धर्मातरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाए सरकार
जनजाति सुरक्षा मंच के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम एक आवेदन देकर धर्मातरित आदिवासियों को आरक्षण से बंचित करने की मांग की।
जासं, रांची : जनजाति सुरक्षा मंच के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम एक आवेदन उपायुक्त के माध्यम से सौंपा है। इसमें धर्मांतरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा कर उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण को समाप्त करने का आग्रह किया गया है। इस मुद्दे पर जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा पूरे भारतवर्ष में 324 स्थानों से राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम आवेदन प्रेषित किया गया है। आवेदन देने से पूर्व वनवासी कल्याण आश्रम में जनजाति सुरक्षा मंच में स्वर्गीय कार्तिक उरांव जन्म समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डाक्टर बूटन महली व विशेष अतिथि मेघा उराव उपस्थित थे। मेघा उराव ने कहा कि स्वर्गीय काíतक उराव के सपनों को आज साकार करने की जरूरत है। अपनी धर्म-संस्कृति, रीति-रिवाज परंपरा को बचाए रखना है। जिस प्रकार उराव ने जिस प्रकार अनुसूचित जनजातियों की धर्म संस्कृति रीति रिवाज परंपरा को बचाए रखने के लिए कार्तिक उरांव ने सन 1970 के दशक में लोकसभा में बिल लाए थे उस प्रकार प्रकार के बिल आज लाने की जरूरत है। अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण का लाभ दूसरे धर्म के जो लोग ले रहे हैं, इस पर रोक लगनी चाहिए। इसके लिए कड़ा कानून बनना चाहिए, तभी जाकर जनजातियों का वास्तव में विकास होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में संग्राम बेसरा के द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेदों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। मौके पर सोमा उराव, संदीप उरांव, नकुल तिर्की, कृपा प्रसाद सिंह, जय मंगल उराव, विश्वकर्मा पहान, कैलाश मुंडा, बहादुर उराव, बालेश्वर पाहन, मुनेश्वर मुंडा, मीना मुंडा, प्रदीप लकड़ा, सतेंद्र सिंह, तुलसी गुप्ता, सुनील टोप्पो, अंजली लकड़ा, आरती कुजूर, प्रणय दत, डाक्टर सुखी उराव सहित कई लोग उपस्थित थे।