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झारखंड हाई कोर्ट का आदेश; दुष्कर्म पीड़िता को 50 हजार मुआवजा दे सरकार, पुनर्वास कराए

दुष्कर्म की शिकार मानसिक रूप से विक्षिप्त एक महिला के पुनर्वास के मामले में फैसला देते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार को उसे मुआवजा देने का अादेश दिया।

By Edited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 06:38 AM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 01:33 PM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट का आदेश; दुष्कर्म पीड़िता को 50 हजार मुआवजा दे सरकार, पुनर्वास कराए
झारखंड हाई कोर्ट का आदेश; दुष्कर्म पीड़िता को 50 हजार मुआवजा दे सरकार, पुनर्वास कराए

रांची, जेएनएन। झारखंड हाई कोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार मानसिक रूप से विक्षिप्त एक महिला के पुनर्वास का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के जस्टिस एबी सिंह इस मामले में आरोपित बिरसा उरांव व अल्फा मिंज की अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया है। कोर्ट ने दोनों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही मामले में गुमला के डीएलएसए से पूरी रिपोर्ट मांगी है।

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मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी 2019 को होगी। कोर्ट ने झालसा के सचिव एके राय को निर्देश दिया है कि वह स्वयं पीड़िता के गुमला स्थित गांव जाएं और पीड़िता के बेहतर इलाज के लिए रिनपास लाने की व्यवस्था करें। साथ ही बाल कल्याण समिति के साथ समन्वय कर पीड़िता के दो नाबालिग बच्चों की देखभाल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने पीड़िता को पचास हजार रुपये मुआवजा देने का सरकार को आदेश दिया है। झालसा के सचिव एके राय गुमला के उपायुक्त से उक्त राशि निर्गत कराना सुनिश्चित करेंगे। उक्त राशि पीड़ित की मां के खाते में रखी जाएगी।

यह है मामला : पीड़िता की मां ने 2017 में गुमला महिला पुलिस स्टेशन में दो आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जिसमें कहा गया कि वह अपनी मानसिक रूप से विक्षिप्त बेटी को छोड़कर कामकाज के लिए प्रदेश के बाहर गए थे। इस दौरान बिरसा उरांव व अल्फा मिंज ने उसकी बेटी का यौन शोषण किया है। अधिवक्ता सुरक्षा कानून के प्रारूप को मिली मंजूरी रांची। झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने अधिवक्ता सुरक्षा कानून के प्रारूप को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब इसे सरकार के पास भेजा जाएगा। इसको लेकर शुक्रवार को बार काउंसिल की बैठक हुई, जिसमें इसको मंजूरी दी गई।

बैठक में राज्य के अधिवक्ताओं के साथ हो रहे मारपीट व उन पर हो रहे हमले पर चिंता जताई गई और सरकार से इस पर रोक लगाने की माग की गई। इस प्रारूप में वकीलों को धमकी देना गैर जमानती अपराध और मारपीट करने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। वकीलों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को राज्य बार काउंसिल से अनुमति लेनी होगी और अधिवक्ताओं के साथ दु‌र्व्यवहार करने पर सजा का भी प्रावधान भी किया गया है। कानून में वकीलों को सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ने और उनके लिए कल्याणकारी योजना शुरू करने का प्रस्ताव भी है।

दरअसल देश के कुछ राज्यों में इस कानून को लागू किया गया है। मध्य प्रदेश के कानून को बेहतर माना गया है। झारखंड बार काउंसिल ने भी मध्य प्रदेश अधिवक्ता सुरक्षा कानून जैसे प्रावधान को ही अंगीकार किया है। बैठक में काउंसिल के अध्यक्ष एवं महाधिवक्ता अजीत कुमार, उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल, सदस्य एके चुतर्वेदी, महेश तिवारी, प्रयाग महतो, एके रसीदी समेत सभी सदस्य शामिल हुए।


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