु उन्हें ऐसे एक भी डाक्टर नहीं मिले।
उन्होंने डॉक्टरों के इस रवैये को आर्थिक अपराध करार दिया और ऐसे चिकित्सकों की पहचान करने की जवाबदेही एसीबी, स्पेशल ब्रांच अथवा सीआइडी को सौंपने की वकालत की। इसपर पहले स्वास्थ्य मंत्री ने गोलमटोल जवाब दिया, फिर सदन की मांग पर उन्होंने मौजूदा समिति की संतोषप्रद रिपोर्ट नहीं आने पर संबंधित एजेंसियों में से किसी एक को जवाबदेही सौंपे जाने का आश्वासन दिया।
राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि एनपीए लेकर प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों की पहचान के लिए सरकार ने सितंबर 2017 से जनवरी 2019 के बीच तीन समितियां गठित की। वर्तमान समिति आइएएस अफसर कृपाशंकर झा की अध्यक्षता में गठित की। इस समिति ने अखबार में इश्तेहार दिया है, जिसमें आम जनता से इससे संबंधित सूचना देने की अपील की गई है। उन्होंने इसे हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि समितियां छापामारी क्यों नहीं करती? यहां तक की लोक लेखा समिति ने भी अपने निरीक्षण में कई चिकित्सकों को ड्यूटी से गायब पाया था। इसके बाद भी सरकार लिखित शिकायत का इंतजार कर रही है।