कोरोना संक्रमण के बहाने हिदू भावनाओं से सरकार खिलवाड़ न करे : विहिप
मलमास या अधिकमास 16 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। इसके अगले दिन से दुर्गा पूजा शुरू हो जाएगी। वहीं विहिप ने कहा है कि सरकार कोरोना के बहाने हिंदू भावनाओं से खिलवाड़ न करे
जागरण संवाददाता, रांची : मलमास या अधिकमास 16 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। इसके अगले दिन 17 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ नौ दिनी शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएगी। इस बार नवरात्र नौ दिनों की होगी। 26 अक्टूबर को विजया दशमी मनाई जाएगी। नवरात्र आरंभ होने में दो दिन शेष बचे हैं। अभी से घरों में पूजा की तैयारी शुरू हो गई है।
सरकारी गाइडलाइन के अनुसार शहर के पूजा पंडाल आकार लेने लगा है। वहीं, मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप में देने में जुटे हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सरकार से मांग की है कि कोरोना संक्रमण के बहाने हिंदू भावनाओं से खिलवाड़ न करें। इस संबंध में विहिप के पदाधिकारियों ने बुधवार को 11 सूत्री ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा। ज्ञापन सौंपने के बाद विहिप के प्रांत मंत्री डा. बिरेंद्र साहु ने कहा कि शारदीय नवरात्र में हिदुओं के द्वारा जगत कल्याणार्थ आराधना करने की परंपरा है। माता दुर्गा सहित अन्य देवी देवताओं का आह्वान कर जप-तप करने का विधान है, अपनी परंपराएं हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव आवश्यक है, लेकिन सरकार ने जो पूजा अनुष्ठान के लिए मापदंड तय किए हैं वह अनुचित है। संक्रमण की आड़ में भावनाओं को ठेस पहुंचाना कहीं से भी उचित नहीं है। सरकार को गाइडलाइन में संशोधन करना चाहिए। ये हैं प्रमुख मांगें
- पूजन पंडाल छोटा परंतु परंपरागत ही बने
- माता भगवती के दर्शन के लिए पंडाल का मुख्य द्वार खुला रहे।
- पंडाल के अंदर और बाहर उचित प्रकाश व्यवस्था रहे।
- पंडाल के सम्मुख एक तोरण द्वार अथवा स्वागत गेट बनाने की व्यवस्था रहे।
- प्रतिमा की ऊंचाई पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध न रहे।
- पूजन में लाउडस्पीकर सिस्टम का प्रतिबंध न रहे।
- अनलाक गाइड लाइन के तहत 100 व्यक्तियों को एक साथ रहने की अनुमति हो।
- अनलाक गाइड लाइन का पालन करते हुए विसर्जन शोभायात्रा परंपरागत हो।
- पूजन के बाद प्रसाद अथवा भोग वितरण पर कोई प्रतिबंध न रहे।
- नवरात्र में कन्या पूजन की परंपरा है। इस पर किसी प्रकार का प्रतिबंध न हो।