पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिया गया है कि सभी नक्सल प्रभावित संबंधित जिलों के एसपी से एक रिपोर्ट मंगवाई जाए कि वहां कितने डीडी रिसीवर की आवश्यकता होगी। इसे एकत्रित कर केंद्र को भेजा जाएगा, जिसके अनुपात में केंद्र डीडी रिसीवर देगा, ताकि नक्सल क्षेत्रों में बांटा जा सके।
नक्सल क्षेत्रों में चल रही योजनाएं
- ग्रामीण क्षेत्रों में पुल-पुलिया, सड़कें व बांध आदि का निर्माण।
- पुलिस सुरक्षा में शिक्षा के लिए स्कूल भवन का निर्माण
- स्किल डेवलपमेंट के तहत कई युवाओं को पुलिस की देखरेख में मेसन, फिटर, कंप्यूटर ऑपरेटर, चालक आदि के प्रशिक्षण की व्यवस्था। इतना ही नहीं, सेल्फ इंप्लोयमेंट के लिए मैकेनिक, कारपेंटरी, ड्राइविंग, मछली पालन, मुर्गी पालन, नर्सिंग, टेलङ्क्षरग के प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की जा रही है।
- घोर नक्सल प्रभावित गांवों में पुलिस की मदद से लाभुकों के बीच सोलर लाइट, सिलाई मशीन, पत्तल बनाने की मशीन, इंदिरा आवास, हैंड पंप, दुधारू पशु आदि का वितरण किया जा रहा है।
- नक्सली ग्रामीणों के बच्चों को उठाकर अपने दस्ते में न ले जाएं, इसकी रोकथाम के लिए पुलिस ने पहल की। ऐसे बच्चों को चिह्नित कर उनके अभिभावकों की सहमति से उनका दाखिला आवासीय विद्यालयों में कराया गया है।
- ज्रेडा व जिला पुलिस के माध्यम से 750 सोलर लाइट वितरित किए गए हैं।
- शिक्षा के लिए विद्यालयों को अपग्रेड करने व शिक्षकों को उपलब्ध कराने की कार्रवाई तेज है।
- क्षेत्र के लगभग 7000 युवक-युवतियों को विभिन्न सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं से संबद्ध करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
- संचार के लिए मोबाइल टावरों का निर्माण व मोबाइल टावरों को अपग्रेड कर वाई-फाई, इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है।
- इंटरनेट सेवा आ जाने से सुरक्षा कैंपों से बैंकिंग, एटीएम की सुविधा उपलब्ध होगी।
- खिलाडिय़ों के बीच फुटबॉल, हॉकी, जर्सी व खिलाडिय़ों के जूते आदि का वितरण करना।
- दूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों के उपचार के लिए मोटर साइकिल एंबुलेंस की व्यवस्था करना।
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